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Wednesday 15 May 2019

Sevagram Wardha

Sevagram Ashram was established by Mahatma Gandhi in 1936 in district Wardha. It is 8 km from Wardha town & 75 km from Nagpur, Maharashtra. He was 67 then. He stayed there till 1948. Land for the Ashram was donated by Seth Jamna Lal Bajaj a disciple of Gandhi ji. Initially the place was created for Bapu, Ba & few others only but slowly it got evolved as an institution.
   
Simpliycity is hallmark of the place as is also of Mahatma Gandhi. Harijan cooks manned the kitchen in accordance with philosophy of Gandhi that all are equal.

Sevagram can be reached by rail, road or air. Sevagram railway station is 6 km from Ashram. Accomodation for stay is available in Yatri Niwas( for more info & bookings you may please visit www.gandhiashramsevagram.org ). There is a museum and shops selling handicrafts, hand made clothes & Gandhian litrature etc. Organic veg food is also avaible. For casual tourists Ashram remains open from sunrise to sunset.
Some photos:

1. Prayer Ground where Bapu offered prayers & shared his thoughts

2. Cool scene. School kids in Ashram 

3. Residence of Mahatma Gandhi - Bapu Kuti

4. Verandah of Bapu Kuti

5. Bapu Kuti & Ba Kuti

6. Residence of Ba - Ba Kuti

7. Cool verandahs have many boards displaying Mahatma's thoughts

8. Mahatma's views on mad race of materialism





Sunday 12 May 2019

Golkonda Fort Hyderabad

Golkonda is a historical Fort in Hyderabad, Telangana. Located on a round granite hill 120 meter high which is about 11 km from Hyderabad City. Fort has palaces, halls, gardens, masques, rsidential quareters of soldiers, stables, magazines etc. Entire length of circumferential wall may be ten km. The wall has eight gates, four drawbridges & 87 bastions. 

2. Entry to the Fort is by ticket & so is the use of camera. official guides are available for a fee. Sound & light show is held in the evenings. The Fort opens at 9 & closes 5.30. Noons are hot here take care. Small restaurant is availble inside. Depending upon interest in history tour of the Fort may take a day or may be a couple of days. Climbing up 400 feet is a bit tough. Interesting features of the Fort are accoustical or sound echo communication, water harvesting, ventilation & of course security managment.

3. In olden times Golkonda was better known for diamonds kept in the vaults rather than as a fort. In nearby Kollur, Atkur and Paritala diamonds were mined. These were cut & sold in Golkonda. Some of the prominent ones are Koh-e-noor, Daria-e-noor, Noor-ul-Ain, Hope, Princie & Regent Diamond. 

4. As with these diamonds passing on to different royalties, the Fort also saw several dynasties occupying it. Foundation of the Fort was laid by Kakatiya kings who ruled from 1163 to 1323. Thereafter came Musunuri Nayakas who stayed up to 1386. Then came Bahmani Sultans who occupied the Fort up to 1527. Qutaub Shahi dynasty ruled till 1687. During this period the Fort was expanded & strenthened.
Aurangzeb attacked, won & Mughals stayed till 1707 though the Fort was severly damaged. After Aurangzeb died Mughal Empire weakened, Nizams took over in 1724 & shifted capital to Hyderabad. Nizams had some understanding with British which allowed them to rule till merger in India in 1948. Some photos:


1. View from Rani Mahal

2. One of the many bastions. Whole complex has large number of  heavy boulders

3. Arches or Mehrabs here are beautiful. High ceilings provided much needed cooling effect 

4. Inside main arches there is particular type of plaster which reflects light. So lesser number of torches & candles were used
5. Sepoy quarters 

6. There are number lawns & gardens which are well maintained 

7. Part of Nagina Bagh

8. Another view of the Fort 

9. Gardens & a view of Hyderabad City

10. Mosque at the top 

11. Another view of the Fort

12. Magazine or Aslahkhana

13. Nagina Bagh

14. High walls meant security

15. Several such pathways have been added for tourists

16. Golkonda is also spelt Golconda or Golla Konda

17. Keep walking!

18. Garden & the city

19. Rain water harvesting. Notice the 3x3 holes which have clay pipes for carrying water collected above

20. Such cavities were used to store water

21. Must have been a beautiful lively place 





Thursday 9 May 2019

नैनागिरी जैन मंदिर

नैनागिरी में जैन मंदिरों का एक बड़ा समूह है. यह जगह दलपतपुर जिला छतरपुर मध्यप्रदेश में है और सागर जिले से लगभग 55 किमी दूर है. नैनागिरी को रेशंदिगिरी या दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र भी कहते हैं. यहाँ 38 मंदिर पहाड़ी पर हैं, 13 मंदिर नीचे हैं और दो झील में हैं. इस स्थान के सम्बन्ध में कहा गया है कि:

पासस्स समवसरणे सहिया वरदत्त मुणिवरा पंच |
रिस्सिन्देगिरि सिहरे णिव्वाण गया णमो तेसिं ||

अर्थात इस स्थान रेशंदिगिरी पर पांच मुनियों - श्री वर दत्त, श्री मुनीन्द्र दत्त, श्री इन्द्र दत्त, श्री गुण दत्त और श्री सागर दत्त ने त्याग और कठिन तप के बाद निर्वाण प्राप्त किया.

एक अभिलेख के अनुसार यहाँ का सबसे पुराना मंदिर सन 1042 - 1109 के दौरान बना था. ये सभी मंदिर सैकड़ों बरसों तक जंगल में गुम रहे. कुछ साधकों ने 1900 के आस पास पहाड़ी में खुदाई करके इन मन्दिरों को खोजा था. पास की नदी की धारा के बीच में एक बड़ी शिला है जिसे सिद्ध शिला कहा जाता है जिस पर बैठ कर मुनियों ने तप किया था. साल में दो बार - श्री पार्श्वनाथ और श्री महावीर निर्वाण दिवस पर यहाँ मेले लगते हैं. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

1. श्री पार्श्व नाथ जिन्नालय 

2. झील में दो मंदिर 

3. वंदना यहाँ से प्रारम्भ होती है 

4. मुनियों की चर्चा 

5. भगवन बाहुबली मंदिर 

6. जिन्नालय 

7. श्री आदि नाथ 

8. श्री शांति नाथ और श्री कुन्थु नाथ जिन्नालय 

9. श्री चन्द्र प्रभु जिन्नालय  
10. श्री पार्श्व नाथ जिन्नालय 

11. श्री पार्श्व नाथ 

12. जैन मुनि 

13. पांच मुनि 

14. संक्षिप्त इतिहास 

15. श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र रेशंदिगिरी 

17. जैन मंदिर 
18. आसपास का इलाका हरा भरा और बहुत सुंदर है 




Sunday 5 May 2019

खजुराहो की कामुक मूर्तियाँ - 2

खजुराहो की कामुक मूर्तियाँ - 1 से आगे दूसरा और अंतिम भाग :-

खजुराहो के हिन्दू और जैन मंदिरों में कामुक या मिथुन मूर्तियों को देख कर कोई शर्माता है, कोई झिझकता है, कोई खिलखिलाता है और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो देखना ही नहीं चाहते! जो भी हो सभी इन मूर्तियों को देखकर इन के बारे में सोचने पर मजबूर हो जाते हैं. और बातों के अलावा एक सवाल तो मन में आ ही जाता है कि मंदिर में ऐसी कामुक या मिथुन या erotica मूर्तियाँ क्यूँ बनाई गईं? अगर आप मैथुनरत युगल देखें तो उनके चेहरे शांत, आनंदित और सरल दिखते हैं उनमें उद्विग्नता या आक्रामक हवस नहीं दिखती. मंदिर की दीवारों पर कामुक मूर्तियाँ क्यूँ बनाई गईं, इस प्रश्न के उत्तर में कई कयास लगाए जाते हैं जैसे कि:

* मानव जीवन के क्रिया कलाप को चार मुख्य भागों में बांटा जा सकता है - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. दूसरे शब्दों में पैदा होने के बाद संसार को देखना समझना, उसके बाद अपने और अपनों के जीवन यापन के लिए 'अर्थ' के जुगाड़ में लग जाना, उसके बाद अपना जीवन साथी ढूँढना और फिर परलोक प्रस्थान कर जाना. इन चारों अवस्थाओं के विभिन्न आयामों को मूर्तियों में देखा जा सकता है. खजुराहो के मंदिरों में हजारों मूर्तियों हैं जिनमें से कामुक मूर्तियाँ थोड़ी सी 8-10% ही हैं. ये मूर्तियाँ मंदिर की बाहरी दीवारों पर ही हैं. इसका मतलब शायद ये रहा हो कि मंदिर में प्रवेश से पहले आपने सब कुछ भोग लिया है और अब मोक्ष दरकार है. मंदिरों की बनावट भी एक गुफा की तरह ही है - प्रवेश द्वार छोटा सा और गुफा में आगे बढ़ें तो गर्भ गृह उंचा और बड़ा है जहाँ संसार को बनाने या मिटाने वाले शिव या विष्णु विराजमान है. याने जीवन का अंतिम पड़ाव.

*  मंदिरों का निर्माण सन 850-1150 के बीच हुआ और मान्यता है कि उस समय मध्य भारत में तांत्रिक विद्या का प्रचलन था. यहाँ का सबसे पहले बना मंदिर चौंसठ योगिनी मंदिर भी उसी विद्या का उदहारण है जो शिव और शक्ति या फिर पुरुष और प्रकृति को समर्पित है. इस विद्या में तन और मन का बैलेंस करना और सम्भोग से मोक्ष की और जाने की बात की गई है. सम्भोग या मिथुन भी जीवन के अन्य कार्यकलापों की तरह एक स्वाभाविक और आवश्यक क्रिया है जो जीवन का एक अंग है. यहाँ यही बात बिंदास मूर्तियों में ढाली गई है.

*  कुछ लोगों का कहना है कि ये कामुक मूर्तियाँ काम कला के ज्ञान sex education देने के लिए बनाईं गईं थीं और इसीलिए मंदिर की बाहरी दीवारों पर हैं अंदर नहीं. लोग कामुक मूर्तियाँ देखें, समझें और काम भावना त्याग दें! इस पर गाइड का कहना था कि लम्बे समय तक कोई भी मैथुन मूर्ति देखी ही नहीं जा सकती क्यूंकि उकताहट हो जाती है और स्वत: नज़र हट जाती है.

* एक मत ये भी है कि बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के बाद ( ईसा पूर्व 400 से लेकर लगभग ईसा पश्चात 500 तक ),  पूजा पाठ और मंदिरों की महत्ता घट गई थी. बौद्ध स्तूपों या धार्मिक स्थलों में भगवानों की मूर्तियाँ नहीं होती थी. इसके अलावा बुद्ध की मूर्ति का आदर सम्मान तो किया जाता है पर पूजा अर्चना या आरती नहीं होती है. जनता को फिर से मंदिरों और भगवान् की ओर आकर्षित करने के लिए यहाँ कामुक मूर्तियाँ बनाई गईं.

* एक और दृष्टिकोण है कि मंदिरों की दीवारों पर भगवान, यक्ष, गांधार की मूर्तियों के अलावा काल्पनिक जानवर भी बनाए गए हैं मसलन व्याल, वृक व्याल और गज व्याल. इन सभी में कई जानवरों के अच्छे गुणों के मिश्रण हैं और ये शुभ हैं. प्रवेश करने वाले इन सभी का दर्शन करें और अपनी दुनियावी इच्छाओं को बाहर रख कर मंदिर में प्रवेश करें.

* कवि चंदबरदाई के अनुसार चंदेल राजपूत वंश की शुरुआत एक कन्या हेमवती जो चांदनी में नहा रही थी, और चंद्रमा के मिलन से हुई थी. सभी चंदेल राजा कला प्रेमी हुए और उन्होंने सुंदर महल और मंदिर बनवाए और अनोखी मूर्तियों से सजावट की. यह मूर्ति कला चौंसठ योगिनी के सिंपल से मंदिर से शुरू होकर डेढ़ सौ वर्षों बाद लक्ष्मण मंदिर और कंदारिया मंदिर में निखर कर शिखर पर पहुँच गई.

मंदिरों में इन कामुक मूर्तियों के होने का जो भी कारण रहा हो पूरे विश्व में इनका कोई मुकाबला नहीं है. इनकी बनावट, हाथ पैरों की पोज़ीशन, चेहरे के हाव भाव, सजावटी जेवर, हेयर स्टाइल इत्यादि कमाल की सजीवता लिए हुए हैं. हलके ठन्डे मौसम और हरियाली में ये मंदिर और लैंडस्केप बहुत ही सुंदर लगते हैं. मंदिर में प्रवेश के लिए और गाइड के लिए खासे पैसे लगते हैं. अच्छा कैमरा, पानी की बोतल और टोपी साथ रखिये और अनोखी विश्व धरोहर का आनंद लीजिये.
प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

मंदिर की बाहरी दीवार पर बेमिसाल नक्काशी. इसमें से तीन मिथुन फोटो अलग अलग नीचे दी गईं हैं  

कामुक युगल - 1 

कामुक युगल - 2

कामुक युगल - 3

छोटे छोटे आलों में बनी मिथुन मूर्तियाँ 

कहा जाता है कि घर से लम्बे समय तक दूर रहने वाले कुछ सिपाही इस तरह की हरकत कर देते थे जो अवैध मानी जाती थी. पिछले दो सिपाही उसे पकड़ने जा रहे हैं 
एक स्त्री और जानवर का मैथुन. इस स्त्री को भी पकड़ कर महिला पुलिस राजा के दरबार में पेश कर रही है. वही स्त्री हाथ जोड़ कर और सिर झुका कर राजा से माफी मांग रही है 

दो बड़े पत्थरों के बीच बने आले में मिथुन मूर्तियाँ 

ऊपर वाले क्रम में और मूर्तियाँ 

ऊपर वाले क्रम में कुछ और मूर्तियाँ 

खजुराहो के सुंदर मंदिर 


खजुराहो के कुछ मंदिरों पर फोटो ब्लॉग इन निम्नलिखित नामों पर क्लिक कर के देखे जा सकते हैं:

1. चौंसठ योगिनी मंदिर

2. दुल्हादेव मंदिर

3. वाराह मंदिर

4. चतुर्भुजा मंदिर

5. जावरी मंदिर

6. वामन मंदिर