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Friday, 9 November 2018

राम राजा मंदिर, ओरछा

झाँसी से करीब 18 किमी दूर झाँसी-खजुराहो मार्ग पर है ओरछा. और यहाँ पर है ओरछा मंदिर या राम राजा मंदिर. यहाँ भगवान राम की पूजा राजा के रूप में की जाती है. बल्कि ओरछा को आम तौर पर राम राजा नगरी भी कहा जाता है. पुलिस की एक टुकड़ी सुबह और शाम की आरती के बाद राजा राम को सलामी भी देती है. इस मंदिर से जुड़ी एक कहानी भी है जो संक्षेप में इस प्रकार है:

ओरछा के राजा मधुकर शाह जू देव (1554-1592 ) बांके बिहारी के उपासक थे और रानी गणेश कुँवरि भगवान् राम की भक्ति में मगन रहती थी. जब राजा वृन्दावन जाते और तो रानी अयोध्या चली जाया करतीं. एक दिन राजा ने रानी को कृष्ण उपासना करने के लिए वृन्दावन साथ चलने को कहा. दोनों जब वहां पहुंचे तो मंदिर बंद हो चुके थे परन्तु कुछ भक्त मंदिर के बाहर ही भजन कीर्तन कर रहे थे. दोनों उन्हीं में शामिल हो गए और संगीत के साथ नाचते रहे. राजा को लगा की स्वयं बांके बिहारी उनमें समा गए हैं. अगले बरस राजा फिर से वृन्दावन की ओर चले तो रानी ने साथ ना जाकर अयोध्या जाना चाहा. क्रोध में राजा ने कहा की अगर अयोध्या जा रही हो तो अपने राम को ओरछा में लेकर आना खाली हाथ नहीं आना.

रानी ने भी निश्चय कर लिया और अयोध्या पहुँच कर सरयू किनारे डेरा डाल दिया. कई महीनों तक राम राजा के दर्शन नहीं हुए. खाना पीना त्याग दिया. अंत में रानी सरयू में कूद पड़ीं. जल में राम के दर्शन हुए और रानी ने पूरी बात बताई. राम राजा ने ओरछा जाना स्वीकार कर लिया पर शर्तें लगा दीं कि:
- पूरी यात्रा पैदल होगी और यात्रा केवल पुष्प नक्षत्र में होगी,
- ओरछा पहुँचने पर ओरछा में मेरा राज होगा और
- मूर्ति एक स्थान पर रखने के बाद हिलेगी नहीं.
राजा को संदेशा भेज दिया गया कि रानी राम राजा के साथ आ रही हैं. ओरछा में राम मंदिर बनाने की तैयारी शुरू हो गयी. रानी बालक राम की मूर्ति गोद में लेकर पैदल चलती रहीं और आठ महीने सत्ताईस दिन बाद अपने महल में पहुँचीं. स्वागत के दौरान राजा ने अचानक रानी से पानी माँग लिया तो रानी ने मूर्ती रख दी और राजा को पानी दिया. पर फिर मूर्ति तो वहां से हिलाई नहीं जा सकी और महल को ही मंदिर बनाना पड़ा. जो भव्य और विशाल चतुर्भुजा मंदिर तैयार किया गया था वह आज भी मूर्ति के बगैर ही है.
प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

ऊँची जगती ( प्लेटफार्म ) पर बना चतुर्भुजा मंदिर जिसमें कोई मूर्ति नहीं है. दाएँ सफ़ेद रंग में राम राजा मंदिर है 

राजा महल में राजा का शयन कक्ष. इस कक्ष में ये जाली बनवाई गई थी जहां से राजा सुबह मंदिर का दर्शन करते थे 

चांदनी रात में चतुर्भुजा मंदिर 

राम राजा मंदिर का प्रवेश 

राम राजा मंदिर 

पुलिस की टुकड़ी यहाँ सलामी देने के लिए तैनात रहती है 

राम, जानकी और लक्ष्मण की एक पत्थर की मूर्ति जो राजा महल के म्यूजियम में रखी हुई है. कपड़े और मुकुट कुछ अलग से हैं  




1 comment:

Anonymous said...

Acchi jankari