बीकानेर थार रेगिस्तान का एक शहर है. यह शहर राव बीका द्वारा 1486 में बसाया गया था. जयपुर से बीकानेर की दूरी 330 किमी है और दिल्ली से लगभग 430 किमी है. मौसम का मिजाज़ गर्मी में पचास डिग्री तक और सर्दी में शुन्य डिग्री तक हो सकता है. मौसम, पानी की कमी और हवाओं की तेज़ी को ध्यान में रखकर मकान और हवेलियाँ बनाए जाते होंगे.
इस पुराने शहर में बहुत सी हवेलियाँ हैं जैसे की रिखजी की हवेली, सम्पतलाला की हवेली, भैरों की हवेली वगैरा. 1925 की बनी भंवर निवास हवेली तो अब एक होटल है. परन्तु बीकानेर की हवेलियों में से रामपुरिया हवेलियों का बड़ा नाम है. इस समूह की हवेलियों में छोटी बड़ी कई हवेलियां हैं और ये सभी लाल पत्थर की बनी हुई हैं. ये हवेलियां 100 से लेकर 400 साल तक पुरानी हैं और चित्रकारी से भरपूर हैं. पुरानी हवेलियों के वास्तुकार थे बालूजी चलवा. प्रसिद्ध लेखक, दार्शनिक अल्डस हक्सले - Aldous Huxley भी यहाँ आये थे और उन्होंने रामपुरिया हवेलियों को बीकानेर की शान कहा था.
ड्योढ़ी, झरोखे, छज्जे, कंगूरे, छतें और दीवारें सभी पर सुंदर नक्काशी है. लकड़ी के दरवाज़े, खिड़कियाँ भी कलाकारी से भरपूर हैं. कुछ चित्र प्रस्तुत हैं :
इस पुराने शहर में बहुत सी हवेलियाँ हैं जैसे की रिखजी की हवेली, सम्पतलाला की हवेली, भैरों की हवेली वगैरा. 1925 की बनी भंवर निवास हवेली तो अब एक होटल है. परन्तु बीकानेर की हवेलियों में से रामपुरिया हवेलियों का बड़ा नाम है. इस समूह की हवेलियों में छोटी बड़ी कई हवेलियां हैं और ये सभी लाल पत्थर की बनी हुई हैं. ये हवेलियां 100 से लेकर 400 साल तक पुरानी हैं और चित्रकारी से भरपूर हैं. पुरानी हवेलियों के वास्तुकार थे बालूजी चलवा. प्रसिद्ध लेखक, दार्शनिक अल्डस हक्सले - Aldous Huxley भी यहाँ आये थे और उन्होंने रामपुरिया हवेलियों को बीकानेर की शान कहा था.
ड्योढ़ी, झरोखे, छज्जे, कंगूरे, छतें और दीवारें सभी पर सुंदर नक्काशी है. लकड़ी के दरवाज़े, खिड़कियाँ भी कलाकारी से भरपूर हैं. कुछ चित्र प्रस्तुत हैं :
रामपुरिया हवेलीयों में से एक |
समय ठहर गया लगता है यहाँ |
दीवारों पर यूरोपियन चेहरे |
गलियों में सीधी धूप कम ही आती है इसलिए ठंडक रहती है |
आर्ट और ड्राइंग के छात्रों के लिए बढ़िया जगह |
पुरानी सांकल और दरवाज़ा |
छत पर की गई सुंदर चित्रकारी |
सुंदर दरवाज़े खिड़कियाँ |
नया पुराना आमने सामने |
गलियां आड़ी तिरछी |
पत्थर हो या लकड़ी सभी पर नक्काशी |
कलाकारी वाले दरवाज़े और मेहराब |
1 comment:
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