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Sunday 5 May 2019

खजुराहो की कामुक मूर्तियाँ - 2

खजुराहो की कामुक मूर्तियाँ - 1 से आगे दूसरा और अंतिम भाग :-

खजुराहो के हिन्दू और जैन मंदिरों में कामुक या मिथुन मूर्तियों को देख कर कोई शर्माता है, कोई झिझकता है, कोई खिलखिलाता है और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो देखना ही नहीं चाहते! जो भी हो सभी इन मूर्तियों को देखकर इन के बारे में सोचने पर मजबूर हो जाते हैं. और बातों के अलावा एक सवाल तो मन में आ ही जाता है कि मंदिर में ऐसी कामुक या मिथुन या erotica मूर्तियाँ क्यूँ बनाई गईं? अगर आप मैथुनरत युगल देखें तो उनके चेहरे शांत, आनंदित और सरल दिखते हैं उनमें उद्विग्नता या आक्रामक हवस नहीं दिखती. मंदिर की दीवारों पर कामुक मूर्तियाँ क्यूँ बनाई गईं, इस प्रश्न के उत्तर में कई कयास लगाए जाते हैं जैसे कि:

* मानव जीवन के क्रिया कलाप को चार मुख्य भागों में बांटा जा सकता है - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. दूसरे शब्दों में पैदा होने के बाद संसार को देखना समझना, उसके बाद अपने और अपनों के जीवन यापन के लिए 'अर्थ' के जुगाड़ में लग जाना, उसके बाद अपना जीवन साथी ढूँढना और फिर परलोक प्रस्थान कर जाना. इन चारों अवस्थाओं के विभिन्न आयामों को मूर्तियों में देखा जा सकता है. खजुराहो के मंदिरों में हजारों मूर्तियों हैं जिनमें से कामुक मूर्तियाँ थोड़ी सी 8-10% ही हैं. ये मूर्तियाँ मंदिर की बाहरी दीवारों पर ही हैं. इसका मतलब शायद ये रहा हो कि मंदिर में प्रवेश से पहले आपने सब कुछ भोग लिया है और अब मोक्ष दरकार है. मंदिरों की बनावट भी एक गुफा की तरह ही है - प्रवेश द्वार छोटा सा और गुफा में आगे बढ़ें तो गर्भ गृह उंचा और बड़ा है जहाँ संसार को बनाने या मिटाने वाले शिव या विष्णु विराजमान है. याने जीवन का अंतिम पड़ाव.

*  मंदिरों का निर्माण सन 850-1150 के बीच हुआ और मान्यता है कि उस समय मध्य भारत में तांत्रिक विद्या का प्रचलन था. यहाँ का सबसे पहले बना मंदिर चौंसठ योगिनी मंदिर भी उसी विद्या का उदहारण है जो शिव और शक्ति या फिर पुरुष और प्रकृति को समर्पित है. इस विद्या में तन और मन का बैलेंस करना और सम्भोग से मोक्ष की और जाने की बात की गई है. सम्भोग या मिथुन भी जीवन के अन्य कार्यकलापों की तरह एक स्वाभाविक और आवश्यक क्रिया है जो जीवन का एक अंग है. यहाँ यही बात बिंदास मूर्तियों में ढाली गई है.

*  कुछ लोगों का कहना है कि ये कामुक मूर्तियाँ काम कला के ज्ञान sex education देने के लिए बनाईं गईं थीं और इसीलिए मंदिर की बाहरी दीवारों पर हैं अंदर नहीं. लोग कामुक मूर्तियाँ देखें, समझें और काम भावना त्याग दें! इस पर गाइड का कहना था कि लम्बे समय तक कोई भी मैथुन मूर्ति देखी ही नहीं जा सकती क्यूंकि उकताहट हो जाती है और स्वत: नज़र हट जाती है.

* एक मत ये भी है कि बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के बाद ( ईसा पूर्व 400 से लेकर लगभग ईसा पश्चात 500 तक ),  पूजा पाठ और मंदिरों की महत्ता घट गई थी. बौद्ध स्तूपों या धार्मिक स्थलों में भगवानों की मूर्तियाँ नहीं होती थी. इसके अलावा बुद्ध की मूर्ति का आदर सम्मान तो किया जाता है पर पूजा अर्चना या आरती नहीं होती है. जनता को फिर से मंदिरों और भगवान् की ओर आकर्षित करने के लिए यहाँ कामुक मूर्तियाँ बनाई गईं.

* एक और दृष्टिकोण है कि मंदिरों की दीवारों पर भगवान, यक्ष, गांधार की मूर्तियों के अलावा काल्पनिक जानवर भी बनाए गए हैं मसलन व्याल, वृक व्याल और गज व्याल. इन सभी में कई जानवरों के अच्छे गुणों के मिश्रण हैं और ये शुभ हैं. प्रवेश करने वाले इन सभी का दर्शन करें और अपनी दुनियावी इच्छाओं को बाहर रख कर मंदिर में प्रवेश करें.

* कवि चंदबरदाई के अनुसार चंदेल राजपूत वंश की शुरुआत एक कन्या हेमवती जो चांदनी में नहा रही थी, और चंद्रमा के मिलन से हुई थी. सभी चंदेल राजा कला प्रेमी हुए और उन्होंने सुंदर महल और मंदिर बनवाए और अनोखी मूर्तियों से सजावट की. यह मूर्ति कला चौंसठ योगिनी के सिंपल से मंदिर से शुरू होकर डेढ़ सौ वर्षों बाद लक्ष्मण मंदिर और कंदारिया मंदिर में निखर कर शिखर पर पहुँच गई.

मंदिरों में इन कामुक मूर्तियों के होने का जो भी कारण रहा हो पूरे विश्व में इनका कोई मुकाबला नहीं है. इनकी बनावट, हाथ पैरों की पोज़ीशन, चेहरे के हाव भाव, सजावटी जेवर, हेयर स्टाइल इत्यादि कमाल की सजीवता लिए हुए हैं. हलके ठन्डे मौसम और हरियाली में ये मंदिर और लैंडस्केप बहुत ही सुंदर लगते हैं. मंदिर में प्रवेश के लिए और गाइड के लिए खासे पैसे लगते हैं. अच्छा कैमरा, पानी की बोतल और टोपी साथ रखिये और अनोखी विश्व धरोहर का आनंद लीजिये.
प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

मंदिर की बाहरी दीवार पर बेमिसाल नक्काशी. इसमें से तीन मिथुन फोटो अलग अलग नीचे दी गईं हैं  

कामुक युगल - 1 

कामुक युगल - 2

कामुक युगल - 3

छोटे छोटे आलों में बनी मिथुन मूर्तियाँ 

कहा जाता है कि घर से लम्बे समय तक दूर रहने वाले कुछ सिपाही इस तरह की हरकत कर देते थे जो अवैध मानी जाती थी. पिछले दो सिपाही उसे पकड़ने जा रहे हैं 
एक स्त्री और जानवर का मैथुन. इस स्त्री को भी पकड़ कर महिला पुलिस राजा के दरबार में पेश कर रही है. वही स्त्री हाथ जोड़ कर और सिर झुका कर राजा से माफी मांग रही है 

दो बड़े पत्थरों के बीच बने आले में मिथुन मूर्तियाँ 

ऊपर वाले क्रम में और मूर्तियाँ 

ऊपर वाले क्रम में कुछ और मूर्तियाँ 

खजुराहो के सुंदर मंदिर 


खजुराहो के कुछ मंदिरों पर फोटो ब्लॉग इन निम्नलिखित नामों पर क्लिक कर के देखे जा सकते हैं:

1. चौंसठ योगिनी मंदिर

2. दुल्हादेव मंदिर

3. वाराह मंदिर

4. चतुर्भुजा मंदिर

5. जावरी मंदिर

6. वामन मंदिर



8 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/05/2.html

सुनील said...

बेहतरीन आलेख और गजब फोटो

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सुनील. बहुत सुंदर और अनोखे मंदिर हैं खजुराहो के.

शिवम् मिश्रा said...

ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को विश्व हास्य दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ !!

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 05/05/2019 की बुलेटिन, " विश्व हास्य दिवस की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद शिवम् मिश्रा जी.

Jyotirmoy Sarkar said...

Very informative post, read it holding my breath, some of these info were beyond my knowledge, thanks for sharing.
Captures are very nice.

Harsh Wardhan Jog said...

Thanks Sarkar

Anonymous said...

पढ़कर बहुत अच्छा लगा आपने बहुत विस्तृत जानकारी दी है और भारत की खोज में आपका नाम प्रथम आना चाहिए