दिल्ली से बंगलुरु की लम्बी कार यात्रा की तैयारी चल रही थी. अपनी गाड़ी इको स्पोर्ट्स को फोर्ड की वर्कशॉप में ले गए - बैटरी, लाइटें, इंजन आयल, गियर आयल, ब्रेक, बैलेंसिंग चेक कराई और टंकी में डीज़ल टनाटन भरवा लिया.
अब पानी की बोतलें, बिस्कुट, नमकीन, ड्राई फ्रूट, शहद, ग्लूकोस, लौंग,सौंफ, इलायची वगैरा पैक हो गए. इस्तेमाल करके फेंकने वाले गिलास, प्लेटें और चम्मचे रख लिए. योगा की चटाइयां रख लीं. फिर भी एहतियातन डॉ तनेजा से गोलियों का एक पैकेट बनवा लिया - खांसी जुकाम, बदहजमी, बदन दर्द वगैरा के लिए जो वैसा का वैसा वापिस आ गया.
हम तीन यात्री थे - हर्ष 68, गायत्री 64 और यश 32. छुट्टी का सवाल केवल यश के लिए था हम साठ से ऊपर वालों के लिए छुट्टी का कोई झगड़ा नहीं था. तीन बैग तैयार हो गए. रास्ते का मौसम गर्म ही रहना था इसलिए कम कपड़े ही पैक किये. टोपियाँ और चश्मे भी ले लिए. तीन मोबाइल, एक आई पैड, एक कैमरा, एक हॉटस्पॉट, एक पॉवर बैंक और इन सब के चार्जर का एक थैला तैयार कर लिया. दस दस के काफी सारे नोट रख लिए. टोल देने में, स्मारकों के टिकट लेने में और टिप वगैरा देने में काम आते हैं. यहाँ तक का पैकिंग का काम तो आसान था क्यूंकि ऐसी कई लम्बी लम्बी यात्राएं पहले की हुई थीं.
अब सवाल था कि कौन से रूट से जाना है? कई बार नक़्शे देखे और कई रूट बनाए. राजस्थान - गुजरात होते हुए जाएँ या फिर मध्य प्रदेश होते हुए? पहला रूट देखा हुआ था और दूसरे रूट का मतलब था कि ग्वालियर, मोरेना भोपाल होते हुए. अब मोरेना के नाम पर ब्रेक लग रही थी. कई दिनों तक विचार होता रहा और बहस चलती रही पर आखिर में मोरेना होते हुए जाने का प्रस्ताव पास हो गया. जो होगा देखा जाएगा. चलने से पहले हज़ार तरह के सवाल खोपड़ी में घूमते हैं सर भारी हो जाता है. पर जब घूम घाम के डेरे पर वापिस आ गए तो लगता है कि खामखा सर पर बोझा उठाया हुआ था.
फाइनल रूट तैयार था जिसमें जरूरत पड़ने पर चलते चलते फेर बदल भी किया जा सकता था:
दिल्ली > ग्वालियर > खजुराहो > भोपाल > नागपुर > हैदराबाद > बंगलुरु.
फैसला ठीक ही रहा. रास्ते में दाएं बाएं छोटे पड़ाव भी डलते रहे और देखने को अच्छी जगहें भी मिली. मसलन: मितावली, पड़ावली, बटेसर, दतिया, ओरछा, रानेह, भीमबेटका, साँची, उदयगिरी, नैनागिरी, बोर डैम, सेवा ग्राम, कद्दम, कुरनूल, उरवाकल, लिपाक्षी, देवनहल्ली वगैरा.
यात्रा अठारह दिन चली और 2434 किमी लम्बी रही. ना गाड़ी ने और ना किसी सवारी के स्वास्थ्य ने परेशानी दी. इस यात्रा के कुछ फोटो ब्लॉग लिख कर फेसबुक, ट्विटर और गूगल + में डाल दिए हैं. कुछ अभी लिखने बाकी हैं. यात्रा में तरह तरह के ऐतिहासिक किले, स्मारक, मंदिर और सुंदर कुदरती नज़ारे देखने को मिले. यात्रा की कुछ फोटो प्रस्तुत हैं.
कमाल की विभिन्नता, खूबसूरती और गजब की धरोहर है हमारे भारत की.
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उदयगिरी की गुफाएं, जिला विदिशा, मध्य प्रदेश. |
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उर्वाकल की सिलिका चट्टानें जिला कुरनूल, आन्ध्र प्रदेश |
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ज़ीरो माइल स्टोन नागपुर |
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खजुराहो |
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चार मीनार हैदराबाद, तेलंगाना |
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गाँव मितावली, जिला मोरेना, मध्य प्रदेश |
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रानेह जल प्रपात जो कि केन नदी पर है, जिला छतरपुर, मध्य प्रदेश
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ग्वालियर किले में यात्री |
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भीमबेटका रॉक शेल्टर्स जिला रायसेन, मध्य प्रदेश |
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साँची जिला रायसेन, मध्य प्रदेश |
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गोलकोंडा हैदराबाद, तेलंगाना |
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बोर डैम रिसोर्ट, जिला वर्धा, महाराष्ट्र |
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देवनहल्ली मंदिर, बंगलुरु |
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आखरी पड़ाव बंगलुरु, कर्नाटक |
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दिल्ली - बंगलुरु यात्रा 18 दिन और 2434 किमी |
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