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Saturday 23 February 2019

सूरज कुण्ड ग्वालियर

ग्वालियर का किला शहर से सौ मीटर ऊँची पहाड़ी पर है जिस का नाम गोपाचल पहाड़ी है. गेरुए लाल रंग के बलुए पत्थरों से बना किला तीन वर्ग किमी में फैला हुआ है. दीवारों की लम्बाई दो मील है. किले की अंदरूनी चौड़ाई दो सौ मीटर से लेकर एक हज़ार मीटर तक है. किले के अंदर मंदिर, महल, पानी के तालाब, जेल और एक म्यूजियम भी है.

ये किला कब बनाया गया और किसने बनवाया इसकी पक्की जानकारी नहीं है. माना जाता है की छठी शताब्दी में यहाँ मूल रूप से किला बना था. किले से सम्बन्धित नवीं और दसवीं शताब्दी के सम्बन्धित अवशेष भी मिले हैं जिससे लगता है की किला तब भी मौजूद था.

किले के बारे में एक किस्सा मशहूर है कि राजा सूरज सेन इस पहाड़ी पर पीने के लिए पानी ढूँढ रहे थे. उन्हें एक संत ग्वालिपा ( कहीं कहीं ऋषि गलवा भी लिखा हुआ है ), नज़र आये जो उन्हें सूरज कुंड तक ले गए. राजा ने पानी पिया तो उनकी प्यास तो बुझी ही साथ में उनके शरीर का कोढ़ भी दूर हो गया. राजा ने यहाँ किला बनवाया और उसका नाम ग्वालियर किला रख दिया. कुण्ड का नाम कालान्तर में सूरज कुण्ड हो गया. सुबह और शाम यहाँ का दृश्य ज्यादा सुंदर लगता है.  प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

सूरज कुण्ड. फिलहाल कमल के पत्तों से ढका दिखाई दे रहा है. मौसम में सुंदर कमल खिलते हैं

कुण्ड के पास छोटा सा मंदिर 

सूरज कुण्ड के किनारे समाधि 

सूरज कुण्ड के पास ही तेली का मंदिर और गुरुद्वारा श्री दाता बंदी छोड़ भी हैं वो भी देख सकते हैं. ये सभी किले के अंदर ही हैं और सुबह से शाम तक खुले रहते हैं. प्रवेश के लिए अलग से टिकट नहीं है. किले के लिए प्रवेश का टिकट इन सभी स्थानों पर लागू है.




6 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/02/blog-post_23.html

Unknown said...

सुन्दर जानकारी।

विकास नैनवाल 'अंजान' said...

रोचक। पिछले साल मैं भी ग्वालियर किला गया था। इधर भी पहुँचा था लेकिन इस कुंड के विषय में जानकरी नहीं थी। यह जानकारी मेरे लिए नई थी। आभार। --------------------

Harsh Wardhan Jog said...

शिवम् मिश्रा जी को बहुत धन्यवाद!

Harsh Wardhan Jog said...

विकास नैनवाल जी को धन्यवाद.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सुनील अग्रवाल जी.