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Wednesday 7 October 2020

केबिन में क्रांति

बड़े बड़े बैंकों में छोटी छोटी बातें होती रहती हैं. अब देखिये झुमरी तलैय्या की सबसे बड़ी ब्रांच के सबसे बड़े केबिन में सबसे बड़े साब गोयल जी बिराजमन थे. बड़ी सी टेबल पूरी तरह से ग्लास से ढकी हुई थी. एक तरफ कुछ फाइलें थी, अखबार थी, पेन स्टैंड था और फोन था. सामने तीन कुर्सियां थी जिनमें से एक पर ब्रांच यूनियन के सेक्रेटरी कॉमरेड मनोहर बैठे थे. 

आप तो गोयल साब और कॉमरेड को जानते ही होंगे? नहीं तो हम परिचय करा देते हैं कोई दिक्कत नहीं है. हमारे गोयल सा ज़रा सा सांवले कलर में हैं पर सफ़ेद कमीज़ पहनते हैं, लाल काली टाई लगाते हैं. उनके टकले सर पर दर्जन भर बाल खड़े रहते हैं जो यदा कदा हवा में लहरा जाते हैं फिर वापिस आ कर खड़े हो जाते हैं. हाव भाव में गोयल सा का अंदाज़ कुछ यूँ रहता है - अरे हटो यार तुम्हारे जैसे बहुत देखे हैं. 

कामरेड मनोहर उर्फ़ मन्नू भाई कुछ बरस पहले ही नौकरी में आए हैं. गाँव खेड़े के हैं तो ज़रा हृष्ट पुष्ट हैं. जोर से बोलते हैं. बताते हैं की कभी हम गाय भैंसिया वगैरह चराते थे. वही सब तो आवाज़ अंदाज़ में आ गया है. बुलंद आवाज़ में गजब के नारे लगाते हैं. अब जो जोर से बोलता है वही ना यूनियन का नेता बनता है? कामरेड की भाव भंगिमा यूँ रहती - अबे मानता है की नहीं?     

ब्रांच के केबिन में चीफ सा और कॉमरेड सा की आमने सामने गरमा गरम बहस चल रही थी. मुद्दा था ओवरटाइम. चीफ सा दस घंटे की पेमेंट देने के लिए तैयार थे जबकि कॉमरेड बीस घंटे का ओवरटाइम मांग रहे थे. 

बैंकों का राष्ट्रीयकरण को तीन चार बरस बीत चुके थे. रोज़ नई शाखाएं खुल रहीं थी और नया स्टाफ भी भरती हो रहा था. बैंक जो दरबार-ए-ख़ास हुआ करता था अब दरबार- ए-आम होता जा रहा था . शहर की बड़ी शाखाओं में भी नया स्टाफ पोस्ट किया जा रहा था. इसी ब्रांच में सौ लोग थे अब 110 हो गए हैं. 

बैंक का ख़याल था की ओवरटाइम अब बंद कर दिया जाए क्यूंकि एक्स्ट्रा स्टाफ दे दिया गया है. यूनियन कहती थी दिसम्बर और जून में खातों में ब्याज लगाने का काम एक्स्ट्रा था इसके ओवरटाइम मिलना चाहिए और सबको मिलना चाहिए. 

ब्रांच में बड़े लोन और फोरेन एक्सचेंज का काम भी था और रूसी एम्बेसी का खाता भी. केबिन में अभी बातचीत चल ही रही थी कि एक रूसी महिला और एक सज्जन भी अंदर आ गए.  

कामरेड ने मौके की नज़ाकत देख कर बात ख़तम करनी चाही और खड़े हो गए. बोले - चलो आप पंद्रह घंटे दे दो. 

चीफ साब बोले - नो! दस घंटे. 

कामरेड ने खड़े खड़े थोड़ा और ऊँचे सुर में बोल दिया - पंद्रह घंटे! और यह कह कर मेज़ पर जोर से थपकी मारी. उसी हाथ की कलाई में स्टील का कड़ा पहना हुआ था वो जोर से शीशे से टकराया और शीशा कड़क गया. आवाज़ सुन कर बाहर बैठा स्टाफ भी देखने लग गया. ये दृश्य देख कर दोनों रूसी तुरंत खड़े हो गए और महिला ने सोचा की भारत में क्रांति आरम्भ हो गई है. वो बोल पड़ी, 

революция ( revolution)! और दोनों रूसी केबिन से बाहर भाग लिए. 
गोयल सा भी उछल कर खड़े हो गए. कॉमरेड को लगा काम खराब हो जाएगा सो बोले, 
- सॉरी चीफ साब सॉरी.

खैर जो भी हुआ इस क्रांति का समापन शांतिपूर्ण रहा. क्रांति केबिन के अन्दर ही समाप्त हो गई. 
ओवरटाइम? वो तो दस घंटे में ही संतोष करना पड़ा.  
गोयल सा की ऐतिहासिक टेबल 



19 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2020/10/blog-post_7.html

Sushma Agrawal said...

अब तक कि सबसे लघु क्रांति।कुछ पल में निपट गयी और फिर 2 पल में सब पूर्वतः हो गया।

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सुषमा अग्रवाल जी. छोटी हो या बड़ी थी तो क्रांति!

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08.10.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद डॉ रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद दिलबागसिंह विर्क. चर्चा मंच पर भी उपस्थिति होगी.

Ravindra Singh Yadav said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 8 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सुशिल कुमार जोशी जी.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद Ravindra Singh Yadav. 'पांच लिंकों का भी आनंद लेंगे.

Amrita Tanmay said...

क्या कहा जाए.... 'संतोषम् परम क्रांति'

Harsh Wardhan Jog said...

आपको तो धन्यवाद कहा जाए Amrita Tanmay!

MANOJ KAYAL said...

बहुत सुन्दर रचना

Sawai Singh Rajpurohit said...

Bahut Sarthak Lekh

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद MANOJ KAYAL

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद Sawai Singh Rajpurohit

Harsh Wardhan Jog said...


धन्यवाद Onkar

How do we know said...

अरे वाह! बीते समय की याद दिला दी!

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद How do we know. Why don't you complete your profile in blogger?