कहावत है कि ऊंट रे ऊंट तेरी कौन सी कल सीधी ? इन दो कूबड़ वाले ऊंटों को देख कर लगता है कि ये कहावत बिलकुल सही है ! भारत में ये दो कुब्बे ऊंट केवल लद्दाख की नुब्रा घाटी में ही पाए जाते हैं. वैसे भी दुनिया में दो कुब्बे ऊंट कम ही स्थानों पर पाए जाते हैं और ये सभी स्थान ठन्डे रेगिस्तान हैं - गोबी मरुस्थल मंगोलिया, अल्ताई पहाड़ियां रूस और तक्लामाकन मरुस्थल चीन. इन ऊँटों की संख्या घटती जा रही है और ये प्रजाति लुप्त होने के कगार पर है.
दो कुब्बे ऊंट को जीव विज्ञान में
camelus bactrianus कहते हैं और आम भाषा में बैक्ट्रियन ऊंट कहते हैं. यह लगभग 40 - 50 साल तक जीता है. वयस्क ऊंट की कूबड़ तक की ऊंचाई दो मीटर से ऊपर भी जा सकती है. सिर्फ कूबड़ ही 30 इंच तक का हो जाता है. इसका वजन सात सौ से लेकर एक हजार किलो तक हो सकता है. रेगिस्तान का ये जहाज 60 - 65 किमी प्रति घंटे की दौड़ भी लगा लेता है. सामान्यत: इस की चाल 30 - 35 किमी प्रति घंटे की रहती है.
नुब्रा घाटी लगभग 10,000 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख में स्थित है. घाटी में पहुँचाने के लिए लेह से खार्दुन्ग-ला होते हुए जाया जा सकता है. घाटी के मुख्य स्थान या बड़े गाँव हैं डिस्किट और हुन्डर. डिस्किट लेह से 150 किमी दूरी पर है. यहाँ शयोक नदी और नुब्रा नदी की घाटियाँ हैं. हुन्डर के आस पास रेत के बड़े बड़े टीले हैं. घाटी में नदी के किनारों पर हरियाली है जहां ये दो कुब्बे ऊंट चरते हुए देखे जा सकते हैं.
कुछ तस्वीरें मुकुल वर्धन के सौजन्य से :
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दो कूबड़ वाले ऊंट |
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दो कुब्बे ऊँट सवारी बैठाने के लिए तैयार |
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एक कूबड़ हो या दो, इंसान सवारी के लिए हमेशा तैयार है
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नुब्रा घाटी, लद्दाख |
3 comments:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/09/blog-post_2.html
Useful information and nice pics.
Thank you 'Unknown'.
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