झांसी से 17 किमी दूर है ओरछा और ओरछा से लगभग 200 किमी दूर है खजुराहो. आम तौर पर टूरिस्ट सीधे खजुराहो ही निकल जाते हैं. पर टूरिस्ट के लिए ओरछा भी कम नहीं है. मंदिर, छतरियां और महल तो हैं ही साथ ही नदी, पहाड़ियाँ और जंगल भी पास में हैं. बेतवा नदी में राफ्टिंग की जा सकती है और जंगल में ट्रैकिंग. ओरछा के राम राजा सरकार मन्दिर में सालाना सात लाख लोग आते हैं और यहाँ 25-30 हजार परदेसी टूरिस्ट भी आते हैं. ओरछा में देखने के लिए राजा महल, जहाँगीर महल, राय प्रवीण महल, हमाम खाना और ऊंट खाना है जिनकी वास्तु कला अलग है. नदी किनारे पंद्रह बुंदेला राजाओं की सुंदर छतरियां ( स्मारक ) भी हैं.
कहा जाता है कि बुंदेला राजपूत राजा रूद्र प्रताप सिंह ने 1531 में ओरछा शहर और राज की स्थापना की थी. इन्टरनेट में देखा तो लिखा है की राजा मिहिर भोज ने आठवीं शताब्दी में ओरछा बसाया था. बहरहाल ओरछा का किला रूद्र प्रताप सिंह का बनवाया हुआ है. ओरछा जिला निवाड़ी का एक भाग है ( कहीं कहीं जिला टीकमगढ़ भी लिखा हुआ था ). ओरछा पुराने समय से ही ज्यादातर गुमनाम सा ही रहा है और अब तक भी सैलानियों के नक़्शे में कम ही आता है. इलाका पिछड़ा सा जरूर है पर यहाँ हर तरह के होटल और सुविधाएं उपलब्ध हैं.
यहाँ की बोली थोड़ी सी अलग है और इसे बुन्देली कहते हैं. स्थानीय लोगों से बातचीत की तो पता लगा की बोलने का अंदाज़ अलग है, शब्दों का भण्डार बड़ा है और कहावतों और लोकोक्तियों की कमी नहीं है. मसलन
"गधन के मौर बाँध दई" याने गधे के सर पर ताज रख दिया.
"घोड़न को चारो गधन को नईं डारो जात" घोड़े का चारा गधों को नहीं दिया जाता.
एक और रोचक कहावत गाइड ने बताई:
इक हते राम इक हते रावन्ना,
जे हते ठाकुर वे हते बामन्ना,
उन्ने उनकी नार हरी,
उन्ने उनकी नास करी,
बात बात को बातन्ना,
तुलसी बाबा को पोथन्ना!
प्रस्तुत हैं ओरछा की कुछ फोटो:
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बेतवा नदी और नदी किनारे बुंदेला राजाओं की छतरियां |
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बेतवा नदी. ये नदी अभी तक तो काफी साफ़ है. मानसून में पानी तीन चार फुट ऊपर आ जाता है और पत्थर दिखाई नहीं पड़ते. बाईं ओर किले की दीवार है |
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नदी के दूसरी ओर रिज़र्व जंगल है. इस जंगल में कुछ गाँव भी हैं . यहाँ ट्रैकिंग की जा सकती है |
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बाढ़ में पुल को काफी नुक्सान हुआ. अब दूसरी ओर जाना मुश्किल हो गया है |
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प्रविश नगर कीजे सब काजा, ह्रदय राखि कौशलपुर राजा. राम राजा नगरी ओरछा का द्वार |
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शहर की सीमा. कभी यहाँ सैनिक रहते होंगे |
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राजा महल |
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ओरछा वासी |
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नगर पंचायत द्वारा बनाया गया प्रतीक्षालय |
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ओरछा वासी के साथ |
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ओरछा वासी |
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ओरछा वासी |
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बेतवा नदी और तीन देवियाँ |
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बहुत कठिन है डगर जीवन की |
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बेतवा नदी में एक शिवलिंग |
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पुराने महल में नए ज़माने के हाथी घोड़े |
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चतुर्भुजा मंदिर |
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