रक्षा बंधन का धागा हर साल याद कराने आ जाता है कि सुरक्षा के लिए आप जागरूक रहें. सभी जागरूक रहें भाई भी और बहन भी. राखी का यही आयाम बहुत बढ़िया है वर्ना तो इसमें कोई धार्मिक स्वरुप मेरे विचार से नहीं है. काफी समय से चली आ रही एक प्रथा या रिवाज है. रक्षा बंधन याने एक साधारण से धागे का बंधन जिससे जुड़े हुए कई किस्से हैं जिनका स्रोत या प्रूफ ढूँढना मुश्किल काम है. पर राखी के मौके पर ये कथाएँ पढ़ कर आनंद तो ले ही सकते हैं.
* देवताओं और दानवों का युद्ध चल रहा था और ऐसा लगने लगा की दानव बाजी मार ले जाएँगे. इंद्र ने बृहस्पति से अपने मन की घबराहट शेयर करनी चाही और उपाय जानना चाहा. इन्द्राणी भी यह सुन कर दुखी हुईं पर सहायता भी करने की इच्छा प्रकट की. एक रेशम का धागा लेकर उसमें मन्त्रों द्वारा शक्ति फूंक दी. वह रेशम का धागा इंद्र के कलाई पर बांध दिया. संयोग से उस दिन सावन की पूर्णिमा थी. बस उसके बाद युद्ध की दिशा ही बदल गई.
* महाभारत काल की कथा इस प्रकार है कि कृष्ण और शिशुपाल में भयंकर युद्ध छिड़ गया. कृष्ण ने सुदर्शन चक्र उठाया और शिशुपाल की कथा समाप्त कर दी. इस कार्यवाही में उनकी ऊँगली घायल हो गई और रक्त बहने लगा. द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और कृष्ण की ऊँगली पर पट्टी बांध दी और रक्त बहना रुक गया. कृष्ण इस पट्टी या बंधन को भूले नहीं और द्रौपदी के चीर हरण के समय कर्त्तव्य पूरा किया.
* 326 ईसा पूर्व में सिकंदर अपनी बड़ी ताकतवर फ़ौज ले कर भारत आ धमका. तक्षशिला के युद्ध में अश्वाकुओं को पछाड़ दिया. एक स्थानीय राजकुमारी रोक्साना ( या रोशांक या रोशानक ) से शादी भी कर ली. याने साम, दाम, दंड, भेद सारे हथकंडे अपनाए सोने की चिड़िया पर कब्ज़ा करने के लिए. पर झेलम के नजदीक आकर लड़ी गई लड़ाई में राजा पुरु से पार ना पा सका. भीषण लड़ाई के बीच सिकंदर अपने प्रिय घोड़े से नीचे गिर गया और उसकी तलवार भी दूर जा गिरी. राजा पुरु ने गिरे हुए पे वार नहीं किया. क्यूँ? पुरु को याद आया के रोक्साना ने उसकी कलाई पर धागा बांध कर वचन लिया था की वह सिकंदर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा.
* इसी तरह का एक किस्सा मेवाड़ से है. वहां का राजकाज रानी कर्मावती देख रही थी. गुप्तचरों द्वारा सुचना मिली की बहादुर शाह फौजें ले कर आक्रमण करने आ रहा है. रानी स्वयं मुकाबला करने में असमर्थ थी. राखी का धागा भेज कर मुग़ल बादशाह हुमायूं को राज्य की सुरक्षा का निवेदन किया. हुमायूँ ने राखी स्वीकार की और लाव लश्कर ले कर मेवाड़ पहुँच गया. मेवाड़ राज्य और रानी सुरक्षित बच गए.
* देवताओं और दानवों का युद्ध चल रहा था और ऐसा लगने लगा की दानव बाजी मार ले जाएँगे. इंद्र ने बृहस्पति से अपने मन की घबराहट शेयर करनी चाही और उपाय जानना चाहा. इन्द्राणी भी यह सुन कर दुखी हुईं पर सहायता भी करने की इच्छा प्रकट की. एक रेशम का धागा लेकर उसमें मन्त्रों द्वारा शक्ति फूंक दी. वह रेशम का धागा इंद्र के कलाई पर बांध दिया. संयोग से उस दिन सावन की पूर्णिमा थी. बस उसके बाद युद्ध की दिशा ही बदल गई.
* महाभारत काल की कथा इस प्रकार है कि कृष्ण और शिशुपाल में भयंकर युद्ध छिड़ गया. कृष्ण ने सुदर्शन चक्र उठाया और शिशुपाल की कथा समाप्त कर दी. इस कार्यवाही में उनकी ऊँगली घायल हो गई और रक्त बहने लगा. द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और कृष्ण की ऊँगली पर पट्टी बांध दी और रक्त बहना रुक गया. कृष्ण इस पट्टी या बंधन को भूले नहीं और द्रौपदी के चीर हरण के समय कर्त्तव्य पूरा किया.
* 326 ईसा पूर्व में सिकंदर अपनी बड़ी ताकतवर फ़ौज ले कर भारत आ धमका. तक्षशिला के युद्ध में अश्वाकुओं को पछाड़ दिया. एक स्थानीय राजकुमारी रोक्साना ( या रोशांक या रोशानक ) से शादी भी कर ली. याने साम, दाम, दंड, भेद सारे हथकंडे अपनाए सोने की चिड़िया पर कब्ज़ा करने के लिए. पर झेलम के नजदीक आकर लड़ी गई लड़ाई में राजा पुरु से पार ना पा सका. भीषण लड़ाई के बीच सिकंदर अपने प्रिय घोड़े से नीचे गिर गया और उसकी तलवार भी दूर जा गिरी. राजा पुरु ने गिरे हुए पे वार नहीं किया. क्यूँ? पुरु को याद आया के रोक्साना ने उसकी कलाई पर धागा बांध कर वचन लिया था की वह सिकंदर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा.
* इसी तरह का एक किस्सा मेवाड़ से है. वहां का राजकाज रानी कर्मावती देख रही थी. गुप्तचरों द्वारा सुचना मिली की बहादुर शाह फौजें ले कर आक्रमण करने आ रहा है. रानी स्वयं मुकाबला करने में असमर्थ थी. राखी का धागा भेज कर मुग़ल बादशाह हुमायूं को राज्य की सुरक्षा का निवेदन किया. हुमायूँ ने राखी स्वीकार की और लाव लश्कर ले कर मेवाड़ पहुँच गया. मेवाड़ राज्य और रानी सुरक्षित बच गए.
राखी धागों का बाज़ार |
1 comment:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/08/blog-post_29.html
Post a Comment