सन्डे तो आज अच्छा ही गुज़रना चाहिए, मन्नू उर्फ़ मनोहर नरूला ने सोचा. पूरा हफ्ता बैंक में जनता से मगजमारी के बाद एक दिन आराम का भी तो होना चाहिए. और आज तो शाम को शादी में भी जाना है कुछ दोस्त यार मिलेंगे कुछ गपशप होगी मज़ा आएगा. शादी ज्यादा दूर नहीं है पैदल भी जाया जा सकता है पर सूट बूट पहन कर पैदल जाने वाला रास्ता तो नहीं है.
मन्नू अभी अपनी टाई और शर्ट के कलर मैच कर रहा था कि उसके पापा का फ़ोन बजा. फोन पर जो भी बात हुई उन्होंने मम्मी को बताई. फिर पापा और मम्मी की जो बात हुई मम्मी ने मन्नू को बताई,
- मन्नू बेटा आज शाम शादी में तो जाना ही है तो एक घंटा पहले चले चलियो. वहीं दो चार घर छोड़ के एक लड़की भी है तुझे मिलवा देंगे ठीक है ना?
- ओके ओके ठीके ठीके.
वहां पहुँचने पर पता लगा कि लड़की तो मंदिर गई हुई है और उसे अभी आने में आधा घंटा और लग जाएगा. मम्मी ने जब ये सुना तो उनका ह्रदय तो गद् गद् हो गया,
-वाह लड़की मंदिर भी जाती है! चलो जी भगवान भली करे मेरी तरफ से तो काम हो ही गया. बस अब मन्नू की पतरी मिलने की देर है. इसी मंदिर का परशाद बांटूगी.
मम्मी ने सुझाव दिया कि मन्नू भी मंदिर चला जाए और वो पीछे पीछे आंटी के साथ आ जाएंगी. लड़की जहाँ भी होगी वो इशारे से बता देंगीं. मंदिर से पूजा पाठ कर के निकलेगी तो बातचीत भी हो जाएगी. मन्नू को बात पसंद नहीं आई और वो मम्मी के कान में गुर्राया.
- मम्मी आप कैसे कैसे प्रोग्राम बनाती हो? अब नए जूते उतर के सूट और टाई में मन्दिर जाऊं? अरे उसे आने दो बाद में ही मिल लूँगा ना.
पर मम्मी के बचाव में आंटी ने जवाब दिया,
- अरे बेटा ज़रा सी देर की तो बात है. जाओ चले जाओ.
बड़े बेमन से मंदिर की ओर चल पड़ा मन्नू. ज्यादा नहीं बस 30-35 लोग रहे होंगे मंदिर में. बगीचा पार करके जूते उतर कर रख दिए और जुराबें जूतों में ठूंस दीं. हाथ धोए और सीढियां चढ़ कर हॉल में प्रवेश किया. तीनों मूर्तियों को नमस्कार किया और दस का नोट चढ़ा दिया. अब हॉल में नज़र दौड़ाई. आदमी देखने बेकार थे, महिलाऐं भी देखने की ज़रुरत नहीं थी तो लड़कियां बची 5-7. कौन सी होगी? इतने में मम्मी ने आकर मदद की,
- बाहर साइड में ना केले के पेड़ लगे हुए हैं वहीं बैठी है जा देख ले. बाद में 72 नंबर मकान में आ जइयो.
मन्नू को लड़की तो ठीक लगी. दिया जला के और सिर ढक कर के कुछ मन्त्र पढ़ रही थी. मन्नू ने सोचा अब बाकी बातें बाद में होंगी इसलिए निकलो यहाँ से. बाहर आकर देखा तो ना जूते और ना जुराबें. इधर उधर भीतर बाहर कहीं नहीं. जहाँ जूते उतारे थे वहां दो पुराने मैले स्पोर्ट्स शूज़ मुस्करा रहे थे. कुछ देर दाएं बाएं देखने के बाद निराश हो कर वही पुराने जूते पहन कर मन्नू भाई 72 नंबर मकान की ओर चल दिए. बड़ा नुक्सान हो गया लड़की के चक्कर में. पर वहां चाय पी कर और लड़की से बात करके मन्नू को अच्छा लगा और अपने नए जूते की चोरी भी भूल गई. बाहर आकर घोषणा कर दी 'पसंद है'!
मन्नू के जाने के बाद लड़की ने चाय के बर्तन समेटने शुरू कर दिए और बड़बड़ाने लगी,
- मम्मी कहाँ से बुला लिया इस लड़के को? ज़रा ड्रेस सेंस तो देखो इस लड़के का ! गरम सूट के साथ बिना सॉक्स के स्पोर्ट्स शूज़ और वो भी फटीचर ! पता नहीं बैंक में कैसे भरती हो गया? मेरी तरफ से मना कर दो.
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नई जयपुरी मोजड़ी ठीक रहेगी |