हस्तिनापुर एक छोटा सा पर ऐतिहासिक शहर है जो मेरठ जिले में है. दिल्ली से हस्तिनापुर की दूरी 135 किमी है. यहाँ के जैन मंदिर बहुत ही सुंदर हैं. हस्तिनापुर की मुख्य सड़क पर अमर शहीद उधम सिंह चौक के आस पास बहुत से मूर्तिकार अपना काम करते नज़र आएँगे. छैनी हथौड़ी की आवाज़ तो सुनाई देगी ही कुछ नए मशीनी औज़ार भी नज़र आएँगे. इन नए औजारों से काम की क्वालिटी बढ़े या ना बढ़े पर काम जल्दी हो जाता है.
ये काम हस्तिनापुर के कुछ परिवार कई दशकों से करते आ रहे हैं. मूर्तियाँ पत्थर, सफ़ेद मार्बल या फिर कंक्रीट से बनाई जाती हैं. गुलाबी पत्थर जोधपुर से और संगमरमर किशनगढ़ राजस्थान से मंगाया जाता है. इसके अलावा कंक्रीट का भी इस्तेमाल किया जाता है जिसमें अलग अलग तरह के रंग भरने की सुविधा रहती है.
पत्थर की तीन फुट ऊँची ध्यान में बैठे हुए गौतम बुद्ध की प्रतिमा बनाने में 25 से 45 दिन तक का समय लग सकता है और कीमत 50 हज़ार या उससे ज्यादा हो सकती है. मार्बल से बना सामान और भी महंगा है. कंक्रीट में काम धीरे धीरे और टुकड़ों में चलता है इसलिए समय ज्यादा लगता है. नीले घोड़े पर बैठे गोगा जाहर वीर की प्रतिमाएं कंक्रीट में ही बनाती हैं.
आप अपनी या किसी दिवंगत की प्रतिमा भी बनवा सकते हैं. ऐसे में पहले मिट्टी / प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का मॉडल बना के दिखा दिया जाता है और मॉडल पास होने के बाद ही पत्थर पर काम शुरू होता है. आसपास के गाँव में फौजी बहुत हैं. शहीद फौजियों की मूर्तियाँ अक्सर बनवाई जाती हैं. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:
15 सेकंड का एक विडियो. मूर्तिकार लक्खी बंजारा की कंक्रीट की प्रतिमा बनाते हुए. मूर्ति के केवल छोटे छोटे हिस्से बनाए जाते हैं. आज केवल दाढ़ी संवारी जाएगी
ये काम हस्तिनापुर के कुछ परिवार कई दशकों से करते आ रहे हैं. मूर्तियाँ पत्थर, सफ़ेद मार्बल या फिर कंक्रीट से बनाई जाती हैं. गुलाबी पत्थर जोधपुर से और संगमरमर किशनगढ़ राजस्थान से मंगाया जाता है. इसके अलावा कंक्रीट का भी इस्तेमाल किया जाता है जिसमें अलग अलग तरह के रंग भरने की सुविधा रहती है.
पत्थर की तीन फुट ऊँची ध्यान में बैठे हुए गौतम बुद्ध की प्रतिमा बनाने में 25 से 45 दिन तक का समय लग सकता है और कीमत 50 हज़ार या उससे ज्यादा हो सकती है. मार्बल से बना सामान और भी महंगा है. कंक्रीट में काम धीरे धीरे और टुकड़ों में चलता है इसलिए समय ज्यादा लगता है. नीले घोड़े पर बैठे गोगा जाहर वीर की प्रतिमाएं कंक्रीट में ही बनाती हैं.
आप अपनी या किसी दिवंगत की प्रतिमा भी बनवा सकते हैं. ऐसे में पहले मिट्टी / प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का मॉडल बना के दिखा दिया जाता है और मॉडल पास होने के बाद ही पत्थर पर काम शुरू होता है. आसपास के गाँव में फौजी बहुत हैं. शहीद फौजियों की मूर्तियाँ अक्सर बनवाई जाती हैं. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:
काम मेहनत का है, धूल मिट्टी में सने रहने का है पर फिर भी फोकस बनाए रखना है. ज़रा सी असावधानी से मेहनत बेकार जा सकती है |
गौतम बुद्ध की तैयार मूर्तियाँ. इन मूर्तियों में जोधपुर के गुलाबी पत्थर का इस्तेमाल किया गया है |
सुंदर कारीगरी का नमूना. यह मूर्ति भी जोधपुरी पत्थर की बनी है. इस में अभी बारीक काम और फिनिशिंग होनी बाकी है |
गौतम बुद्ध की अधूरी मूर्ति. इसमें 45 दिन के उपवास के बाद सिद्धार्थ गौतम के शरीर की स्थिति दिखाई जानी है. मूर्ति में सफ़ेद मार्बल इस्तेमाल किया जा रहा है |
सफ़ेद मूर्ति बाबा गोरखनाथ की है और घोड़े गोगा जाहर वीर बाबा की मूर्ति के लिए तैयार हो रहे हैं. राजस्थान में जन्मे गोगा जाहर वीर, बाबा गोरखनाथ के परम शिष्य थे |
लाल पत्थर से बनी तैयार मूर्तियाँ |
ये कुत्ते की मूर्ति लक्खी बंजारा की मूर्ति तैयार होने पर उसके साथ रखी जाएगी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के व्यापारियों में लक्खी बंजारा की काफी मान्यता है |
गोगा जाहर वीर की मूर्ति. राजस्थान के चुरू जिले में जन्मे जाहर वीर बाबा को गोगा चौहान, जाहर वीर, जाहर पीर भी कहा जाता है. राजस्थान के सभी सम्प्रदायों के लोक देवता हैं. इनका घोड़ा नीला ही बनाया जाता है |
फौजी सतपाल सिंह की प्रतिमा. यहाँ के मूर्तिकार किसी दिवंगत की भी मूर्ति बना सकते हैं |
11 comments:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/10/blog-post.html
आपनेअच्छी जानकारी दी
Nice to know about this place.
Thank you Durga Prasad Dash.
Thank you Sunil Kumar Agrwal
आदरणीय हर्ष जी -- ये कलाकार भले गुमनाम ना हों पर जितनी मेहनत है उतने उन्हें ना दाम हैं ना नाम | बहुत ही प्यारे चित्रों से सजी जानकारी , जो बस आप ही दे सकते हैं | चित्रों से उनके जज्बे और हुनर का पता चलता है | आपको आभार इतनी सुंदर जानकारी के लिए | जोखिम भरी यात्राओं में सकुशल रहिये | मेरी शुभकामनायें |
धन्यवाद रेणु
सही कहा आपने ना उचित दाम हैं और ना ही उतना नाम है.
आपकी शुभकामनाएं साथ है धन्यवाद.
Kitna sajeev chitran karte hai ye kargar,kamal hai. Pathar par sajeev ekdam bolti nazar aati hai.A big Salute to these chitrakar as well as to you Sir who brings their qualitities in lime light of public.Thanks for your information.
Thank you Saxena ji. Statue making is real hard work.
Thank you lifepage
बहुत ही अद्भुत लगा । मूर्तिकार का साक्षात्कार भी बहुत अच्छा था
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