शिमला हिल्स में बसा सुबाथू छोटा सा पर लगभग दो सौ साल पुराना कैन्ट है जो अब जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश का हिस्सा है। सुबाथू क़रीबन 4500 फ़ीट ऊँचा है और शिमला से 60 किमी दूर ठंडा और शांत पहाड़ी इलाक़ा है। वैसे शिमला हिल्स के बजाए शिवालिक रेंज कहना बेहतर होगा क्यूँकि शिमला हिल्स भी शिवालिक रेंज का ही हिस्सा है। सुबाथू का सालाना तापमान 7 डिग्री से लेकर 35 डिग्री तक जाता है। शिमला, सोलन और धर्मपुर से बसें या टैक्सियाँ भी मिलती हैं। होटल साधारण और कम हैं क्यूँकि ज्यादा सैलानी नहीं आते। सेना के अलावा जनसंख्या ( 2001 ) लगभग छे हज़ार से कम थी। सुबाथू को सुपाटू या स्पाटू भी कहा जाता है। कहते हैं कि महाभारत काल में यहाँ सुबाहू नाम का राजा था और कालांतर में जगह का नाम सुबाथू पड़ गया।
सुबाथू कैंट की स्थापना एंग्लो-नेपाल युद्ध ( 1814 - 1816) जीतने के बाद हुई। इससे पहले हिमाचल, गढ़वाल और कुमाऊँ के काफ़ी बड़े पहाड़ी इलाक़े पर नेपाल के राजाओं का वर्चस्व था। लगान वसूलने में काफ़ी क्रूरता बरती जाती थी और जनता में असंतोष था। इधर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी 1790 से लगातार नेपाल पर दबाव डाल रही थी कि उन्हें नेपाल के रास्ते तिब्बत और चीन से व्यापार करने का मौक़ा दिया जाए। परंतु सुनवाई नहीं हो रही थी क्यूँकि नेपाली दरबार के विचार में :
"with the merchant comes musket & with the Bible comes bayonet ".
फिरंगियो ने आस पास के राजाओं को लेकर हमले की जोरदार तैयारी शुरू कर दी। चार डिवीज़न बनाई गईं। पहली दीनापुर, दूसरी गोरखपुर, तीसरी मेरठ और चौथी लुधियाना में तैनात की गई। इसके विपरीत नेपाल के प्रधान मंत्री ने कहा :
" our hills & fastness are formed by the hand of God and are impregnable ".
पर भगवान ने नेपाल का साथ नहीं दिया और बेहतर हथियारों और संख्या की वजह से अंग्रेज़ जीते। समझौता हुआ और सीमाएँ दुबारा बनीं। सोलन, सुबाथू, डगशई, और कसौली में छोटी छोटी छावनियाँ बना दी गईं। इन छावनियों से फिरंगियो को गरमी से भी राहत मिली।
युद्ध के बाद ब्रिटिश इस्ट इंडिया कम्पनी ने प्रथम गोरखा रायफ़ल्स की स्थापना की थी। आजकल सुबाथू में 14 गोरखा प्रशिक्षण केंद्र है। कुछ तसवीरें पेश हैं :
आम तौर पर युकलिप्टस या सफ़ेदे के पेड़ सीधे और लम्बे खड़े रहते हैं पर ये पुराना युकलिप्टस काफ़ी फैला हुआ है |
1 comment:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/05/blog-post_28.html
Post a Comment