Pages

Thursday, 23 July 2015

घरआली

- आपने म्हारा बैंक ना देख्या जी? नू है की इकबालपुर का जो बजार सै उसके परले कोणे में लछमन पंसारी बैठा बस उसी के धोरे म्हारा बैंक सै जी. इब बाजार जाओगे ते दूर सेइ बैंक का नाम चमक जाओगा जी. ना फेर बूझ लियो जी.
- हाँ हाँ बैंक देखा हुआ है. तो काम क्या है तुम्हारा? खाता खुलवाना है?
- खाता तो कई दिन हो लिए खुलवा लिया था जी. और जी अंगूरी का भी खाता खुलवा दिया था. और भगवान भला करे नफे और गजे के खाते भी खुलवा राखे. हम तीनों भाइयों के धोरे बैंक की किताब है जी थोड़ा घणा गेर दें खाते में. यो रइ जी चारों किताबें म्हारे झोले में.
- तो फिर?
- इब थोड़ा घणा लोन मिल जाता तो एक भैंस लेणी थी जी. दो तो हैं जी पर एक कई दिनां ते दूध ना दे रइ.
- अरे बैंक चले जाओ रिसाल सिंह आजकल लोन मिलने में कोई दिक्कत नहीं है. मैनेजर से मिल लेना हो जाएगा.
- ना जी कागत सा थमा दें. इब भरनाइ तो ना आता. नफे और गजे दोनों इ बाहर सिकोरटी डूटी में जा रए जी. इब आपइ भर सको. हम तो जी अँगूठा टेक.
- लाओ मैं भर देता हूँ. पर बच्चों को तो पढ़ा रहे हो या नहीं?
- ना जी बच्चन को तो पढाना जरूरी है. वे तो जावें हैं जी इसकूल़.
- पिताजी का नाम क्या है और परिवार के सभी सदस्यों का नाम भी बता दो.
- जी बाप का नाम सुलतान सिंह और घरआली का नाम अंगूरी और जी मुन्ना और मुन्नी.
- ठीक है ये फॉर्म भर दिया है और काग़ज़ों के साथ बैंक ले जाओ.

****

- क्या बात है रिसाल सिंह?
- जी फारम लाया था बैंक का लोन लेणा था जी. जरा कलम सी चला दो जी.
- अरे पिछले महीने ही तो फॉर्म भरा था अब फिर?
- ना जी यो तो नफे के नाम है जी. एक भैंस और लेणी जी.
-  वाह रिसाल सिंह ये तो बहुत बढ़िया काम कर रहे हो. और पैसा कमाओगे तो परिवार फले फूलेगा. लाओ फॉर्म भर देता हूँ. पिताजी और नफे के परिवार के सभी सदस्यों का नाम और उम्र लिखवाओ. नफे सिंह कहाँ है?
- नफे तो सिकोरटी डूटी में सहारनपुर जा रा जी. बाप का नाम आप जाणो सुलतान सिंह और घरआली का नाम अंगूरी और जी राजू और गुड्डी.
- ये लो फॉर्म भर दिया है. अपने कागज़ लेकर बैंक पहुँचो जाओ.

****

- आओ रिसाल सिंह क्या हाल है. लोन हो गया था?
- जी आप फारम भरोगे तो होणाइ था. इबके गजे के नाम लेणा था लोन. माड़ी सी कलम चला दो बस काम हो जाएगा. बच्चे दुआ देंगे जी.
- हाँ हाँ लाओ. गजे सिंह कहाँ है? उस के परिवार की डिटेल लिखवाओ.
- जी गजे तो सिकोरटी डूटी में हरद्वार गया. बाप का नाम सुलतान सिंह और घरआली का नाम अंगूरी और बच्ची का डोली.
- रिसाल सिंह ये ही नाम तो पहले भी लिखवाये थे शायद? या नहीं?
- ठीक कहो जी आप. बाप का नाम सुलतान सिंह और घरआली का नाम अंगूरी.
- पर तुम तो तीन भाई हो रिसाल, नफे और गजे सिंह और पाँच नाम बच्चों के लिखवाए थे और एक नाम अंगूरी का.
- आप ठीक कहो जी हम तीन भाई, म्हारे दो और दो और एक बच्चे. म्हारा बाप तो एकइ है जी सुलतान सिंह और भगवान भला करे म्हारी तीनों की घरआली भी एकइ है जी अंगूरी.

गई भैंस पानी में  


2 comments:

Bablu devanda said...

वाव बहुत खूब जी अच्छी कहानी है जी☝🏻❤️☝🏻☝🏻☝🏻

Bablu devanda said...

आप तो बहुत अच्छा लिखते हो जी अंकल जी🙏🏻❤️❤️🙏🏻