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Monday, 20 August 2018

हस्तिनापुर के जैन मंदिर

हस्तिनापुर एक छोटा सा शहर है जो मेरठ जिले में है और दिल्ली से लगभग 110 किमी की दूरी पर है. मेरठ-मवाना रोड NH 119 पर स्थित हस्तिनापुर, मेरठ शहर से 35 किमी की दूरी पर है. हस्तिनापुर का मुख्य आकर्षण जम्बुद्वीप और यहाँ के जैन मंदिर हैं. वैसे तो भगवान के मंदिर हैं कभी भी जा सकते हैं पर सितम्बर से मार्च तक मौसम खुशगवार होता है.
महाभारत से जुड़े हस्तिनापुर का उस समय का कोई भी अवशेष अब यहाँ नहीं है. शायद भविष्य में कभी खोजबीन की जाए तो किले और महलों से सम्बंधित कोई वस्तु मिले. बहरहाल इन्टरनेट में मिली जानकारी के अनुसार पंडित नेहरु ने 6 फरवरी 1949 को इस शहर की पुनर्स्थापना की थी.
यहाँ 1965 में प्रमुख आर्यिका शिरोमणि ज्ञानमती माताजी को पूरे ब्रह्माण्ड के दर्शन हुए जिसका विवरण जैन ग्रंथों से मिलता था. उन्होंने ही 1972 में जम्बुद्वीप की स्थापना शुरू करवाई और कार्य 1985 में संपन्न हुआ. जम्बुद्वीप परिसर में जैन वास्तु पर आधारित बहुत से मंदिर, ध्यान कक्ष, धर्मशालाएं और शाकाहारी भोजनालय हैं.
जैन धर्म सम्बंधित कुछ रोचक जानकारी:
* जैन धर्म भारत का छठा बड़ा धर्म है जिसके लगभग 45 लाख अनुयायी हैं.
* जैन समुदाय की साक्षरता दर 94% है.
* जैन धर्म के प्रवर्तक और पहले तीर्थंकर ऋषभदेव थे तथा 24 वें और अंतिम तीर्थंकर महावीर थे.
* राजा दधिवाहन की पुत्री चंपा पहली जैन भिक्षुणी मानी जाती हैं.
* जैन मंदिरों में भगवान की मूर्ती न होकर तीर्थंकरों, अर्हन्तों और सिद्धों की मूर्तियाँ हैं.
* जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि को बनाने वाला या चलाने वाला कोई नहीं है ना ही सृष्टि का कोई आदि या अंत है.
* जैन दर्शन के मुख्य नियम हैं - अहिंसा, अनेकान्तवाद और अपरिग्रह.
* जैन धर्म का मुख्य मन्त्र है णमोकार मन्त्र जिसे नमोकार मंत्र या नमस्कार मन्त्र या पञ्च परमेष्ठी मन्त्र भी कहा जाता है. प्राकृत भाषा में यह मन्त्र इस प्रकार है :

णमों अरिहंताणं            (अरिहंतों को नमस्कार है)
णमों सिद्धाणं                (सिद्धों को नमस्कार है)
णमों आयरियाणं           (आचार्यों को नमस्कार है)
णमों उवज्झायाणं          (उपाध्यायों को नमस्कार है)
णमों लोए सव्व साहूणं    (लोक के सभी साधुओं को नमस्कार है)

* जैन मुनियों की पांच प्रतिज्ञाएँ हैं - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह.
* जैन शब्द का उद्गम है 'जिन' याने विजेता से अर्थात जिसने अपनी काया, मन और वाणी पर जीत हासिल कर ली हो.
जम्बुद्वीप की कुछ फोटो :

मुख्य मंदिर समूह 
हर छोटे मंदिर में अलग मूर्ति स्थापित है 
त्रिमूर्ति मन्दिर

तीर्थंकर ऋषभदेव मन्दिर

सुंदर तोरण

कमल मंदिर. बांयी ओर 101 फीट ऊँची मीनार है जिसे कहते हैं 'सुमेरु पर्वत'

ध्यान का स्थान 
'सुमेरु पर्वत' के ऊपर से लिया गया चित्र. पीछे है छे मंजिला जैन प्रतीक  













'सुमेरु' से दिखता विहंगम दृश्य

तीर्थंकर महावीर मंदिर 
जैन धर्म पताका इस तरह की है:
Jain flag
जैन पताका - विकिपीडिया से साभार 
जैन प्रतीक का रेखाचित्र जिसके निचले भाग में सात नरक हैं, मध्य्लोक में जीव जंतु रहते हैं, स्वास्तिक वाले भाग में देवी देवता निवास करते हैं और सब से ऊपर सिद्ध जन हैं. इनके छोटे छोटे मॉडल बने हुए हैं जिनमें से कुछ फोटो नीचे दी गयी हैं.
Jain Prateek Chihna.svg
जैन धर्म का प्रतीक - विकिपीडिया से साभार 
सबसे ऊपर सिद्ध जन 

मध्य में जीव-जंतु और फल-फूल
सबसे नीचे सात नरक लोकों में से एक 



1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/06/blog-post_10.html