Pages

Tuesday, 15 January 2019

चौंसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो

योग पुरुष करे तो योगी और महिला करे तो योगिनी! पर ये चौंसठ योगिनी का क्या अर्थ है ये नहीं समझ आया. ऐसी मान्यता है की ये चौंसठ योगिनियाँ पार्वती की सखियाँ थी और शिव भक्त थीं. इनके मन्दिर भी अलग तरह के हैं जिनके बारे में पूरी पूरी ऐतिहासिक जानकारी अभी तक नहीं मिली है.

बताया जाता है की चौंसठ योगिनियों का सम्बन्ध तंत्र विद्या से है. चौंसठ में से आठ मुख्य योगिनियाँ हैं : 1. सुर-सुंदरी 2. मनोहरा 3. कनकवती 4. कामेश्वरी 5. रति-सुंदरी 6. पद्मिनी 7. नतिनी और 8. मधुमती. वैसे सभी 64 योगिनियों के नाम और गुण अलग अलग हैं, उनके 64 अलग अलग मन्त्र हैं और 64 अलग अलग ही भजन भी हैं. आप गूगल करें तो इस विषय पर बहुत कुछ मिलेगा.

भारत में पिछले लगभग दो सौ सालों से इन मंदिरों का नाम आगे आया है. चौंसठ योगिनी मंदिर कई स्थानों पर मिले हैं जैसे कि मितावली जिला मोरेना, हीरापुर ओडिशा, रानीपुर ओडिशा, खजुराहो और भेड़ाघाट जबलपुर. खजुराहो के चौंसठ योगिनी मन्दिर को छोड़ कर बाकी सभी मंदिर गोलाकार हैं. बड़े गोले में चौसठ छोटे छोटे मंदिर या कोष्ठ - cell हैं और उनके दरवाज़े बीच में खुलते हैं. गोले के बीच में छोटा मंदिर है जिसमें या तो शिव की मूर्ति है या फिर शिवलिंग स्थापित है. गोलाकार मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व में है जैसा की आम मंदिरों में होता है. केवल खजुराहो का मंदिर आयताकार है और खजुराहो के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है.

खजुराहो का चौंसठ योगिनी मंदिर शिव सागर के पास है. यह एक 5.4 मीटर ऊँची जगती या प्लेटफार्म पर बना हुआ है. 31.4 मीटर गुणा 18.3 मीटर के आयत में फैला हुआ है. बाहरी दीवार में 65 कोष्ठ बने हुए थे जिनमें से अब 35 ही बचे हैं. ये कोष्ठ केवल एक मीटर ऊँचे और एक ही मीटर गहरे हैं. इनमें से एक कोष्ठ बड़ा और उंचा है जो सम्भवत: दुर्गा मंदिर रहा होगा. पूरे मंदिर में बड़े बड़े चौरस और आयताकार अनघड़ या रफ़ पत्थरों को इस्तेमाल किया गया है.

खजुराहो के पश्चिमी मंदिरों से यहाँ पैदल भी जा सकते हैं. कोई टिकट नहीं है और कोई गाइड भी नहीं मिला हमें. कोई सज्जन वहां पूजा करवा रहे थे उन्होंने ही जानकारी दी. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

1. छोटे छोटे 65 कोष्ठ या चैम्बर थे जिनमें से 35 बचे हैं 

2. इन छोटे कोष्ठों में फिलहाल कुछ भी नहीं है 

3. पीछे खजुराहो के पश्चिमी मंदिर नज़र आ रहे हैं 

4. एक उंचा मंदिर जो शायद दुर्गा मंदिर रहा होगा . इसी में पूजा हो रही थी 

5. बाहरी दीवार 

6. प्रवेश के लिए सीढियां 

7. मंदिर के सामने मैदान में भी कुछ है. संरक्षण की सख्त जरूरत है  




1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/01/blog-post_15.html