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Tuesday, 17 June 2014

ज़माना क्या कहेगा ?

अब ये ज़रूरी तो नहीं की मुहल्ले में आप का परिचय सब से हो । परिचय के बिना इस मुहल्ले में आपस में नमस्ते करने का रिवाज नहीं है । अमरीकी मोहल्ले बड़े बड़े होते हैं और मकान दूर दूर होते हैं सैर करने के लिए पार्क भी बड़े होते हैं । एक कि.मी. में एक दो शक्लें दिखती हैं । और अगर आप सुबह की वाॅक में किसी से नज़रें चार करते हैं तो उसके जवाब में मुस्कुराहट या हैलो ज़रूर मिलेगी चाहे सामने महिला हो या पुरूष । हमारे मुहल्ले संकरे हैं, गलियाँ पतली हैं, घर जुड़े हुए हैं और एक कि. मी.में दो सौ लोग हैं । और शायद दिल भीड़ देख देख कर तंग हो गया है इसलिए बिना परिचय के नमस्ते करने में लोग कन्नी काटते हैं । और अगर आप पुरूष हैं और सामने से आती हुई अपरिचित महिला को देखकर मुस्कराहट फेंक दी तो ज़माना क्या कहेगा ?

फ़िल्म पेईंग गेस्ट में जब देवानंद ने प्यार से नूतन का आँचल थामा तो जवाब में नूतन ने कहा की 'अह छोड़ दो आँचल ज़माना क्या कहेगा ' । ज़माना क्या कहेगा यही तो झगड़े की जड़ है, समाज के पंगे इसी में ही हैं । हमें बिना आँचल पकड़े ही ये विचार आ जाता है की ज़माना क्या कहेगा । 

" ज़माना क्या कहेगा " का पूरा प्रभाव तब महसूस करेंगे जब आप अपने बेटे या बेटी की शादी की तैयारी करने लगते हैं । हर चीज़ में और हर आईटम में ये प्रभाव शामिल है जैसे की सगाई ऐसी होनी चाहिए वरना ज़माना क्या कहेगा ? शादी का कार्ड शानदार होना चाहिए वरना ज़माना क्या कहेगा ? आप शादी के निमंत्रण बाँट रहे हैं और बाद में याद आता है की भाईसाहब के लिफ़ाफ़े पर " विद फ़ैमिली " तो लिखा ही नहीं बताइए ज़माना क्या कहेगा ? शादी में दुल्हे के बापू ने बढ़िया सा सूट नहीं पहना तो ज़माना क्या कहेगा ? दूल्हे की अम्माँ और भाभियों ने पूरा दिन फैशियल न कराया तो ज़माना क्या कहेगा ? बैंड तो टापोटाप होना चाहिए वरना ज़माना क्या कहेगा ? दुल्हे ने तलवार -चाहे नक़ली ही हो - न पकड़ी हो तो ज़माना क्या कहेगा ? याने इस कमबख़्त जुमले ने जीना दुश्वार कर दिया है । 

अगर आपकी प्रमोशन हो गई है और आप ख़ुशी में अपने दफ़्तर में डाँस करना चाहें तो नहीं कर पाएँगे । अगर थाईलैंड में छुट्टी मनाने का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा तो रो नहीं पाएँगे । कारण डाँस और रोने पे ज़माना क्या कहेगा ? आख़िर ये ज़माना है क्या ? मेरे विचार में हम जितने लोगों को अपने बच्चों की शादी में बुलाते हैं वही हमारी दुनिया है या ज़माना है । पर इसी दुनिया में रह कर एक दूसरे की टाँग खींचने में भी तो मज़ा हैं कहने दो ज़माना क्या कहेगा ?

मेरे ख़याल से देवानंद ने िस्थति को पहचाना और नूतन को सही जवाब दिया " इन अदाओं का ज़माना भी है दीवाना, दीवाना क्या कहेगा ? " 
ज़माना दीवाना है कुछ न कुछ तो कहेगा । 

ज़माना क्या कहेगा ?


1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/06/blog-post_17.html