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Saturday 9 February 2019

वाराह मंदिर खजुराहो

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खजुराहो छोटा सा पर प्रसिद्ध शहर है जहां सन 850 से लेकर लगभग सन 1150 तक चंदेल वंश का राज रहा है. इस दौरान चंदेल राजाओं ने 85 सुंदर मंदिरों का निर्माण करवाया जिनमें 25 अभी भी बचे हुए हैं. ये सभी मंदिर 1988 में विश्व धरोहर याने World Heritage Site में शामिल किये गए थे.

खजुराहो के मंदिरों में एक मन्दिर वाराह का भी है जो की विष्णु का तीसरा अवतार है. माना जाता है कि यह मन्दिर चंदेल राजाओं द्वारा सन 900 से 925 के बीच बनवाया गया था. यह छोटा सा मंदिर एक ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है. चबूतरे के ऊपर चौदह खम्बे हैं जिनके ऊपर पिरामिडनुमा मंडप है. पूरा मंदिर बलुए पत्थर का बना हुआ है. वाराह की मूर्ति की लम्बाई 2.6 मीटर है और ऊँचाई 1.7 मीटर है. इस विशालकाय वाराह के शरीर पर कमाल की छोटी छोटी और सुंदर मूर्तियाँ उकेरी गई हैं. गिनती में तो ये कई सौ होंगी.

पुरानी कथा के अनुसार एक दानव हिरण्याक्ष ने ब्रह्माण्ड में बहुत उत्पात मचा रखा था. सभी देवी, देवता और दानव उससे त्रस्त थे. एक दिन उसने पृथ्वी को हर लिया और रसातल में जलमग्न कर दिया. भगवान् विष्णु एक वाराह या जंगली शूकर के रूप में आये और दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ जो एक हजार वर्षों तक चला. अंत में विष्णु ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया और अपने दांतों पर पृथ्वी को उठा कर वापिस सही स्थान पर रख दिया. वाराह को केवल शूकर या एक मानव जिसका सिर शूकर का है दोनों तरह से दिखाया जाता है. इस मंदिर में जंगली शूकर का ही रूप दिखाया गया है. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

1. सबसे आगे वीणा वादिनी सरस्वती 

2. पैरों में अजगर

3. देवी देवता 

4. देवी देवता 

5. कमाल की कारीगरी 

6. मंडप की छत पर कमल 

7. स्कन्द पुराण में दिया गया वाराह मन्त्र - ऊँ नम: श्री वाराहाय धरण्युद्धारणाय स्वाहा:






3 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

http://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/02/blog-post_9.html

Unknown said...

सुन्दर वृतांत और फोटो।

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सुनील.