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Tuesday, 21 July 2015

हेलिकॉप्टर

हेलीकॉप्टर या चॉपर या कॉप्टर हवा में उड़ते हैं तो किसी फड़फड़ाते पक्षी की तरह लगते हैं. प्राइवेट हेलीकॉप्टर रंग बिरंगे होते हैं इसलिए देखने में और भी सुंदर लगते हैं.

हेलीकॉप्टर शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1861 में एक फ़्रेंच अविष्कारक ग़ुस्ताव ने किया और एक भाप चालित मॉडल बना कर दिखाया। 1907 में दो फ़्रेंच भाइयों ने एक हेलीकॉप्टर का मॉडल एक मिनट के लिए दो फ़ुट ऊपर उड़ाया. 1924 में एक फ़्रेंच ने चार पंखों की सहायता से मॉडल को 360 मीटर तक उड़ा दिया जो पहली चॉपर उड़ान मानी जाती है. उसके बाद तो हेलीकॉप्टर में लगातार सुधार होते गए और अब तो भारत में भी बनने लगे हैं.

हेलीकॉप्टर सेवा कटड़ा-वैष्णों देवी, गुप्तकाशी-केदारनाथ, उत्तर पूर्वी राज्यों और लक्षद्वीप वगैरा में उपलब्ध है. दो बार प्राईवेट कॉप्टर  में उड़ान भरने का मौक़ा मिला. आठ सीटर था जिसमें पायलट भी शामिल था. सुरक्षा जाँच भी हुई और वजन भी लिया गया. बिठाने से पहले वजन को बराबर बाँटा भी गया. आपकी मन पसंद सीट का कोई चक्कर नहीं. जहाँ बिठाएँ वहीँ बिराजिये बस. पूरा हेलीकॉप्टर और पूरा शरीर हिचकोले खा रहा था और पंखों का भयंकर शोर हो रहा था. पूरे कॉप्टर में इंजन और ऊपर चल रहे पंखों की वजह से कम्पन हो रहा था. पैर भी हिल रहे थे और पूरा शरीर भी. बात करना तो असंभव हो गया था. अाठ सीटर का मतलब है की जैसे कोई कार सवारियों समेत ऊपर उठ रही हो !

पर मजा भी आया ! 2012 - 13 के कलेक्शन में से प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

फाटा, गुप्तकाशी में उड़न खटोला उतरता हुआ

केदारनाथ मंदिर से लगभग दो किमी दूर हैलीपैड

रंग बिरंगे पक्षी !

कारगिल-लेह मार्ग से नजर अाता कोप्टर संभवत: सेना का रहा होगा

कॉप्टर के अंदर से ली गई सेल्फी!

कॉप्टर के अंदर से लिया गया फोटो 

हेलीकॉप्टर सेवा बुकिंग ऑफिस, केदारनाथ



1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/07/blog-post_21.html