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Sunday 5 July 2020

शूटिंग

बैंक की नौकरी भी कम उलझाऊ नहीं है. मनोहर नरूला जी ने जब बैंक ज्वाइन किया तो जवान थे और तब नौकरी के लिए भारत के किसी भी कोने में जाने को तैयार थे. पर उन्हें दिल्ली में ही रख लिया गया. पांच साल बाद अफसर बने तो उनकी दिली ख्वाहिश थी की मुम्बई या गोआ भेज दिया जाए. पर बैंक ने गोआ के बजाए गाँव भेज दिया. राजस्थान के धौलपुर जिले की जो सड़क जपवाली जाती है बस उससे थोड़ा सा हटके नगला दुल्हेखान की चिट्ठी दे दी गई. ब्रांच के बारे में बताया गया:
  
- मनोहर नरूला जी ये रही आपकी चिट्ठी. जैसा सुंदर नाम है गाँव का वैसा ही खुबसूरत भी है. आप वहाँ जाकर ब्रांच सम्भालें. लोन बाटें, गाँव और देश प्रदेश की तरक्की कराएं.  और हाँ गाँव में पानी की कमी है पर आपको सिर्फ दस रूपए में एक बाल्टी पानी मिल जाएगा. ब्रांच में एक पनिहारिन भी है. ऐसी सुविधा आसपास के दूसरे इलाकों में नहीं है! गुड लक.
  
खैर समय गुजरा मन्नू जी चीफ मैनेजर बन गए और उन्हें मुम्बई भेज दिया गया. एक साल रह गया था रिटायर होने में और ऐसे में तो दिल्ली ही रखना चाहिए था पर मुम्बई भेज दिया. कमबख्त एच आर डी का दिमाग उलटा ही चलता है. खैर हो सकता है इसी बहाने करीना से मुलाकात हो जाए!  मनोहर नरूला जी की ये खासियत है की वो हर हाल में आशावादी रहते हैं.

मुम्बई ब्रांच के कुछ लोगों से शूटिंग देखने की इच्छा जाहिर की. पता लगा की कभी भी देखी जा सकती है इंतज़ाम हो जाएगा. 
- मुझे सिर्फ करीना की शूटिंग ही देखनी है (शूटिंग भी क्या देखनी है करीना को देखना है बस).

सोमवार को खबर आ गई की करीना की तीन दिन की सुबह की शूटिंग फलां स्टूडियो में हो रही है. बस मनोहर जी ने तीन दिन की छुट्टी ले ली. पता नहीं फिर कब ऐसा चांस मिले?
स्टूडियो पहुँच गए. जब तक करीना नज़र आई तब तक उसे बैठे देखते रहे. किसी और हीरो हीरोइन में या शूटिंग में कोई दिलचस्पी तो थी नहीं. तीसरे और आख़िरी दिन मनोहर जी ने ऑटोग्राफ लेना चाहा ताकि नजदीक से करीना पर नज़र डाली जा सके. डायरी और पेन लेकर नज़दीक पहुंचे तो गार्ड ने मुस्करा कर जाने दिया.
- ऑटोग्राफ प्लीज. मुझे आप बहुत अच्छी लगती हैं, मनोहर जी बोले. वो तो बिलकुल मन्त्र मुग्ध हो गए. क्या गुलाबी रंग है, क्या आँखें हैं और क्या अंदाज़ है.
- थैंक यू अंकल.

'अंकल' शब्द सुन कर मनोहर जी का मोह भंग हो गया और धीरे से वापिस मुड़े. ठंडी साँस भर के डायरी और पेन संभाला. गार्ड देख सुन कर मुस्कुराया और बोला,
 - सर मेरी बात मानें तो आप वहीदा रहमान या आशा पारेख से मिलें. 
- हूँ! किसी ज़माने में आशा पारेख मुझे बहुत पसंद थी और उसकी सारी फ़िल्में देखता था. बहरहाल शुक्रिया याद कराने के लिए. वैसे शूटिंग देखने में क्या रखा है? कुछ नहीं!   
आशा पारेख का एक पुराना पोस्टर ( इन्टरनेट से )


3 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2020/07/blog-post_5.html

Manish said...

Maza aa gaya Aasha ji aur Vahida ji se milkar.....

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद Manish