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Wednesday, 27 January 2016

चीफ साहब

हमारे चीफ साब बड़े सलीके से काम करते थे. टेबल बिलकुल साफ़ होनी चाहिए, टेबल पर केवल एक राइटिंग पैड होना चाहिए और उसके साथ एक पेंसिल रक्खी होनी चाहिए बस. यही नहीं कपड़ों के मामले में भी सलीका होना चाहिए. चकाचक सफ़ेद शर्ट, पोलिश की हुई बेल्ट, टाई और चमकते हुए जूते ये उनकी खासियत थी. जेब में हमेशा दो महंगे से पेन लगे रहते थे एक से वो दस्तखत करते थे और दूसरे से नोट लिखते थे.

बैंक में केरीयर की शुरुआत सीधे पीओ से हुई थी. मेहनत और लगन से काम करने वाले थे. जैसे घोड़े की आँखों पर दाएं बाएं पतरे लगा दिए जाते हैं ताकि वो केवल आगे देख सके उसी तरह चीफ साब ने भी खुद ही पतरे लगा लिए थे और वो केवल आगे ही देखते थे. जल्दी जल्दी प्रोमोशन लेना चाहते थे. ये सारी क़ाबलियत देख कर ही उन्हें शेयर विभाग सौंपा गया था.

अब आप देखिये कि हमारा शेयर विभाग छोटा मोटा नहीं है. किट्टी में एक करोड़ से लेकर सौ करोड़ रूपए तक फण्ड होता है रोज़ शेयर बिकते भी हैं और ख़रीदे भी जाते हैं पर साब मजाल है की किसी लेनदेन में कभी घाटा हुआ हो. हमारे चीफ साब के रहते एक भी डील बिना प्रॉफिट के बुक नहीं होती थी. चश्में के लेंस में से डील की सारी बारीकियां देख लेते थे. धाक थी चीफ साब की.

पर घर रोज़ लेट पहुँचते थे चीफ साब. इसकी वजह से घरवाली और दोनों बच्चे अक्सर नाराज़ हो जाते थे. पर इनको कौन समझाए कि अगर काम करना है तो परफेक्शन होनी चाहिए न ? रही घुमने फिरने की बात तो बहुत लम्बी जिन्दगी पड़ी है घूम लेंगे पता नहीं क्या जल्दी है इनको ? और सेहत तो ठीक ही है क्या हुआ है मेरी सेहत को ?

11 मई 1998 को चीफ साब की टेबल पर बैंक की फण्ड पोजीशन रख दी गई. शेयर बाज़ार ठीक ठाक था. बैंक की सेल कम थी और परचेज़ ज्यादा होनी थी. चीफ साब ने सेल / परचेज़  करने वाले शेयर्स के नाम लिख कर नोट जीएम साब को भेज दिया. जीएम साब ने दस्तखत करके ईडी साब को भेज दिया. ईडी साब ने ओके करके चेयरमैन साब को भेज दिया वहां भी ओके हो गई. नोट वापिस आ गया डील की कारवाई पूरी कर ली गई तो चीफ साब ने इत्मिनान से चाय की चुस्की ली.

चाय के साथ साथ टीवी पर शेयर के बाज़ार भाव पर भी नज़र थी. उन्होंने दुबारा नज़र डाली टीवी पर और फिर जल्दी से दूसरे मोनिटरों पर नज़र डाली. ये क्या ? ब्रेकिंग न्यूज़ -
"भारत द्वारा पोखरण में परमाणु बम विस्फोट, अमेरिका ने पाबंदियां लगाईं, शेयर बाज़ार नीचे गिरा".

चीफ साब के चेहरे की रंगत उड़ गई और शरीर ढीला पड़ गया. जल्दी से डील निकाल कर दुबारा टीवी पर देखने की कोशिश की पर बेकार सारा बाज़ार ही नीचे लुढ़क रहा था. आज की सारी की सारी डील में घाटा हो गया. चीफ साब ने सर पकड़ लिया.

पर बाहर ऑफिस में खबर फैली तो ज्यादातर लोग खुश थे. कुछेक चुस्त बन्दों ने मिठाई भी बांटना शुरू कर दी थी. एकाध ने हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगा दिए. इस माहौल में किसी ने चीफ साब की ओर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने जीएम साब को इण्टरकॉम पर सारी स्थिति बताई, ड्राईवर को बुलाया और चुपचाप घर चले गए.

घर जाकर बोले 'चाय बना दो तबियत ठीक नहीं लग रही है '. यह कह कर वो कुर्सी में लुढ़क गए. जब तक चाय आती तब तक सांसें बंद हो चुकी थीं.

जीवन संध्या 


1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/01/blog-post_27.html