तेलंगाना सरकार द्वारा बनाया गया बुद्धवनम एक विशाल थीम पार्क है जो 279 एकड़ में फैला हुआ है. यह पार्क कृष्णा नदी के उत्तरी किनारे पर नागार्जुन सागर के पास है. यह वन या वनम चार बड़े बड़े भागों में बना है - बुद्धचरितवनम, जातककथा वनम, ध्यानवनम और स्तूपवनम. चारों भागों में सुन्दर चित्रकारी, मूर्तियां, जातक कथाओं का चित्रण और बाग़ बगीचे हैं. घूमने के लिए समय और मज़बूत टांगें चाहिए! दिन में तीखी धूप होती है, अपना ख़याल रखें. नागार्जुन कोंडा बुद्धिस्ट म्यूजियम भी पास ही है वहां भी जा सकते हैं पर उसके लिए पूरा दिन चाहिए. वहां जाने के लिए फेरी लेनी होगी जो 45 मिनट जाने में और इतना ही समय आने में लेती है. नागार्जुन सागर के पास इसी नाम से एक क़स्बा भी है जहाँ रहने के लिए होटल वगैरह मिल जाएंगे. ऑटो और टैक्सी सुविधा भी आसानी से उपलब्ध है. सरकारी रिसोर्ट भी हैं जिनमें पहले बुकिंग करना ठीक रहेगा.अक्टूबर से मार्च तक काम गर्मी है इसलिए ये समय घूमने के लिए अच्छा है.
कुछ फोटो और 2 वीडियो प्रस्तुत हैं.
|
1. बुद्धवनम का मुख्य हॉल |
|
2. हॉल के अंदर |
|
3. आचार्य नागार्जुन की प्रतिमा |
|
4. पर्यटक |
|
5. ध्यानवनम में स्थापित आवुकन बुद्धा मूर्ति जो श्रीलंका द्वारा भेंट की गई है. मूल मूर्ति ग्रेनाइट पत्थर की है और आवुकन गांव उत्तरी श्री लंका में पांचवी शताब्दी में बनाई गई थी. |
|
6. वन में स्तूप |
|
7. धम्म चक्र |
|
8. कटहरी जातक कथा का चित्रण. संक्षेप में ये जातक कथा इस प्रकार है: एक राजा शिकार पर निकला तो जंगल में उसने एक सुन्दर स्त्री देखी जो सूखी लकड़ियां चुन रही थी. दोनों का मिलन हुआ. राजा ने उसे अपनी अंगूठी दी और कहा - अगर तुम गर्भवती हो जाओ और लड़की पैदा हो तो अंगूठी बेच कर लड़की पाल लेना. अगर लड़का हुआ तो मेरे पास ये अंगूठी ले कर आ जाना. स्त्री का ( बोधिसत्व ) लड़का पैदा हुआ. कुछ बड़ा होने पर वह बार बार पूछने लगा कि मेरा पिता कौन है? एक दिन वह उसे दरबार में ले गई. राजा ने शर्म के मारे उस बच्चे को अपनी सन्तान मानने से इनकार कर दिया. स्त्री ने कहा: सच जानने के लिए इस बच्चे को मैं हवा में उछाल देती हूँ. अगर ये लटका रहा तो तुम्हारा वर्ना गिर कर तो ये मर जाएगा. यह कह कर स्त्री ने बच्चे को उछाल दिया. राजा ने तुरंत छलांग लगाई और बच्चे को पकड़ लिया. बाद में बच्चा राजकुमार बना और स्त्री रानी. पिता की मृत्यु होने के बाद वह राजगद्दी पर विराजमान हुआ |
|
9. बोरोबुदुर, इंडोनेशिया में हस्ती जातक कथा का चित्रण जिसका पुनर्चित्रण जातकवनम में किया गया है. संक्षेप में कथा इस प्रकार है: 1. कुछ लोग जंगल की सीमा पर थके-मांदे और हताश एक पेड़ के नीचे बैठे थे. हाथी जो बोधिसत्व था( बुद्ध के मार्ग पर चलने वाला और दूसरों को बुद्ध का मार्ग दिखाने वाला बोधिसत्व कहलाता है ), ने पुछा - मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ? उन्होंने बताया की राजा ने उन्हें शहर से निकाल दिया है और वो कई दिनों से भूखे प्यासे भटक रहे हैं. बोधिसत्व हाथी ने सोचा इन्हें जंगल में खाने के लिए कुछ भी नहीं मिलेगा और ये यूँ ही दम तोड़ देंगे. 2. हाथी ने उन लोगों से कहा कि पहाड़ी के दूसरी ओर चले जाएं वहां झील के पास एक हाथी मरा हुआ है. कुछ दिनों के लिए आपका खाना पीना हो जाएगा. 3. यह कहने के बाद हाथी ने पहाड़ी पर चढ़ कर छलांग लगा दी और झील किनारे गिर कर मर गया. 4. भूखे प्यासे लोगों ने उस हाथी को पहचान लिया और परोपकार के लिए धन्यवाद किया. बाद में हाथी की अस्थियों पर उन लोगों ने एक स्तूप बना दिया. कालांतर में उस परोपकारी हाथी के स्तूप की पूजा होने लगी |
|
10. गौतम बुद्ध उपदेश देते हुए - भित्ति चित्र |
|
11. बौद्ध दर्शन के जाने माने आचार्य नागार्जुन का भित्ति चित्र. नागार्जुन ने लगभग पहली शताब्दी में 'मूलमाध्यमक-कारिका' की रचना की. उन्हें शून्यवाद का जनक कहा जाता है. आचार्य नागार्जुन के अनुसार वस्तुएं निःस्वभाव हैं और स्वतंत्र सत्ता से शून्य हैं. सभी वस्तुएं एक दूसरे पर निर्भर हैं |
|
12. गोलाकार दीर्घा से एक दृश्य |
|
13. हॉल के दरवाज़ों पर सुन्दर नक्काशी |
|
14. हैदराबाद से बुद्धवनम 140 किमी दूर है और गुंटूर से 150 किमी |
15. स्तम्भों पर नक्काशी
16. हाल का एक दृश्य
और अधिक जानकारी इस साइट से भी ली जा सकती है: buddhavanam.telangana.gov.in
मेरठ - बैंगलोर - कार यात्रा, भाग - 28
3 comments:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2024/06/blog-post_4.html
बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर लेखन शैली अती सुंदर
Post a Comment