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Sunday 23 June 2024

गोल गुम्बज़ बीजापुर, कर्णाटक

गोल गुम्बज़ बीजापुर का सबसे मशहूर स्मारक है. यह स्मारक सत्रहवीं सदी में बना और मोहम्मद आदिल शाह ( शासन 1627 - 1656 ) के परिवार के सदस्यों का मकबरा है. इस विशालकाय गुम्बद के नीचे कोई स्तम्भ या आधार नहीं है बस एक बहुत बड़ा और बहुत ऊँचा हाल है. इस बनावट के कारण ही इसे 2014 में यूनेस्को ने अपनी अस्थाई विश्व धरोहर की लिस्ट - 'दक्कनी सुल्तानों के किले और स्मारक' में शामिल किया था. 

बीजापुर कर्णाटक प्रदेश का एक जिला है जिस का नाम अब विजयपुरा है. यह शहर बैंगलोर से 520 किमी और मुंबई से 550 किमी दूर है. आदिल शाही ( 1490 - 1686 ) ज़माने की बहुत सी सुन्दर इमारतों के लिए बीजापुर मशहूर है. 

गोल गुम्बज का डिज़ाइन फ़ारसी वास्तुकार याकूत ने तैयार किया था. यह इमारत 1626 में बननी  शुरू हुई और 1656 में मुकम्मल हुई. इसमें हलके पीले रंग का बेसाल्ट पत्थर और चूना- पीसा शंख का पलस्तर किया गया है. चार बड़ी और सात मंजिल ऊँची मीनारें गुम्बद को सपोर्ट करती हैं. इन मीनारों में ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां हैं. चारों 'खम्बों' के ऊपर छोटे गुम्बद हैं. छठी मंज़िल से बालकनी या गलियारे में जा सकते हैं और नीचे हाल की कार्रवाई को बखूबी देख सकते हैं. वेटिकन सिटी रोम के आलावा ये दूसरा बड़ा गुम्बज कहा जाता है.

गोल गुम्बज़ की एक और खासियत है acoustics या ध्वनि प्रबंधन. गैलरी में बैठे लोगों की बातचीत या फुसफुसाहट भी सुनी जा सकती है. अर्थात किसी को गला फाड़ कर बोलने की ज़रुरत नहीं थी. और अगर कोई षड्यंत्रकारी किसी के कान में फुसफुसा कर बोल रहा हो तो वो भी सुना जा सकता था और सिपाहियों को सतर्क किया जा सकता था. 

बीजापुर का इतिहास बड़ा उथल पुथल वाला और रोचक रहा है. देखिये कितने राजा, सुल्तान और पेशवा यहाँ आए:

ये शहर बसाया था पश्चिमी चालुक्य राजाओं ने, जिन्होंने 535 से 757 तक राज किया. 

राष्ट्रकूट राजा यहाँ 757 से 973 तक रहे. 

इस से आगे लगभग 1200 तक कलचुरी और होयसला शासन रहा. 

कुछ समय देवगिरि, यादव और उसके बाद 1312 में मुस्लिम शासन शुरू हुआ. 

1347 में बिदर के बहमनी वंश ने बीजापुर पर कब्ज़ा कर लिया और बहमनी राज 1489 तक चलता रहा. 

उसके बाद आदिल शाही वंश शुरू हुआ और यह वंश 1686 तक यहाँ काबिज रहा. 

औरंगजेब ने आदिल शाही सुल्तान को हरा दिया और बीजापुर पर मुग़ल शासन 1723 तक चला. 

1724 में स्वतंत्र हैदराबाद राज्य के निज़ाम ने बीजापुर को अपने राज में मिला लिया. 

1760 में मराठा फ़ौज ने बीजापुर पर अधिकार जमा लिया.

1818  के मराठा - ब्रिटिश युद्ध में अंग्रेजों की जीत के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बीजापुर पर अधिकार जमा लिया और सतारा के राजा को दे दिया.

1848 में अंग्रेजों ने बीजापुर वापिस ले लिया क्यूंकि सतारा के राजा की कोई संतान न थी. 

1885 में बीजापुर को मुख्यालय बना दिया गया.

1956 में बीजापुर मैसूर राज्य में शामिल हुआ जो बाद में कर्णाटक कहलाया.

प्रस्तुत हैं गोल गुम्बद की कुछ फोटो और दो वीडियो: 

गोल गुम्बज़. इस गोल गुम्बद का व्यास 44 मीटर है 

दाहिनी ओर का सात मंजिला 'स्तम्भ' 
    
बाईं ओर का सात मंज़िला 'स्तम्भ' जिसके ऊपर एक छोटा गुम्बद है. इस तरह के चार स्तम्भों पर मुख्य गुम्बद टिका हुआ है 

पुरातत्व विभाग का संग्रहालय जो कभी नक़्क़ारखाना हुआ करता था 

म्यूजियम के बाहर आदिल शाही तोप 

गुम्बद के नीचे हॉल जो 41 मीटर X 41 मीटर है 

एक बड़े और ऊँचे चबूतरे पर परिवार की कब्रें 

रौशनी के लिए बनाए गए रौशनदान. फर्श से छत की ऊंचाई 60 मीटर है 

शायद इस फोटो से हॉल का अंदाज़ा लग जाएगा  

लैंप-पोस्ट 

रिसेप्शन जिसमें सुरक्षा व्यवस्था थी. यहाँ से अंदर आने वालों पर नज़र रखी जाती थी और अंदर आने वालों की   जांच भी की जाती थी 

गोल गुम्बज़ का नक्शा विकिपीडिया से सधन्यवाद 

गोल गुम्बज़ पर जारी पुराना डाक टिकट 
   
                                                         गोल गुम्बज़ बीजापुर कर्णाटक  

                                                              गोल गुम्बज बीजापुर कर्णाटक 


बीजापुर कर्णाटक से सम्बंधित अन्य फोटो ब्लॉग :

1. बीजापुर कर्णाटक -https://jogharshwardhan.blogspot.com/2024/01/11.html

2. बीजापुर के स्मारक -- https://jogharshwardhan.blogspot.com/2024/06/blog-post_13.html

                                               मेरठ - बैंगलोर - मेरठ कार यात्रा, भाग - 32 

1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2024/06/blog-post_23.html