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Thursday, 9 May 2019

नैनागिरी जैन मंदिर

नैनागिरी में जैन मंदिरों का एक बड़ा समूह है. यह जगह दलपतपुर जिला छतरपुर मध्यप्रदेश में है और सागर जिले से लगभग 55 किमी दूर है. नैनागिरी को रेशंदिगिरी या दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र भी कहते हैं. यहाँ 38 मंदिर पहाड़ी पर हैं, 13 मंदिर नीचे हैं और दो झील में हैं. इस स्थान के सम्बन्ध में कहा गया है कि:

पासस्स समवसरणे सहिया वरदत्त मुणिवरा पंच |
रिस्सिन्देगिरि सिहरे णिव्वाण गया णमो तेसिं ||

अर्थात इस स्थान रेशंदिगिरी पर पांच मुनियों - श्री वर दत्त, श्री मुनीन्द्र दत्त, श्री इन्द्र दत्त, श्री गुण दत्त और श्री सागर दत्त ने त्याग और कठिन तप के बाद निर्वाण प्राप्त किया.

एक अभिलेख के अनुसार यहाँ का सबसे पुराना मंदिर सन 1042 - 1109 के दौरान बना था. ये सभी मंदिर सैकड़ों बरसों तक जंगल में गुम रहे. कुछ साधकों ने 1900 के आस पास पहाड़ी में खुदाई करके इन मन्दिरों को खोजा था. पास की नदी की धारा के बीच में एक बड़ी शिला है जिसे सिद्ध शिला कहा जाता है जिस पर बैठ कर मुनियों ने तप किया था. साल में दो बार - श्री पार्श्वनाथ और श्री महावीर निर्वाण दिवस पर यहाँ मेले लगते हैं. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

1. श्री पार्श्व नाथ जिन्नालय 

2. झील में दो मंदिर 

3. वंदना यहाँ से प्रारम्भ होती है 

4. मुनियों की चर्चा 

5. भगवन बाहुबली मंदिर 

6. जिन्नालय 

7. श्री आदि नाथ 

8. श्री शांति नाथ और श्री कुन्थु नाथ जिन्नालय 

9. श्री चन्द्र प्रभु जिन्नालय  
10. श्री पार्श्व नाथ जिन्नालय 

11. श्री पार्श्व नाथ 

12. जैन मुनि 

13. पांच मुनि 

14. संक्षिप्त इतिहास 

15. श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र रेशंदिगिरी 

17. जैन मंदिर 
18. आसपास का इलाका हरा भरा और बहुत सुंदर है 




3 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/05/blog-post.html

sunil kumar agrawal said...

बहुत सुन्दर और नई जानकारी

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सुनील