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Sunday, 1 June 2014

कुण्डली और केकड़ा

कर्कट

आप अपने पैदा होने का दिन और समय तय नहीं कर सकते और इसलिए आप अपनी जन्म कुण्डली भी लिख नहीं सकते । वो तो नीली छतरी वाले ने पहले ही याने पैदा होते ही छाप दी थी । पैदा होते ही रिटायर होने की तारीख़ भी तय कर दी थी और वापसी की भी । मतलब मैच फ़िक्सिंग हो चुकी थी । जो मैच में होना है सो होगा ।

पर साब कुण्डली लिखने वाला भी कलाकार है । एक तरफ तो मैच फ़िक्सिंग कर दी और दूसरी तरफ ज्ञानी लोगों को भेज दिया उपदेश देने के लिए । उपदेश के साथ साथ में ज्ञानी लोग ऊँचे गले से ज़ोरदार आवाज़ में समझाए जा रहे हैं की बेटा पुरुषार्थ कर ले, मेहनत कर ले वरना फिसड्डी रह जाएगा । 

अच्छा मज़ाक़ है न तो आप अपनी पत्री लिख सकते हो और न ही पढ़ सकते हो । आप अपनी जन्म कुण्डली पर ज़रा निगाह डालो तो कुछ समझ ही नहीं आता की क्या नक़्शा बना है । अब इसे डीकोड करने के लिए एक महात्मा चाहिए और करैंसी नोट भी चाहिए । 

सारे झमेले का मैंने तो सीधा इलाज निकाला और जन्मपत्री फाड़ कर फेंक दी । ये 40 साल पहले की बात है । पढ़ाई हो गई, नौकरी लग गई और शहनाई बजाने वाला आ गया । क़िस्मत कहो या संजोग कहो या पुरुषार्थ कहो या कुण्डली का प्रभाव कहो, अर्धांगिनी 41 साल पहले जन्मपत्री फाड़ कर फेंक चुकी थी ! पता नहीं अर्धांग और अर्धांगिनी दोनों की पत्रियों में एक ही बात कैसे लिखी गई की दोनों पत्री फाड़ देंगे । 

अब चूँकि जन्म था पहली जुलाई का तो उस दिन के आसमान में सूरज, चाँद, तारे और ग्रह जहाँ थे वहीं उनकी जगह भी फ़िक्स हो गई । समय और तिथि के अनुसार राशि की भी फ़िक्सिंग कर दी गई । राशि का नाम निकला - कर्क या कर्कट या कैंसर । बड़ा विचित्र और बेकार नाम लगता है ये कर्क या कर्कट या कैंसर । नाम तो ज़रा बढ़िया रखना चाहिए था । और इसका जो चुनाव चिन्ह या सिम्बल है वो भी उतना ही विचित्र और टेढ़ा है - केकड़ा । कमबख़्त चलता भी है तो आड़ा ितरछा सीधे सीधे नहीं चलता और छुप छुप के रहता है । 

भारत के कुछ मशहूर कैनसेरीयन या कर्कटी हैं कैटरीना कैफ़, प्रियंका चोपड़ा, नसीरुद्दीन शाह, दलाई लामा । इसके अलावा लार्ड माउंटबेटन, नेलसन मंडेला, जूलियन सीज़र, हेमिंग्वे वग़ैरा वग़ैरा । पूरी वैराइटी है सर जी और  ऐसा तो नहीं लगता की  ये लोग केकड़े की तरह आड़े तिरछे चलते होंगे !

बहरहाल आपकी राशि बारह राशियों में से कोई भी हो आप अख़बारों में छपे राशिफलों से भ्रमित न हों । पत्रे पत्रियों में कुछ नहीं रक्खा बस ये तो दिल बहलाने के क़िस्से हैं । आपका भविष्य उज्जवल होगा क्यूँकि आप मेहनत मशक़्क़त करते हो । 

गीता दत्त भी तो यही सलाह देती है :

तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दीर बना ले,
अपने पे भरोसा है तो दाव लगा ले ।
( http://youtu.be/dSTP9aDTAJI?t=9s ) 

1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/06/blog-post.html