सुखना लेक चंडीगढ़ के पास शिवालिक पहाड़ियों के तलहटी में है. यह झील तीन वर्ग किमी में फैली हुई है और इसका ज्यादातर पानी पहाड़ियों पर हुई बरसात से इकठ्ठा होता है. यह कुदरती झील न हो कर एक बनाई हुई झील है. 1958 में सुखना खड पर बांध बना और यह झील भी तैयार हो गई. इसकी गहराई 8 फीट से 16 फीट तक है. झील के साथ ही गोल्फ कोर्स और रॉक गार्डन भी हैं.
झील को प्लान करने और बनवाने वाले थे - ली कोर्बुसिए ( Le Corbusier ), चीफ इंजीनियर पी एल वर्मा और इनके सहयोगी पिएरे जेनेरे ( Pierre Jeanneret ). इस झील की शांति और सौम्यता बनाए रखने के लिए प्लान बनाने वालों ने झील में मोटर बोट का चलाना बंद करवा दिया था.
पिएरे ( जो ली कोर्बुसिए के कज़िन थे ) को इस जगह से बहुत लगाव था. यहाँ तक की उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनके पार्थिव शरीर की राख का विसर्जन इसी झील में 1970 में उनकी भतीजी द्वारा किया गया था.
झील के साथ बसा चंडीगढ़ शहर का प्लान भी ली कोर्बुसिए का बनाया हुआ है. ली कोर्बुसिए का असली नाम चार्ली एडवेरो जेनेरे ( Charles Edouard Jeanneret ) था और वे स्विट्ज़रलैंड के रहने वाले थे. वैसे शहर का मूल प्लान अमरीकी वास्तुकार अल्बर्ट मेयर और मैथ्यूज़ नोविकी ने बनाया था. 1950 में नोविकी की मृत्यु होने के बाद शहर की योजना ली कोर्बुसिए के हाथ सौंप दी गई.
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नाव की सैर लुभावनी लगती है. जब ये फोटो ली गयीं तब शाम को आसमान पर बादल छाए हुए थे:
झील को प्लान करने और बनवाने वाले थे - ली कोर्बुसिए ( Le Corbusier ), चीफ इंजीनियर पी एल वर्मा और इनके सहयोगी पिएरे जेनेरे ( Pierre Jeanneret ). इस झील की शांति और सौम्यता बनाए रखने के लिए प्लान बनाने वालों ने झील में मोटर बोट का चलाना बंद करवा दिया था.
पिएरे ( जो ली कोर्बुसिए के कज़िन थे ) को इस जगह से बहुत लगाव था. यहाँ तक की उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनके पार्थिव शरीर की राख का विसर्जन इसी झील में 1970 में उनकी भतीजी द्वारा किया गया था.
झील के साथ बसा चंडीगढ़ शहर का प्लान भी ली कोर्बुसिए का बनाया हुआ है. ली कोर्बुसिए का असली नाम चार्ली एडवेरो जेनेरे ( Charles Edouard Jeanneret ) था और वे स्विट्ज़रलैंड के रहने वाले थे. वैसे शहर का मूल प्लान अमरीकी वास्तुकार अल्बर्ट मेयर और मैथ्यूज़ नोविकी ने बनाया था. 1950 में नोविकी की मृत्यु होने के बाद शहर की योजना ली कोर्बुसिए के हाथ सौंप दी गई.
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नाव की सैर लुभावनी लगती है. जब ये फोटो ली गयीं तब शाम को आसमान पर बादल छाए हुए थे:
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