बीजापुर कर्णाटक प्रदेश का एक जिला है जो बैंगलोर से 520 किमी और मुंबई से 550 किमी की दूरी पर है. आदिल शाही ( 1490 - 1686 ) ज़माने की बहुत सी सुन्दर इमारतों के कारण बीजापुर मशहूर है. इन इमारतों में से कुछ अधूरी और कुछ पूरी बची हुई हैं पर देखने लायक हैं. आजकल बीजापुर का नाम विजयपुरा कर दिया गया है. ( वैसे एक बीजापुर छत्तीसगढ़ में भी है ! ).
आदिल शाही खानदान के लोग शायद ईरान या तुर्की से आए थे. यहाँ कभी किसी की फ़ौज में शामिल हो गए और कभी किसी दूसरे की फ़ौज में. फिर एक दिन मौका देख कर खुद सुल्तान बन बैठे. युसूफ आदिल शाह और इब्राहिम आदिल शाह ने बहुत सी इमारतें और पार्क बनवाए. इमारतें इंडो-इस्लामिक शैली की हैं और कभी बहुत सुन्दर रही होंगी. अब खंडहर होते हुए भी सुन्दर लगती हैं. कुछ फोटो प्रस्तुत हैं.
इब्राहिम रौज़ा. रौज़ा ( rauza or rawza ) एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है वो बगीचा जिसमें किसी को दफनाया गया हो. आम तौर पर रौज़ा सूफी संतों के लिए इस्तेमाल होता था पर बाद में ये शब्द सभी के लिए होने लगा. यह रौज़ा 1627 में इब्राहिम आदिल शाह II की बेगम ताज सुल्ताना ने बनवाया था. इसे बनाने में आठ बरस लगे. दो मकबरों के बीच मस्जिद है
मीनारें पतली और नाज़ुक लगती हैं पर लगभग चार सौ सालों से सलामत खड़ी हैं.
ऊँचे चबूतरे पर बनी इमारतें जिन पर सुन्दर काम किया गया है
इस ऊँचे चबूतरे के नीचे तहखाने में इब्राहिम परिवार की कब्रें हैं
बड़े खूबसूरत तरीके से छत बनाई गई है. बीजापुर की इमारतों में कमल के फूल की पंखुड़ियों का काफी प्रयोग किया गया है.
बहुत बारीक और सुन्दर काम. ये परिसर बनने में 'एक लाख हुन' लगे. ऐसा दीवार पर फ़ारसी में लिखा हुआ है. रौज़ा की इमारत पूरी होने से पहले ताज सुल्ताना की मृत्यु हो गई. मलिक संदल जो एक किन्नर था और ताज सुल्ताना का विश्वास पात्र था, उसने '999 हुन' और खर्च कर के रौज़ा पूरा करवाया
राजस्थानी खिड़कियों और झरोखों से मिलती जुलती बनावट
काले पत्थर की सुन्दर वास्तु कला. गाइड का कहना था कि सजावटी फूल पत्तों की नक्काशी बौद्ध मूर्तियों और बौद्ध विहारों से ली गई थी
ड्योढ़ी से लिया गया फोटो
सूफी संत हज़रत मुर्तुज़ा कादरी की दरगाह
जोड़ गुम्बज - अठारहवीं सदी में बने दो एक जैसे स्मारक. इसीलिए इन्हें जोड़ गुम्बज कहा जाता है
गुम्बद पर सुन्दर कारीगरी
ताज बावड़ी. इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय ने अपनी बेगम ताज सुल्ताना के लिए 1690 में बनवाई थी
ताज बावड़ी
ताज बावड़ी. अंदर 223 फ़ीट लम्बा और 223 फुट चौड़ा तालाब है जो 52 फीट गहरा है.
80 फुट ऊँचा 'उपली बुर्ज' किसकी गोल सीढ़ियां ऊपर छत पर ले जाती है. यहाँ शहर की सुरक्षा के लिए एक बड़ी तोप रखी गई थी
उपली बुर्ज 1584 में हैदर खान ने बनाई थी इसलिए इसे हैदर बुर्ज भी कहते हैं. आसपास किला था जो अब आबादी के अतिक्रमण में गायब हो चुका है
3 comments:
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Heritage
Thank you Singh saab
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