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Sunday, 12 April 2015

चलते चलाते - 3

'सैर कर दुनिया की गाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहां' तो इसको मद्देनज़र रखते हुए हम यात्राएं करते रहते हैं कभी छोटी कभी लम्बी।

और इस कहावत को बदल के कहें तो 'सेल्फी ले ले दुनिया की गाफ़िल याददाश्त फिर कहाँ' तो इसको मद्देनज़र रखते हुए फ़ोटो खींचते रहते हैं। 

भारत के किसी भी राजमार्ग पर निकल जाइए हर दस बारह किमी पर कोई न कोई धार्मिक स्थान मिल जाएगा चाहे मंदिर हो, चर्च हो या गुरुद्वारा हो। सड़क से ज़्यादा दूर भी नहीं जाना पड़ता बल्कि सड़क किनारे ही दर्शन हो जाते हैं। 

इस तरह के तीन चित्र प्रस्तुत हैं:

यह द्वार एक जैन मंदिर का है जिसका शिखर पिछली पहाड़ी पर नजर आ रहा है। यह मंदिर हमें बड़ोदरा से चित्तौड़गढ़ जाते हुए सड़क किनारे नजर आया


मदुरै से कन्याकुमारी जाते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे पर चर्च 

रामेश्वरम, तमिलनाडु में बहुत से मंदिर, मस्जिद और चर्च है पर वहाँ की मेन रोड पर गुरुद्वारा देखकर सुखद आश्चर्य हुआ


1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/04/3.html