चैल क़रीब 45 किमी है शिमला से और ऊँचाई 2250 मीटर है। चैल को चायल नाम से भी जाना जाता है। चैल की ऊँचाई शिमला से ज्यादा है। देवदार और चीड़ के घने जंगल में होने के कारण ठंडा, शांत और सुंदर इलाक़ा है। यहाँ का सालाना तापमान -2 डिग्री से 23 डिग्री तक जा सकता है। हरियाली, साफ़ नीला आसमान, ठंडी हवा और नरम गरम धूप में ग़ज़ब का आकर्षण है।
चैल के बारे में एक क़िस्सा मशहूर है ( कितना सच है पता नहीं ) कि महाराजा पटियाला भूपिन्दर सिंह ने ब्रिटिश कमांडर लॉर्ड किचनर की बेटी को अगवा कर लिया। लॉर्ड किचनर ने महाराजा पटियाला का शिमला में आना बंद करा दिया। महाराजा पटियाला ने जवाबी कार्रवाई में चैल महल का निर्माण 1891 में शुरू करवा दिया। यह ज़मीन पटियाला राज को अंग्रेज़ों ने तब दी थी जब ब्रिटिश इस्ट इंडिया कम्पनी, पटियाला और गढ़वाल राजाओं ने मिलकर गोरखों को हराया था। महाराजा क्रिकेट और पोलो के शौक़ीन थे इसलिए एक मैदान 2444 मीटर की ऊँचाई पर तैयार कराया जो दुनिया का सबसे उँचा क्रिकेट मैदान है। बाद में भारतीय गणतंत्र में शामिल होने पर पटियाला राज की ज़्यादातर सम्पत्ति चैल मिलिट्री स्कूल और भारत सरकार को दे दी गई।
चैल के नज़दीकी हवाई अड्डे हैं शिमला और चंडीगढ़ और रेलवे स्टेशन है कालका। इन जगहों से चैल की बसें व टैक्सियाँ मिल जाती हैं। अपनी कार ले जाने का भी मज़ा है पर आख़री दस बारह किमी की चढ़ाई मुश्किल है सावधानी बरतनी होगी। चैल पैलेस, क्रिकेट मैदान और मंदिर का वापसी टूर एक दिन में भी किया जा सकता है। ट्रेकिंग वग़ैरा के लिए ज्यादा समय लगा सकते हैं। सभी तरह के होटल उपलब्ध हैं पर पहले बुक करा लें। बरसातों को छोड़ कर पूरे साल सैर की जा सकती है। कुछ तस्वीरें :
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