भारत की अर्थ व्यवस्था के आँकड़े धाँसू हैं - सकल घरेलू उत्पादन याने GDP के अनुसार भारत विश्व में सातवें स्थान पर है और क्रय शक्ति समता याने PPP के अनुसार भारत का स्थान विश्व में तीसरा है। और तेज़ी से आगे बढ़ने की रेस जारी है। पर जनसंख्या के आँकड़े भी तो गजब ढा रहे हैं। क्यूँकि जब प्रति व्यक्ति फिगर निकालना हो तो सब कुछ बंटाढार !
वर्ष 2013 में प्रति व्यक्ति आय 1570 डॉलर थी और विश्व में भारत 120 वें स्थान पर था। उसी वर्ष की PPP मॉडल से गणना करें तो प्रति व्यक्ति आय 5350 डॉलर थी और भारत विश्व में 106 वें स्थान पर था। लुब्बो लुबाव यह कि रास्ता लम्बा है और रास्ता नापने के लिए रॉकेट, हवाई जहाज, कार स्कूटर सभी कुछ चाहिए। अब चूँकि प्रति व्यक्ति आय कम है तो व्यय भी कम ही होगा तो ज़ाहिर है कि कुछ न कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा।
वैसे भी NASA के सैटेलाइट और रॉकेट करोड़ों डालर में बनते हैं और उसके मुक़ाबले अपने देसी वाहन चाँद और मंगल ग्रह तक आधी पौनी क़ीमत में ही पहुँच जाते हैं ! पर अपने गाँव शहरों में आने जाने की सुचारू व्यवस्था तो है नहीं इसलिए यहाँ भी लोकल मिस्त्री कलाकारी करते रहते हैं। कुछ नमूने प्रस्तुत हैं:
1 comment:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/08/blog-post_18.html
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