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Saturday, 3 October 2020

खाली प्याला

बैंक में नौकरी लगे मनोहर को अभी ज्यादा दिन नहीं हुए थे. इम्तिहान देकर नौकरी लगी तो अपना गाँव कसेरू खेड़ा छोड़ कर कनॉट प्लेस पहुँच गए. कहाँ हरे भरे खेत और गाय भैंस का दूध और कहाँ ये कंक्रीट जंगल और चाय और कॉफ़ी. पर फिर भी कनॉट प्लेस की इमारतें, बड़े बड़े सुंदर शोरूम, रेस्तरां वगैरह में मनोहर उर्फ़ मन्नू भैया का दिल उलझ गया. अब वापिस जाना मुश्किल लगता था.

एक बड़ी दिक्कत थी यहाँ इस बैंक में. वो ये की कोई बात नहीं करता था और ना ही कोई बात करती थी. खुद बात शुरू करनी पड़ती थी. चलो आदमियों से क्या बात करणी थी उनें सुसरों को तो छोडो पर कोई सी छोरी भी ना बात करे तो जी में आग लगनी थी के नईं? 

बैंक में आए भी कई महीन्ने हो लिए पर काम भी पूरा ना सीख पाया. लोग सिखाते भी ना हैं जी पता नहीं क्यूँ? ट्रेनिंग में जो सीखा सो सीखा. फिक्स डिपाजिट है, लाकर है, लोन है जितने लोग बैठे हैं कोई ना काम समझाता. काम सीख के उस सीट पे कुंडली मार के बैठ जाँ. भई नया आदमी आया है इसे बता तो दो पर ना नू सोचें की पोल खुल जाएगी. किसी दिन इन सबका पत्ता साफ़ करणा है.

इब आज लोन डिपार्टमेंट में ड्यूटी लगा दी है मैनेजर साब ने. लोन की संध्या मैडम पता नहीं कुछ काम सिखाएगी या वो भी बैरंग वापिस भेज देगी. चलो ध्याड़ी तो पूरी करणी ही पड़ेगी. वैसे संध्या देखने में भली लागे है, जीन वीन पहरे है और जब चले है तो हॉल में टिक टोक चले है, अंग्रेजी भी बोले है थोड़ी घणी. चल भाई डिपार्टमेंट में चलो. आज तो अखबार में 'आज का भविष्य फल' भी ना पढ़ा!

संध्या बड़े अच्छे से मनोहर से पेश आई. उसने लोन फाइलों का काम बड़ी अच्छी तरह से समझाया. जब भी कोई सवाल मन्नू ने पूछा संध्या ने पूरी तरह से समझाया और करके भी दिखाया. मन्नू भैय्या का दिल बाग़ बाग़ हो गया और भैय्या वो गदगद हो गए. चार बजे तक संध्या के फैन हो गए और साढ़े चार बजे बोले,

- संध्या जी मैं दिल की बात कहूँ जी? 

- हाँ कहो.

- आज तक इस ब्रांच में मुझे किसी ने इतने बढ़िया तरीके से काम नहीं सिखाया जितना आपने जी. सब सिखाने के नाम पर टरका देते हैं जी. मैं तो जी आपको दिल से कह रहा हूँ जी रिक्वेस्ट है जी. आपको आज मैं चाय कॉफ़ी या आइस क्रीम जो भी आपकी इच्छा हो, मैं खिलाऊंगा जी.

- हाँ हाँ क्यूँ नहीं. मैं मंगा देती हूँ अभी. बताइये क्या लेंगे आप? 

- ना जी ना! मेरी तरफ से और यहाँ नहीं बाहर बैठेंगे जी.

- अच्छा ठीक है पांच बजे चलेंगे. मेरे एक गेस्ट आने वाले हैं पांच बजे इकट्ठे चलेंगे. 

- थैंक्यू जी. मैं सामने सोफे पर बैठा हूँ जी आप इसारा कर देना. 

सोफे पर बैठे मनोहर जी के मन में सितार, गिटार, बांसुरी, शहनाई और कई तरह की घंटियाँ बजने लगीं. मन कभी नदिया किनारे, कभी बगिया में और कभी आसमान में उड़ रहा था. पर बड़े सावधानी से अपना पर्स निकाल कर चेक किया की नोटों की संख्या में कमी तो नहीं है. बिल का भुगतान हो जाएगा जी. आश्वस्त होकर फिर से सपनों में खो गए मन्नू भाई. सपनों के बीच में काली घटा भी आई पर जल्दी उड़ गई थी. 

पांच बज के पांच मिनट पर देखा तो संध्या अपनी सीट पर खड़ी हुई थी चलने के लिए तैयार और सामने कोई कन-कौव्वा खड़ा हुआ बतिया रहा था. जरूर लोन लेने वाला होगा कमबखत. ये लोन लेने वाले शाम को ही आते हैं. तब तक दोनों काउंटर के पीछे से घूम कर सामने आ गए.

- मनोहर जी चलो कहाँ चलना है? 

मनोहर जी भी खड़े हो गए. कभी संध्या को और कभी कन-कौव्वे को देखने लगे. एक तरफ तो गुस्सा आ रहा था ये कन-कौव्वा बीच में टपक पड़ा. दूसरी तरफ ख़तरा नज़र आ रहा था ये संध्या का भाई वाई ना हो. जो भी हो ये अगर साथ चला तो मज़ा कतई किरकिरा होने वाला है.

- वो...

- मनोहर जी मैं परिचय कराना तो भूल ही गई. ये मेरे मंगेतर हैं युगल किशोर जी और आप हैं मनोहर जी. मनोहर जी आज कहीं ले जाने वाले हैं हमें? 

- वो क्या है संध्या जी आज नहीं, आज नहीं. मुझे कुछ काम याद आ गया है.

दोनों बोल पड़े - चलिए चलिए मनोहर जी चलते हैं?

- आप दोनों घूम आइए जी. मैं फिर कभी चलूँगा, कहते कहते मन्नू भाई का मुंह लाल हो गया. 

दोनों खिलखिलाते हुए निकल गए. मन्नू भाई की प्रबल इच्छा हुई की आसपास कोई गड्ढा हो तो उसमें छलांग लगा दूँ.    

प्याला खाली था और खाली ही रह गया 


7 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2020/10/blog-post.html

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद डॉ रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Meena Bhardwaj said...

सत्य कथन .. नये लोगों को बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं नई नौकरी में । रोचकता से परिपूर्ण सृजन ।

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद Meena Bhardwaj. कंप्यूटर आने से बहुत बदलाव आया है. पर फिर भी काफी कुछ और बदलना चाहिए.

Jyotirmoy Sarkar said...

Ha ha ha very nice story, bechara Mannu bhai ki waqt ki kharab chal raha hai ...ek toh naukri me dikkate upar se yeh...

Harsh Wardhan Jog said...

शुक्रिया सरकार. जिंदगी में बहुत झमेले हैं!

A.K.SAXENA said...

Very nice. Mannu ji ke armaan dhare ke dhare gaye ,vo Jahan khade the,vahin par, khade ke khade rah gaye.