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Wednesday 1 February 2017

थार की सड़कों पर - 1

थार रेगिस्तान का एक बड़ा भाग राजस्थान में है और कुछ हिस्सा गुजरात, हरयाणा और पंजाब को भी छूता है. बाकी हिस्सा बॉर्डर के पार है. यह भारत का सबसे बड़ा और विश्व का सातवें नंबर का रेगिस्तान है. बारिश बहुत कम होती है और तापमान सर्दी में 0 डिग्री या उस से भी कम और गर्मी में 50 के ऊपर भी चला जाता है.

पानी कम है इसलिए खेती कम है और इसलिए जनसँख्या भी कम है. सड़क पर मीलों तक कोई दिखाई नहीं पड़ता और गाँव भी बहुत दूर दूर हैं. उत्तर प्रदेश में हर पचास किमी पर शहर आ जाता है. केरल में भी ड्राइव धीमी है क्यूंकि आबादी के साथ साथ पहाड़ी इलाका भी ज्यादा है. जबकि राजस्थान के इस रेगिस्तानी भाग में 250 - 300 किमी से पहले कोई बड़ी आबादी नहीं मिलती.

थार मरुस्थल के मुख्य शहर हैं झुंझनु, नागौर, बीकानेर, जैसलमेर और जोधपुर. सड़कें ज्यादातर अच्छी हैं और उनकी चौड़ाई बढ़ाई जा रही है. मुख्य हाईवे से अंदर गाँव की ओर जाने वाले रास्ते उतने अच्छे नहीं हैं. अपनी गाड़ी फिट रखें और गाड़ी का हवा, तेल, पानी जरूर चेक कर लें. कुछ खाने का सामान और पीने का पानी साथ रख लें क्यूंकि ढाबे बहुत दूर दूर मिलेंगे और हो सकता पानी खारा मिले. खाली सड़कों पर गाड़ी की स्पीड जल्द ही 100 के पार हो जाती है पर गाय, भेड़, बकरी, नीलगाय और जंगली ऊँटों का ध्यान रखना होगा. जोधपुर और जैसलमेर के आसपास हिरन और चिंकारा भी नज़र आ जाते हैं.

हमने अपनी यात्रा नीचे दिए गए नक़्शे के मुताबिक 11 दिन में पूरी की. फोर्ड ईको डीज़ल गाड़ी इस्तेमाल की और कोई दिक्कत नहीं आई. सड़कों पर साइन बोर्ड काफी हैं और मोबाइल का gps भी इस्तेमाल किया हालांकि कई जगह सिग्नल नहीं आते. पूछने पर स्थानीय लोग प्यार से रास्ता और किले वगैरा की जानकारी दे देते हैं. अतिथि देवो भव: यहाँ पूरी तरह लागू है!

यहाँ दी गई ज्यादातर फोटो चलती गाड़ी में से मोबाइल से ली गई हैं. इनमें कोई समय या विषय का क्रम नहीं है याने random हैं. जहां भी कोई चीज़ अच्छी लगी फोटो खींच ली. उम्मीद है पसंद आएंगी.


बहुत कठिन है डगर पनघट की - दिन में दो बार पानी भरने जाना पड़ता है.  

सुनसान सड़क और जंगली ऊंट. जैसे ऊंट रेगिस्तान का जहाज है वैसे ही कीकर का पेड़ रेगिस्तान का राजा है  

भूसा भरा है ! वो भी इतना की ट्रेक्टर का चलना ही मुश्किल हो जाता है

जनता के लिए बसों की कमी लगती है इसलिए ही जीपों में ओवरलोडिंग होती है. महिलाऐं लम्बे घूँघट करती हैं और ये घूँघट धूप से भी बचाता है और कैमरे से भी! 

ऊंट ऊँची गर्दन कर के कीकर के सारे पत्ते खाना चाहता है. कीकर की कोशिश है कि और ऊपर उठ जाए ताकि पत्ते बचे रहें - दोनों का घमासान सदियों से जारी है!   

जोधपुर जिले का एक गाँव 'बाप'. बाद में पता लगा के पोकरण रोड पर एक गाँव 'चाचा' नाम से भी है!

जैसलमेर और जोधपुर में तेज़ हवाएं 24x7 लगातार चलती हैं. गर्मी में गर्म और सर्दी में ठंडी. उसी का फायदा उठा कर विंड मिलें लगा दी गई हैं  

पोकरण का नाम पढ़कर ड्राईवर खुश हुआ 

गोधूली का समय. गाय खास तरह की चाल से वापिस चल पड़ीं अपने घर को. उन्हें आपकी गाड़ी से कोई मतलब नहीं है इसलिए ब्रेक तो आपको ही लगानी पड़ेगी 

ढाणी याने ठिकाना या वास - इन्दो का निवास. राजस्थान में ढाणी के बहुत से साइन बोर्ड मिलेंगे  

तीर्थ यात्री अजमेर शरीफ की ओर जाते हुए 

स्कूली बच्चों का सफाई जागरूकता अभियान 

यात्रा मार्ग लगभग 2000 किमी - दिल्ली > मंडावा > बीकानेर > जैसलमेर(तनोट - लोंगेवाला) > जोधपुर > पुष्कर > दिल्ली  



3 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

थार की सड़कों पर - 1
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/02/1.html

Harsh Wardhan Jog said...

थार की सड़कों पर - 2
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/05/2.html

Harsh Wardhan Jog said...

थार की सड़कों पर - 3
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/01/3.html