बीजापुर कर्णाटक प्रदेश का एक जिला है जिस का नाम अब विजयपुरा है. यह शहर बैंगलोर से 520 किमी और मुंबई से 550 किमी दूर है. आदिल शाही ( 1490 - 1686 ) ज़माने की बहुत सी सुन्दर इमारतों के लिए बीजापुर मशहूर है.
ये शहर बसाया था पश्चिमी चालुक्य राजाओं ने, जिन्होंने 535 से 757 तक राज किया.
राष्ट्रकूट राजा यहाँ 757 से 973 तक रहे.
इस से आगे लगभग 1200 तक कलचुरी और होयसला शासन रहा.
कुछ समय देवगिरि, यादव और उसके बाद 1312 में मुस्लिम शासन शुरू हुआ.
1347 में बिदर के बहमनी वंश ने बीजापुर पर कब्ज़ा कर लिया और बहमनी राज 1489 तक चलता रहा.
उसके बाद आदिल शाही वंश शुरू हुआ और यह वंश 1686 तक यहाँ काबिज रहा.
औरंगजेब ने आदिल शाही सुल्तान को हरा दिया और बीजापुर पर मुग़ल शासन 1723 तक चला.
1724 में स्वतंत्र हैदराबाद राज्य के निज़ाम ने बीजापुर को अपने राज में मिला लिया.
1760 में मराठा फ़ौज ने बीजापुर पर अधिकार जमा लिया.
1818 के मराठा - ब्रिटिश युद्ध में अंग्रेजों की जीत के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बीजापुर पर अधिकार जमा लिया और सतारा के राजा को दे दिया.
1848 में अंग्रेजों ने बीजापुर वापिस ले लिया क्यूंकि सतारा के राजा की कोई संतान न थी.
1885 में बीजापुर को मुख्यालय बना दिया गया.
1956 में बीजापुर मैसूर राज्य में शामिल हुआ जो बाद में कर्णाटक कहलाया.
गोल गुम्बज़. इस गोल गुम्बद का व्यास 44 मीटर है |
दाहिनी ओर का सात मंजिला 'स्तम्भ' |
बाईं ओर का सात मंज़िला 'स्तम्भ' जिसके ऊपर एक छोटा गुम्बद है. इस तरह के चार स्तम्भों पर मुख्य गुम्बद टिका हुआ है |
पुरातत्व विभाग का संग्रहालय जो कभी नक़्क़ारखाना हुआ करता था |
म्यूजियम के बाहर आदिल शाही तोप |
गुम्बद के नीचे हॉल जो 41 मीटर X 41 मीटर है |
एक बड़े और ऊँचे चबूतरे पर परिवार की कब्रें |
रौशनी के लिए बनाए गए रौशनदान. फर्श से छत की ऊंचाई 60 मीटर है |
शायद इस फोटो से हॉल का अंदाज़ा लग जाएगा |
लैंप-पोस्ट |
रिसेप्शन जिसमें सुरक्षा व्यवस्था थी. यहाँ से अंदर आने वालों पर नज़र रखी जाती थी और अंदर आने वालों की जांच भी की जाती थी |
गोल गुम्बज़ का नक्शा विकिपीडिया से सधन्यवाद |
गोल गुम्बज़ पर जारी पुराना डाक टिकट |
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