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Wednesday, 14 October 2020

ब्रीफकेस

बैंक बड़ा हो तो स्टाफ भी ज्यादा होता है. और स्टाफ जिस तरह के समाज से आता है और जिस तरह के बम पटाखे वहां फूटते हैं वही सब कुछ अंदर भी होता रहता है. स्टाफ के आपसी झगड़े, गाली गलौज, हाथापाई भी हो जाती है. कई बार ऐसा भी हो जाता है की किसी कर्मचारी या अधिकारी ने फ्रॉड कर दिया या फिर फ्रॉड कराने में शामिल हो गया. ऐसे में जवाब तलब किया जाता है और जवाब संतोषजनक ना पाया गया तो कचहरी बैठा दी जाती है. फिर वही सब कुछ होता है - मुंसिफ, मुद्दा, मुद्दई, मुद्दालेह और आखिर में सज़ा. 

मुकदमा चूँकि मैनेजमेंट चलाती है तो इन्क्वायरी ऑफिसर मन पसंद चुन लेती है. जिस चार्जशीटेड बन्दे को बैंक प्रबन्धन ने कड़ी सजा देनी होती वहीँ गोयल साब की याद आ जाती थी. गोयल सा केस लंबा खींचना हो या जल्दी  ख़त्म करना हो तो कर देते थे. इन्क्वायरी उलझाए रखने, आरोपी को धमकाने डराने में भी तेज़ थे. मैनेजमेंट के मूड के मुताबिक रिपोर्ट तैयार कर देते थे. कड़ी सजा देनी हो तो रिपोर्ट में ऐसा लिखते की मानो इस बन्दे और इस बन्दे की करतूत के कारण बैंक का दिवाला पीटने वाला है. इसलिए चार्जशीटेड बन्दे को बैंक के बाहर फेंक देना चाहिए. 

गोयल सा enquiry और inquiry में फर्क करते थे. उनका कहना था मैं इन्क्वायरी 'e' से नहीं 'i' से करता हूँ -  'i' याने डंडा! ऐसे धाकड़ इन्क्वायरी ऑफिसर का मुकाबला कौन करे? बचाव पक्ष में बचाव बस कॉमरेड मनोहर उर्फ़ मन्नू भैय्या ही कर पाते थे. छोटे मोटे बचाव अधिकारी तो गोयल सा से खौफ खाते थे और कन्नी काट जाते थे. 

एक बार हमारे मित्र ने किसी मैनेजर को कथित अपशब्द बोल दिए. हमारी जानकारी में ये मित्र अच्छी भाषा का ही इस्तेमाल करता था गलत शब्द नहीं बोला करता था. क्या जाने क्या हुआ होगा? हो सकता है की किसी बात पर मैनेजर साब की पूँछ पर पैर आ गया हो. बहरहाल जब गोयल साब को जज बनाया गया तो जाहिर था सजा सख्त होगी. 

इन्क्वायरी का सातवाँ दिन था. बचाव पक्ष से कॉमरेड मनोहर ने हमारे मित्र के पक्ष में दलील पेश करनी थी. कॉमरेड ने मित्र के कान में फुसफुसाया - देख चार बजे गोयल आएगा. मैं उस के साथ किसी ना किसी बहाने तू तू मैं मैं शुरू कर दूंगा. वो भी ऊँचा ऊँचा बोलने लगेगा. इस बीच जैसे ही उसका ध्यान इधर उधर हो तू उसका ब्रीफकेस ले कर ब्रांच के बाहर भाग जाना. और मेरी वेट करना. बाकी मैं सम्भाल लूँगा. मित्र झिझका और घबराया पर फिर हिम्मत कर के उसने हाँ कर दी.  

गोयल सा आए और आकर राजा भोज की सीट पर विराजमान हुए. मुकदमा आगे बढ़ने के लिए तैयार हो गए. आरोपी मित्र और कामरेड मनोहर नमस्ते कर के बैठ गए. कामरेड ने ड्रामा शुरू कर दिया - क्या सर झूठे केस बनाते हो, जी एम के चमचे हो .....गोयल सा भी भिड़ गए - ये क्या बकवास है? मुझे इन्क्वायरी दी गई है मुझे काम करने दो. बदतमीज़ी नहीं करना वरना मैं देख लूँगा तुमको... 

वार्तालाप ऊँची ऊँची आवाज़ में शुरू हो गई और केबिन का तापमान बढ़ गया. इस बीच कॉमरेड ने मित्र को इशारा किया. मित्र ने ब्रीफकेस उठाया और बाहर भाग लिया. अब गोयल सा का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया. फ़िल्मी डायलाग शुरू हो गए. काफी देर तक गरमा गर्मी चलती रही.  

पर ए सी की ठंडक ने थोड़ी देर में गोयल सा को शांत कर दिया और वो बोले - अरे यार मेरा कैश पड़ा हुआ है उस ब्रीफकेस में, गाड़ी की चाबियाँ हैं ऐसा कैसे कर सकते हो आप? सरासर गुंडागर्दी है ये तो! 

जवाब में कॉमरेड मनोहर समझाने लगे- गोयल सा ठण्ड रखो ठण्ड. कॉमरेड ने पानी मंगाया, चाय मंगाई और अंत में आपसी सुलह हो गई. हमारा मित्र बाइज्ज़त बरी हो गया. 

अंत भला तो सब भला. 

गोयल सा का ब्रीफकेस 

16 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2020/10/blog-post_14.html

Unknown said...

Wonderful

Harsh Wardhan Jog said...

Thank you Unknown.
Please complete your profile. I would like to know about you

N P Singh said...

What modi & yovi have been doing now, the practice is age old in the bank

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अन्त भला हो ही गया आखिर

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15.10.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क

Ravindra Singh Yadav said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 15 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

विकास नैनवाल 'अंजान' said...

रोचक संस्मरण।

सुशील कुमार जोशी said...

रोचक

Harsh Wardhan Jog said...

ध्यन्यवाद सुशील कुमार जोशी साब.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद विकास नैनवाल 'अंजान'

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद Ravindra Singh Yadav. पांच लिंकों का आनन्द भी लेंगे.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद दिलबागसिंह विर्क. चर्चा मंच पर भी मुलाक़ात होगी.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद डॉ रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'. भले में भला !

Meena Bhardwaj said...

बहुत बढ़िया और रोचक संस्मरण ।

Harsh Wardhan Jog said...

Thank you Meena Bhardwaj. Have a nice day.