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Saturday, 29 August 2020

नकली फूल

बैंक में नौकरी लग गई तो अब और क्या चाहिए? एक तो जो जूते घिस गए थे उन्हें बदलना चाहिए? लेकिन मम्मी की नज़र में इक श्रीमति चाहिए. ना ना ना मनोहर उर्फ़ मन्नू के विचार में नौकरी के बाद और श्रीमती से पहले एक दुपहिया होना चाहिए जिस पर बैठ कर लम्बी लम्बी सड़कों पर फर्राटे लगाने चाहिए. क्या पता आने वाली दुपहिया पसंद ही ना करे. और अभी तो तनखा इतनी ही है की दुपहिया ही आएगा. दुपहिया में दो पहिये और जोड़ने के लिए समय चाहिए. अब सवाल है की कौन सा दुपहिया लिया जाए? चलो ज़रा दोस्तों यारों से पूछताछ कर लेते हैं. मन्नू को कई तरह के सुझाव मिले पर उसने सोचा क्यूँ ना कपूर साब से भी पूछ लिया जाए.

- कपूर सा आप तो बुलेट पे सवारी करते हो. मैं भी ले लूँ क्या? या स्कूटर ले लूँ कुछ सलाह तो दो.

- अरे तू मुझ से क्या पूछ रहा है? अपन तो माचो गाड़ी पसंद करते हैं. 

- माचो मतलब?

- अबे दमदार मरदाना गड्डी. देखा कैसे धक् धक् दौड़ती है? 

- वो तो देखी है जी. अपना चचेरा भाई है जी कन्नू वो रोज यही फटफटिया चलावे है. तड़के बुलेट पे बीस बीस किलो की दूध की कैनी दोनों साइड बाँध के हलवाई के पहुंचा दे है. सवारी बैठा ले है वो अलग. 

- तूने क्यूँ नौकरी कर ली बैंक में? गाँव में रह जाता. दूध सप्लाई करता और हलवाई की लड़की से शादी कर लेता. 

- देखो जी कपूर सा ब्याह में तो दिल्ली वाली चाहिए. जीन वीन पहन के जब अंग्रेजी बोले तो कसम से भौत जी लगै.

- बस तेरा तो काम हो गया मन्नू. लोन सेक्शन में संध्या बैठी है जीन वीन पहनती है और अंग्रेजी भी बोलती है. जा बुलेट का लोन ले ले उस से. जब गाड़ी आ जाए तो उसे बिठा कर अपना गाँव भी घुमा देना. क्या पता तेरी पत्री मिल जाए?

- अच्छा जी गुरु जी ?!

- पर पहले ज़रा हुलिया भी बदल ले. जीन और टी शर्ट पहन ले,  परफ्यूम लगा ले फिर जाना उसके पास. 

- जी गुरु जी! मन्नू ने पर्स खोल दिया. जीन और टी खरीदी, परफ्यूम खरीदा, नए जूते खरीदे और कागज़ पत्तर लेकर संध्या के सामने बैठ गया. कारवाई पूरी हो गई और बुलेट आ गई. बाकायदा पूरी सजावट के साथ. मन्नू ने लोन सेक्शन में खबर दे दी.

- लो जी संध्या जी गाडी आ गई है. बाहर खड़ी है नजर भी मार लो और गाडी की टेस्टिंग भी करा देता हूँ. 

- ठीक है, ठीक है. देख ली. बहुत काम पड़ा है सीट पर.

- ना जी ना. एक बार तो देख ही लो. ख़ास आप के लिए तो सजाई है. असली फूल भी लगवाए हैं जी. बस एकाध नकली है पीछे. 

- अच्छा चलो. वाओ! हाहाहा अमेज़िंग!

- चलो जी कनाट प्लेस का एक चक्कर लगवा दूं जी. 

- ओके ओके चलो. विल हैव फन!

मन्नू ने फटफटिया स्टार्ट की और संध्या पीछे बैठ गई. बाइक जहां जहां से निकले लोग भी कौतुहल से देख रहे थे. मन्नू मस्त हो रहा था. रोज जीन पहनने वाली संध्या इत्तेफाकन सलवार कमीज़ पहने हुए थी. बाइक ने स्पीड पकड़ी तो चुनरी लहराई और नकली फूलों में उलझ गई. फिर फूल समेत चेन में जा घुसी. इधर चुन्नी चेन में फंसी और उधर फटफटिया की चेन जाम हो गई. चीं करती हुई बुलेट रुक गई. सड़क पर टायर घिसने का काला निशान पड़ गया. वो तो मन्नू ने जैसे तैसे सम्भाल ली वरना दोनों सड़क पर होते. पर तब तक कई तमाशाई भी इकट्ठे हो गए थे. चुन्नी और प्लास्टिक के फूल ग्रीज़ से काले हो गए थे. जब तक मन्नू चेन में से फूल और काली हुई चुन्नी चिंदी चिंदी करके छुड़ाता तब तक संध्या ऑटो में बैठ कर घर चली गई. 

लोन की गाड़ी

10 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2020/08/blog-post_29.html

Unknown said...

Bechara Mannu

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद 'Unknown'

ASHOK KUMAR GANDHI said...

Bahut Bariya Harshji. Maza aa gaya. Kitna bariya describe karte ho.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-08-2020) को    "समय व्यतीत करने के लिए"  (चर्चा अंक-3808)    पर भी होगी। 
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श्री गणेश चतुर्थी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
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Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद डॉ रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'. चर्चा अंक 3808 पर भी हाजिरी लगेगी.

Meena Bhardwaj said...

गनीमत है उन्हें चोट नहीं लगी...दुर्घटना भी हो सकती थी.
बहुत सुन्दर सृजन .

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद Meena Bhardwaj. सब ठीक ठाक ही रहा.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी.