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Wednesday 25 January 2017

जैसलमेर वार म्यूजियम

पोकरण से जैसलमेर जाते हुए रास्ते में ऊँचा तिरंगा फहराता हुआ दिखाई पड़ा. नज़दीक जाने पर पता लगा कि वहां तो जैसलमेर वार म्यूजियम है. गाड़ी पार्क करके अंदर देखा तो तबियत खुश हो गई.

जैसलमेर जिले की सीमा पाकिस्तान से मिली हुई है. यहाँ लोंगेवाला में 4 दिसम्बर 1971 की रात में पाकिस्तान ने 2000 सैनिक, 45 टैंक और 500 गाड़ियों लेकर आक्रमण किया. और मुकाबले में थे 120 जवान, M-40 तोप से लैस एक जीप, 4 हंटर लड़ाकू विमान और एक कृषक विमान. तीन दिन तक चले युद्ध के नुकसान का स्कोर - भारत : 2 जवान शहीद और एक एंटी-टैंक गन नष्ट, पाकिस्तान : 179 सैनिक मारे गए, 37 टैंक और 100 से ज्यादा गाड़ियां नाकारा. इन्हीं में से टैंक, रिकवरी ट्रक और कुछ हथियार म्यूजियम में रखे हुए हैं.

इस म्यूजियम का उद्घाटन 20 अगस्त 2015 को ले.जन. अशोक सिंह GOC-in-C, दक्षिणी कमान ने किया. यहाँ दो बड़े हाल हैं - इंडियन आर्मी हाल जिनमें सेना के ऐतिहासिक फ़ोटो, सैनिकों की वर्दियां और हथियार वगैरा प्रदर्शित किये गए हैं और दूसरा है लोंगेवाला हॉल जिसमें दिसम्बर 1971 के युद्ध की फोटो और इस्तेमाल किये गए कुछ हथियार भी रखे हुए हैं. एक दीवार है 'वेलोर वाल' जिस पर काले पत्थर पर सुनहरे अक्षरों में सम्मानित वीरों के नाम है. इसके आलावा एक छोटे से थिएटर में फिल्म दिखाने की व्यवस्था है, सुवेनिर शॉप और कैफ़े भी है. म्यूजियम सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक रोज़ खुला रहता है.

जैसलमेर से आते जाते जरूर रुकें और जानकारी बढ़ाएं. शहर से म्यूजियम केवल 10 किमी दूर है. देख कर मज़ा भी आता है और दिल में जोश भर जाता है. जयहिन्द !


म्यूजियम के गेट पर 

प्रथम विश्व युद्ध के साइकिल सवार भारतीय सैनिक का मॉडल 

बर्फानी हवाओं से बचाव के लिए वर्दी 

गैस और रासायनिक युद्ध के लिए ख़ास वर्दी 

विजयंत टैंक 

दुश्मन का शेर्मन टैंक जो शर्म से झुक गया   

दुश्मन का एक और बर्बाद टैंक T 59  

साथ लाए थे रिकवरी ट्रक पर दुश्मन की अपनी जान की रिकवरी मुश्किल हो गई    

छोटे 'हंटर' का बड़ा कमाल - दुश्मन के टैंक जहाँ थे वहीँ जाम कर दिये  

शान से लहराता तिरंगा 

The Warrior Cafe 
Life is adventure 



3 comments:

A.K.SAXENA said...

Very nice. We have seen war memorial at Jaisalmer.

Harsh Wardhan Jog said...

Thank you dear Saxena ji.

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/01/blog-post_25.html