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Sunday, 15 January 2017

जनमपत्री

बैंक की घड़ी में पांच बज गए थे इसलिए मनोहर नरूला ने अपना बस्ता पैक कर लिया, दराज बंद की और अलमारी में चाबी घुमा कर जेब में डाल ली. टॉयलेट में जाकर हाथ मुंह धोया और बाल सेट कर के बस्ता उठाने चल दिया. फिर ख़याल आया की आज तो एक नई कन्या ने ज्वाइन किया था उससे तो मुलाकात ही नहीं की. मनोहर नरूला ने मन ही मन अपने आप को कोसा,
- यार ऐसी लापरवाही तो नहीं होनी चाहिए मन्नू! क्या पता हमारी तरह उसको भी पार्टनर की जरूरत हो? क्या पता जनमपत्री यहीं मिल जाए?

पर कन्याएँ थी कि हाँ करने को तैयार ही नहीं थी. कितनी ही बार देखना दिखाना हो चुका था पर जवाब में हाँ नहीं हो रही थी. दो चार को मन्नू ने पसंद नहीं किया. दो चार लड़कियों ने मन्नू को पसंद नहीं किया. कुल मिला के स्थिति ये थी कि शनि और राहु भारी पड़ रहे थे और जनमपत्री नहीं मिलने दे रहे थे जबकि 30 का आंकड़ा पार होने को था. इस उधेड़बुन में एक बार फिर से रुमाल से मुंह पोछा और चेहरे पर मुस्कान फैला दी.
- हेल्लो जी मैं मनोहर हूँ मनोहर नरूला.
- हेल्लो मनोहर जी मैं शिल्पा हूँ शिल्पा भट्ट.
- आप कहाँ से हैं शिल्पा जी?
- मैं उत्तराखण्ड से हूँ.
- ठीक ठीक ठीक! वो तो यूँ ही पूछा था ना आप दिल्ली की लग नहीं रही.
- दिल्ली के हों या बाहर के कोई फर्क नहीं पड़ता है मनोहर जी.
- हाँ जी हाँ जी. मेरे पास बाइक है कहें तो आसपास कहीं छोड़ दूं आपको?
- आपके पास बाइक है मेरे पास सरकारी बस है. शुक्रिया.
- हें-हें-हें ठीक ठीक ठीक.

अगले दिन शाम को बैंक से निकलने से पहले मन्नू ने एक बार फिर सलामी दी,
- कैसी हैं शिल्पा जी आप? अभी तो दस मिनट हैं कहें तो कोल्ड ड्रिंक या कॉफ़ी मंगवाऊं?
- मनोहर जी वैसे तो मैं आपकी कॉफ़ी में कोल्ड ड्रिंक मिला कर पी लूंगी पर इस वक़्त नहीं.
- हें-हें-हें आप भी कमाल का मज़ाक करती हैं शिल्पा जी! किसी दिन आप के साथ दस मिनट बैठना पड़ेगा जी हें-हें-हें.
- मनोहर जी बात तो आप अभी भी कर रहे हैं और खड़े होकर कर रहे हैं.
- वैरी विट्टी शिल्पा जी आप बहुत ही हाज़िर जवाब हैं जी हें-हें-हें!

मन्नू के मन में हलचल बढ़ रही थी. ये शिल्पा ऊपर ऊपर से ही सख्त है या अंदर से भी? बात बनेगी या नहीं? अगले दिन फिर से दण्डवत किया,
- हेल्लो शिल्पा जी कैसी हैं आप?
- ठीक हूँ मनोहर जी.
- आपके वहां तो काफी देखने वाली जगह हैं. एक बार जाने का मन है वहां. खाने पीने को तो मिल ही जाता होगा मेरा मतलब..
- हाँ हाँ जड़ी बूटियाँ और कंद मूल बहुत होते हैं पहाड़ों में.
- हें-हें-हें कमाल करती हैं आप! मेरा मतलब है नॉन-वेज तो लेते होंगे आप?
- हाँ हाँ खाते हैं. बकरा हो तो भून लेते हैं, मछली हो तो तल कर खा लेते हैं.
- हाहाहा कमाल करती हैं जी आप! ठीक ठीक ठीक! दिल्ली में तो चिकेन ज्यादा चलता है जी.
- दुनिया दिल्ली से बड़ी है मनोहर जी. 10-12 दिन किसी गाँव में जाकर रहिये नई नई चीज़ें देखने को मिलेंगी विचार बदलेंगे आपके.
- चलेंगे जी आप के साथ प्रोग्राम बनाते हैं. आपको बस स्टॉप तक छोड़ दूँ?
- मैं खुद चली जाउंगी.

मन्नू नरूला और ज्यादा कनफ्यूज़ और बेचैन हो गया. समझ नहीं आ रहा था की ऊंट किस करवट बैठेगा. एक बार फिर शिल्पा के दरबार में हाज़िरी भरी,
- हेल्लो शिल्पा जी आज आप बहुत स्मार्ट लग रही हैं.
- थैंक्यू जी.
- आज तो कॉफ़ी मंगा ही लेता हूँ क्यूँ शिल्पा जी?
- हेल्लो मनोहर जी मैं आपको बता दूं कि मेरी जनमपत्री एक मूंछ वाले राजपूत से मिली हुई है. वो ना बात बात में तलवार निकाल लेता है. इसलिए ना आपसे दोस्ती नहीं हो सकती. ख्वामखाह आपका कोई अंगभंग जाए.

मनोहर नरूला का दिल बिना तलवार चले टुकड़े टुकड़े हो गया.

अंग भंग  



5 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

http://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/01/blog-post_15.html

A.K.SAXENA said...

Ha...ha....ha...ha...Gayi bhains paani men. Shilpa ji ki janamptri to kisi se pahle hi mil chuki thi, to Shilpa ji to Narula ji se maje le rahin thi.

Harsh Wardhan Jog said...

Thank you Saxena ji.

Subhash Mittal said...

Good

Harsh Wardhan Jog said...

Thank you Subhash Mittal ji