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Saturday, 30 January 2016

जी हुज़ूर

गोयल साब ने केबिन छोड़ने से पहले घर फोन लगाया:
- सुनो उषा मैं साहब के घर हो कर आऊंगा थोड़ी देर हो जाएगी घर आने में.
- अरे परसों ही तो गए थे.
- तू समझती नहीं अरे मैं आकर बताता हूँ. फोन रख कर गोयल साहब ने जेब से छोटी कंघी निकली, बालों पर फेर कर बाल सेट कर लिए और बाहर निकल पड़े.

गोयल साब से आप मिले नहीं का ? मिलना चाहिए भई. आइये हम ही मिलाय देते हैं. गोयल साब हमारे बैंक के बड़के अफसर हैं भई. रीजनल मनीजर हैं भैय्या. पूरा का पूरा झुमरी तलैय्या का रीजनवा सँभालते हैं कौनो मजाक है ? चाहे गाय भैंसिया का लोन हो, चाहे फक्टरी लगाना हो या ट्रक गिरवाना हो सब का लोन करते हैं. कलम की पॉवर है भाई एक करोड़ की. इधर कलम चली उधर रुपया गिरा आपके खाते में. बस फाइल के कागजा पूरे किये जाओ और पैसवा लिए जाओ. बस अभी बोतल ले के गए हैं अंदर कोठी में. जी-एम साब के साथ दो ठो पेग लगा के आते होंगे. बची हुई हमें भी मिल जाती है ना जी. साब की गाड़ी भी तो हमीं ना चलाते हैं ?

गोयल साब वापस आये और डिनर करने के साथ-साथ उपदेश भी देने लगे:
- देखो उषारानी साब लोगों के घर बोतल लेकर जाना जरूरी होता है ये समझ लो. अपनी प्रमोशन का नंबर इस साल आने वाला है और इसी जी-एम ने नंबर भी देनें हैं. इसलिए ये तो अपनी इन्वेस्टमेंट है.
- अजी बोतल दे आये गंजे को वो तो ठीक है आप तो दिवाली में सोना भी दे आये गंजे की घरवाली को. लोगों की घरवाली खुश रहे बस. और अपनी ? अपनी खाली हाथ बैठी रहे.
- अरे क्या हो गया जो होली दिवाली में दे दिला दिया तो - हैं ? और फिर कौन सा अपनी जेब से जाता है ? भई इधर से आता है कुछ % उधर चला जाता है. इस साल सुसरे पर एक लाख खर्चा कर दिया है और अगर इस सुसरे ने पोस्टिंग सही कर दी तो बस वसूली पूरी हो जाएगी.
- तुम्हारा हिसाब किताब तुम्हीं जानो. इस बार मेरी दिवाली ज़रा ढंग से होनी चाहिए.
- चिंता ना करो तुम उषारानी.

कुछ दिनों बाद एक सुबह महतो ड्राईवर कुछ बदहवास सा लग रहा था देखते ही बोला:
- नमस्ते साब ! हम बड़के साब की कोठी से आ रहे हैं. चार सरकारी गाड़ी खड़ी है जी वहां सब लाल बत्ती वाली. पांच चार पुलिसिया भी हैं जी वहां. बता रहे हैं की कौनो रेड पड़ गई है जी.
- अच्छा अच्छा तुम गाड़ी निकालो.

एक मिनट के लिए गोयल साब सुन्न हो गए. फिर सम्भले तो बहुत सी चीज़ें और ख्याल सर में मंडराने लगे. फिर फुसफुसाए:
- सुनती हो उषा ? महतो कह रहा की साब के घर रेड पड़ गई है. एक काम करो कीमती सामान ले के निकल लो और अपनी सहेली के यहाँ छोड़ आओ. और हाँ कोई पूछे तो कह देना कि तुम जी-एम वी-एम को नहीं जानती हो ना उसकी घरवाली को. वो तो ऑफिस की वजह से नाम वाम सुना है बस. हम तो दाल रोटी खाते हैं और प्रभु का गुण गाने वालों में से हैं.
स्साला एक लाख तो गया नाली में ऊपर से एक दो और लग जाएगा सेटिंग बैठाने में. जाने आज का दिन कैसा निकला है सुसरा सुबह सुबह मूड ऑफ कर दिया.

जी हुज़ूर 


1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/01/blog-post_30.html