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1. ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की विशालकाय मूर्ति की स्थापना की जा रही है |
भगवान् शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में स्थित है. ओंकारेश्वर में 68 तीर्थ हैं और 108 शिवलिंग हैं और यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में है. यह स्थान इंदौर से लगभग 77 किमी दूर है. ज्योतिर्लिंग नर्मदा के उत्तरी तट पर है और जाने के लिए नाव या पुल से जाया जा सकता है.
दर्शन सुबह 4.30 से रात 9.30 तक जारी रहता है पर बीच बीच में विश्राम भी रहता है. बेहतर होगा की इंटरनेट में पहले से दर्शन के नियम और समय देख लिया जाए. साधारण लाइन के अलावा विशेष टिकट व्यवस्था भी बुक की जा सकती है. अच्छे मौसम और त्योहारों पर भीड़ बढ़ जाती है.
कहा जाता है की शंकराचार्य यहाँ अपने गुरु गोविन्द भागवतपद से मिले थे. यहाँ दो मुख्य मंदिर हैं ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ( या अमलेश्वर ) जो नर्मदा के उत्तरी और दक्षिणी तट पर हैं. इसके अलावा भी घाट और मंदिर हैं.
मोटर बोट ग्रुप में या अकेले ली जा सकती है. पर बोट डीज़ल इंजिन वाली हैं जो बहुत धुआं फेंकती हैं और शोर भी करती हैं, इन्हें बदलना चाहिए. बोट बाँध के काफी नज़दीक तक घुमा देती हैं. ओंकारेश्वर बाँध 2003 - 2007 में बना था और यहाँ 520 मेगा वाट बिजली बनाने की क्षमता है.
ये बाँध एक छोटी नदी कावेरी और नर्मदा के संगम के पास बना है. दोनों नदियों के बीच छोटा सा टापू बना है जिसे मन्धाता कहते हैं. मन्धाता इक्ष्वाकु वंश के राजा थे और यहाँ उन्होंने भगवान शिव की उपासना की थी और इसी वजह से इस पहाड़ी का नाम मन्धाता पद गया.
यहाँ का नज़दीकी एयरपोर्ट इंदौर है और रेलवे स्टेशन महू या खंडवा है.
कुछ फोटो प्रस्तुत हैं:
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