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Thursday, 4 February 2016

सुजाता और शम्मी

मिस वी. सुजाता की पहली पोस्टिंग कनाट प्लेस शाखा में हो गई. ऐसी पहली पोस्टिंग मिलनी आसान नहीं होती जनाब. नए और आम अफसर के लिए तो पहली पोस्टिंग मोहनजोदाड़ो या झुमरी तलैय्या में होती है. फिर अगर दिल्ली मिल भी गई तो ब्रांच होगी पटपड़ गंज में या फिर नजफ़ गढ़ में. कनाट प्लेस तो बस खास-उल-खास लोगों के लिए है और जाहिर है कि मिस वी. सुजाता की पैठ दरबार-ए-खास में भी रही होगी.

पर कई बार अनहोनी पोस्टिंग भी हो जाती है. मसलन श्री शम्मी नरूला मेरिट लिस्ट में 28वें नम्बर पर थे और मिस वी. सुजाता 30वें नंबर पर. मिस वी. सुजाता को दिल्ली पोस्टिंग देनी थी इसलिए अपने शम्मी को भी दिल्ली हाथ लग गई. इस तरह के झमेले तो HRD वाले अक्सर करते रहते हैं. उसके बाद सर्कुलर निकाल देते हैं कि खबरदार किसी ने बाहर वाले से सिफारिश लगवाई तो रोहतांग दर्रे में पोस्टिंग कर दी जाएगी.

मिस वी. सुजाता सांवली, छरहरी, घुंघराले बालों वाली और बड़ी-बड़ी आँखों वाली थी. बात मुस्करा के करती और बात करने से और अंग्रेजी बोलने से पता लग गया की मिस वी. सुजाता कन्या कुमारी की तरफ से आई है. हम तो Sujata लिखते थे वो Sujatha लिखती थी. कभी-कभी कोई सरकारी सफ़ेद अम्बेसडर छोड़ने आती थी मिस वी. सुजाता को जिससे लगता था की उसके पिताश्री कोई बड़े अफसर हैं भारत सरकार में.  

अपने श्री शम्मी नरूला जी सरकारी बसों में आते थे. गेहुआं रंग, आँखों पे चश्मा और धीर-गंभीर स्वभाव. मिडल क्लास के होनहार बालक. इनकी अपनी अंग्रेजी थी - मोर्निंग जी, थैंक्यू जी, आई नो जी. श्री शम्मी नरूला जी कसौली, हिमाचल प्रदेश के रहने वाले थे जी.

दोनों ने एक ही दिन ब्रांच में ज्वाइन किया, मुस्कराए और दोनों का टांका वहीं के वहीं भिड़ गया. सफ़ेद अम्बेसडर के ड्राईवर को इश्क़ की खुशबू आ गई. खबर मिस वी. सुजाता के पिताश्री तक पहुँच गई जो पुरातन पंथी और लकीर के फ़क़ीर थे उन्होंने बहुत डांटा. तो जवाब में बिटिया ने भी ना कर दी और घर में शीत-युद्ध शुरू हो गया.

खबर श्री शम्मी की मम्मी तक भी पहुँच गई. मम्मी ने कहा : - बेटा सांवली ही सही बस तू ले आ. हम इडली डोसे ही खा लेंगे.

मिस वी. सुजाता लाइन पे नहीं आई तो पिताश्री ने एक दिन अपने पीए को बुलाया :
- बैंक के GM को फ़ोन लगाओ.
- जनरल मेनेजर साहब एक फेवर चाहिए. श्री शम्मी नरूला की ट्रान्सफर कर दो. दिल्ली के बाहर करो फ़ौरन.
- सर अभी तो एक साल भी नहीं हुआ है मुश्किल है सर. एक साल तो होने दीजिये. अफसर यूनियन हल्ला मचा देगी सर. मेरे हाथ बंधे हुए हैं सर.
- नो नो नो. अगर तुम्हारे हाथ बंधे हुए हैं तो तुम्हारा बिस्तर भी बंधवा देता हूँ. ठीक है ?
- सर सर प्लीज़ सर ! मैं कुछ करता हूँ सर.

अगले दिन श्री शम्मी नरूला की पोस्टिंग कसौली कर दी गई
 - श्री शम्मी नरूला जी आपकी पोस्टिंग आपके घर के नजदीक की जाती है. मुबारक हो ! पार्टी लो और जाओ. जल्दी फूट लो पता नहीं कहीं और ना फेंक दें !

मिस वी. सुजाता ने सोचा - पिताश्री तो नहीं ?
श्री शम्मी नरूला ने सोचा - सुसरा बना विलेन?

खैर कसौली पहुँच कर तीन महीनों में श्री शम्मी नरूला ने सेटिंग कर ली. मुख्य मंत्री के दफ्तर से एक दिन GM को फ़ोन गया :
- भई GM साब आपके बैंक से बड़ी नाराज़गी है. कुछ काम नहीं हो रहा, कोई सर्विस नहीं दे रहा बैंक. अपना सरकारी डिपाजिट निकालने से पहले मैं सोच्या त्वानूं इन्फॉर्म कर दित्ता जाए.
- सर सर सर ! की नाराज़गी हो गई सर ? माफ़ी चांदा जी कोई गलती हो गयी सर ? मैंनू सेवा दस्सो सर. आपके काम तो हर हाल में करने हैं सर.
- बड़ा काम नहीं है GM साब. अपना बच्चा है शम्मी नरूला. उसको कनाट प्लेस ट्रान्सफर कर दो या फिर मिस वी.सुजाता को यहाँ भेज दो. बस छोटा सा काम है. मुझे करके बता देना. किन्नौरी सेब की पेटी भिजवा रहा हूँ.

आजकल तो श्रीमति वी. सुजाता नरूला और श्री शम्मी नरूला बैंक से रिटायर हो चुके हैं और बेटे के साथ ऑस्ट्रेलिया में ही रहते हैं. अगर आपने वहां मिलने जाना हो तो मेरे से एड्रेस ले जाना.      

जय हो !

   

1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/02/blog-post.html