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Saturday, 2 February 2019

गरम पानी

चंद्रा साब नहा कर बाथरूम से गुनगुनाते हुए बाहर निकले. ना तो गाने के बोल और ना ही गाने की ट्यून समझ आ रही थी. जो भी हो चन्द्र सब के चेहरे पर संतोष की झलक थी. सुबह सुबह का सबसे भारी काम निपट गया. ये तो धन्यवाद देना होगा गीज़र को कि सुबह नहाना धोना आसानी से हो जाता है.

बाहर आकर ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर फुर्ती से कंघी ढूंढी. सर पर मैदान सफाचट था बस बालों की एक झालर थी जो एक कान से लेकर दूसरे कान के पीछे तक जा रही थी. उस झालर पर तीन चार बार तेज़ी से कंघी चला दी, चेहरे पर क्रीम लगाई और शर्ट पहनते पहनते आवाज़ लगा दी,
- गीज़र ओन है.
- अच्छा! किचन से श्रीमति का जवाब आ गया. 

चन्द्र साब तैयार होकर अखबार लेकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गए. उधर श्रीमतीजी नहाकर निकलीं पर गुनगुना नहीं रही थीं पर भुनभुना रही थीं. कर्कश बोल सुनकर चन्द्र साब का माथा ठनका.
- क्या हुआ?
- होना क्या था? तुमने गीज़र नहीं चलाया होगा और वैसे ही आवाज़ लगा दी. ठन्डे पानी से नहाना पड़ा!
- मैंने खुद बटन दबाया था भई!
- रहने दो रहने दो. अपने सिवाय किसी और का ख्याल भी है तुम्हें? इस घर में दो प्राणी रहते हैं पर तुम्हें थोड़ा ही पता है. अखबार पता है और लैपटॉप पता है. बस आपकी अपनी जरूरतें पूरी होनी चाहिए बस - * ' " * & ^ % $ # @ .....

चन्द्र साब असमंजस में कुछ बोले नहीं बस चुपचाप लेक्चर सुनते रहे. यार बटन तो ओन किया था पर शायद बटन कहीं ओन ना किया हो? ऐसा होना तो नहीं चाहिए. कहीं बिजली तो नहीं चली गई थी? पर नहीं बिजली तो आ रही है. जो भी हुआ कैसे हुआ ये समझ नहीं आया. पर सॉरी भी नहीं कहा. अखबार बासी लगने लगी तो बंद कर के कुर्सी पर फेंक दी. गरम परांठे बेस्वाद हो गए और शीतकाल में शीत युद्ध प्रारम्भ हो गया.

अगले दिन गीज़र चालू करके चंद्रा साब ने हलकी फुलकी एक्सरसाइज करनी शुरू की. दो चार बार हाथ हिलाए और फिर पैर. पर उसके बाद बस मन बदल गया. काफी है यार इतनी कसरत. कमबख्त मोटा पेट नहीं घटता तो क्या करें चलने दो. तौलिया ले के नहाने के लिए बाथरूम में घुसे तो पानी ठंडा. स्विच दो तीन बार ऊपर नीचे किया. गीज़र की दो में से एक लाइट जले पर पानी ना गरम हो. जल्दी से दो मग्गे पानी के बदन पर फेंके और पोंछ पांछ के बाहर आ गए.
- अरे सुनो गैस पर पानी गरम कर लो गीज़र तो जवाब दे गया है.

श्रीमतीजी ने गीज़र की हेल्लो हेल्लो टेस्टिंग टेस्टिंग की पर बेकार. फिर बोलीं,
- इसका मतलब है ये कल से ही खराब है. पर तुम कैसे नहाए?
- मैं? मैं तो ठन्डे पानी से.
- गर्म करवा लेते. गैस पर क्या देर लगती है? पांच मिनट भी नहीं लगते. ठन्डे पानी से नहा लिया बोल नहीं सकते थे? इस ठण्ड में ठण्ड लग जाए, शरीर में दर्द हो जाए कौन सेवा करेगा? घर में दो प्राणी हैं एक दूसरे का ख्याल हम नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा? बस एक शब्द ही तो बोलना था - * ' " * & ^ % $ # @ .....

दो प्राणी 

1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/02/blog-post.html