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Sunday, 26 May 2024

मछुआरों का गाँव - थुमलापेंटा आंध्र प्रदेश


1. चेन्नई - कोलकाता राजमार्ग NH 16 के नज़दीक बसा मछुआरों का गांव थुमलापेंटा और बीच, जिला नेल्लोर, आंध्र प्रदेश   


बैंगलोर से वापसी यात्रा नेल्लोर होते हुए शुरू हुई. विजयवाड़ा जाने के लिए चेन्नई - कोलकाता राजमार्ग NH 16 पर आ गए. एक तरफ बंगाल की खाड़ी का समंदर और दूसरी ओर पूर्वी घाट की ऊँची नीची पहाड़ियां साथ साथ चल रही थीं. नेल्लोर से लगभग 70 किमी चलने के बाद कावली का बोर्ड नज़र आया जिस पर अधूरा सा 'Beach' शब्द नज़र आया. गाड़ी वहीँ मोड़ ली हालांकि बूंदा बांदी हो रही थी. आगे चले तो सड़क कम और सड़क पर ताल - तल्लैय्या ज्यादा नज़र आये ! गाड़ी चलाने में मुश्किल हो रही थी पर लुड़कते पुड़कते बीच तक पहुँच ही गए. 

थुमलापेंटा काफी बड़ा गांव है और बहुत से मछुआरे समंदर से वापिस आते नज़र आए. कुछ मछुआरे अपने जाल और नाव समेट रहे थे जैसे की छुट्टी हो गई हो. बीच पर जिन्दा और अधमरे केकड़े, छोटी मरी हुई मछलियां, कौवे और चीलें बहुत थीं. बहुत लम्बा बीच था पर पर्यटक बहुत कम थे. नावों से दूर बीच साफ़ था पर कोई रेस्तरां या टॉयलेट नज़र नहीं आया. 

काली घटा छाई हुई थी जिसके कारण हवा में ठंडक थी और सीनरी बहुत सुन्दर दिख रही थी. एक डेढ़ घंटा गुजारने के बाद हम फिर राजमार्ग 16 पर आ गए. 

                                         
                                         2. नेल्लोर-विजयवाड़ा रोड पर एक फ़ूड प्लाज़ा 

3. विजयवाड़ा की ओर जाता राजमार्ग  

4. पूरे रास्ते में बादलों के तरह तरह से बदलते डिज़ाइन नज़र आते रहे ! 

5. चॉकलेटी पहाड़ियां !

    
                                          
                                                                               6. सी बीच 
    

7. थुमलापेंटा गांव में मछुवारों के जाल और नाव  

8. लो आसमां झुक रहा है ज़मीं पर.....

9. केकड़ा जान बचाने के लिए शंख में छुपने की बेकार कोशिश कर रहा है. रेत में घुसता तो फिर भी बच सकता था. कौवे, चीलें और आदमी भी केकड़े के शिकार के लिए तैयार रहते हैं 

10. सुहाना सफर और ये मौसम हसीं....

11. ज्यादातर मछुआरे सुबह अँधेरे में ही समुद्र में जाकर जाल डाल देते हैं. धूप निकलते ही वापिस आ जाते हैं 
 
                                                                                                                                               12. हिचकोले खिलाता गांव का रास्ता 


                                                          13. समंदर और गांव का एक दृश्य 


14. ठंडी हवा ने मूड बदल दिया !

15. नमक की खेती 

16. थुमलापेंटा बीच, आंध्र प्रदेश 



मेरठ - बैंगलोर - मेरठ कार यात्रा, भाग - 26 


Thursday, 23 May 2024

ओंकारेश्वर

 


1. ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की विशालकाय मूर्ति की स्थापना की जा रही है 


भगवान् शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में स्थित है. ओंकारेश्वर में 68 तीर्थ हैं और 108 शिवलिंग हैं और यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में है. यह स्थान इंदौर से लगभग 77 किमी दूर है. ज्योतिर्लिंग नर्मदा के उत्तरी तट पर है और जाने के लिए नाव या पुल से जाया जा सकता है. 

दर्शन सुबह 4.30 से रात 9.30 तक जारी रहता है पर बीच बीच में विश्राम भी रहता है. बेहतर होगा की इंटरनेट में पहले से दर्शन के नियम और समय देख लिया जाए. साधारण लाइन के अलावा विशेष टिकट व्यवस्था भी बुक की जा सकती है. अच्छे मौसम और त्योहारों पर भीड़ बढ़ जाती है.

कहा जाता है की शंकराचार्य यहाँ अपने गुरु गोविन्द भागवतपद से मिले थे. यहाँ दो मुख्य मंदिर हैं ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ( या अमलेश्वर ) जो नर्मदा के उत्तरी और दक्षिणी तट पर हैं. इसके अलावा भी घाट और मंदिर हैं. 

मोटर बोट ग्रुप में या अकेले ली जा सकती है. पर बोट डीज़ल इंजिन वाली हैं जो बहुत धुआं फेंकती हैं और शोर भी करती हैं, इन्हें बदलना चाहिए. बोट बाँध के काफी नज़दीक तक घुमा देती हैं. ओंकारेश्वर बाँध 2003  - 2007 में बना था और यहाँ 520 मेगा वाट बिजली बनाने की क्षमता है. 

ये बाँध एक छोटी नदी कावेरी और नर्मदा के संगम के पास बना है. दोनों नदियों के बीच छोटा सा टापू बना है जिसे मन्धाता कहते हैं. मन्धाता इक्ष्वाकु वंश के राजा थे और यहाँ उन्होंने भगवान शिव की उपासना की थी और इसी वजह से इस पहाड़ी का नाम मन्धाता पद गया. 

यहाँ का नज़दीकी एयरपोर्ट इंदौर है और रेलवे स्टेशन महू या खंडवा है. 
कुछ फोटो प्रस्तुत हैं:


2. नर्मदा और ओम्कारेश्वर बाँध 

3. नर्मदा घाट और मन्दिर 
4. ओम्कारेश्वर मंदिर 

5. ओम्कारेश्वर महल 

6. नर्मदा के दुसरे किनारे पर जाने के लिए नाव या फिर इस पुल का प्रयोग कर सकते हैं  

7. मंदिर की ओर पैदल जाने वालों के लिए रास्ता 

8. बाँध का एक दृश्य  

9. मन्धाता 

10. नर्मदा में मिलती छोटी सी नदी 

11. नौका विहार 

12. नौका से दिखता एक दृश्य 

13. पैदल यात्रियों के लिए चट्टान पर बना पुल 
14. ठंडा जल और गरम चट्टानें 

15. घाट और ममलेश्वर मंदिर 

16. अहिल्याबाई का महल 

17. बहुत सी धर्मशालाओं में से एक जाट धर्मशाला 

18.नर्मदा पर बोटिंग और बाँध 

19. सैलानी 


                                                                           20. बोटिंग 

                                                                                 21. बोटिंग 




Sunday, 19 May 2024

अहिल्याबाई होल्कर

 

1. अहिल्या वाड़ा का गेट. यहाँ महारानी अहिल्या बाई होल्कर का निवास, राज दरबार और मंत्रालय हुआ करते थे. ये किला नर्मदा के किनारे महेश्वर में बना हुआ है  

2. राजवाड़े का द्वारपाल आपके स्वागत के लिए तैयार है. किले का निर्माण 1767 के आसपास हुआ था 


अहिल्याबाई होल्कर मराठा महारानी थी जिन्होनें 1765 से 1796 तक मालवा प्रदेश पर शासन किया. उन्होंने महेश्वर को होल्कर वंश की राजधानी बनाया. प्रसिद्द मराठा सूबेदार मल्हारराव होल्कर के बेटे खांडेराव होल्कर से उनकी शादी हुई. मल्हारराव मालवा के पेशवा बालाजी बाजी राव की सेना में उच्च पद पर थे. अहिल्याबाई ने पति की मृत्यु के बाद होल्कर वंश का राजपाट अपने हाथ में ले लिया. शासन को व्यवस्थित किया और न्याय पद्धति में सुधार किया. अहिल्याबाई ने न केवल अपने राज्य में बल्कि भारत के बहुत से स्थानों में, मन्दिर, धर्मशालाएं, कुँए - बावड़ियां, गरीबों के लिए अन्न क्षेत्र वगैरह बनवाए. इस कारण से इन्हें देवी, राजमाता या 'दार्शनिक महारानी' भी कहा जाता था.

अहिल्याबाई ने 1767 में अपने मालवा राज्य की राजधानी नर्मदा के किनारे महेश्वर को बनाया. यह स्थान इंदौर से लगभग 95 किमी दूर है और ओम्कारेश्वर से लगभग 70 किमी है. प्राकृतिक रूप से सुन्दर जगह है और सुरक्षित भी. अपने घाट और माहेश्वरी साड़ियों के लिए ये एक प्रसिद्द शहर है. पर गर्मी काफी पड़ती है इसलिए मानसून के बाद जाना अच्छा रहेगा. 

अहिल्याबाई की जीवन कथा बड़ी रोचक और नाटकीय है. इनका जन्म 1725 में अहमदनगर ( इस शहर का नाम बदल कर अहिल्यानगर कर दिया गया है ), महाराष्ट्र में हुआ था. कहावत है की मल्हारराव पुणे जाते हुए रास्ते में चौंडी गांव में रुके. वहां मंदिर में अहिल्या सेवा कर रही थी. बड़े ध्यान से उसे देखते रहे और फिर उसे वो अपने साथ घर ले आए. घर ला कर बेटे खांडेराव से 1733 में उसकी शादी करवा दी. 1745 - 48 में पुत्र मालेराव और पुत्री मुक्ताबाई का जन्म हुआ. 1754 में पति खांडेराव की मृत्यु हो गई.  

लोक कथा के अनुसार ससुर मल्हारराव ने अहिल्या को सती होने से रोका और राजकाज सिखाया. पर 1766 में मल्हारराव का स्वर्गवास हो गया. पुत्र मालेराव दिमागी तौर पर कमजोर था और उसकी मृत्यु 1767 में हो गई. इसके बाद अहिल्या ने राजगद्दी सम्भाल ली. रानी को कमजोर मान कर अराजकता फैलने लगी. अहिल्याबाई ने कमर कस के तलवार उठा ली और डाकू लुटेरों का सफाया कर दिया. सीमाएं सुरक्षित करने के बाद न्याय व्यवस्था में सुधार किया. विधवा महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी. अहिल्याबाई ने विधवा विवाह कराए. कपडा उद्योग का विस्तार किया ताकि लोगों को रोज़गार मिले और व्यापार में वृद्धि हो. महिलाओं को भी काम दिलवाया. खेती की ओर भी ध्यान दिया. अफीम की खेती पर शिकंजा कस दिया. इस सब से होल्कर राज्य की आमदन बढ़ने लगी. 

महिला का राजगद्दी पर बैठना बहुत से लोगों को पसंद नहीं आया. इसका तोड़ ये निकाला गया कि राज्य के हर आदेश पर शिव लिंग की मोहर लगाई जाने लगी और साथ ही ये भी लिखा जाने लगा कि 'भगवान् शिव का आदेश है कि .....'. इसी तरह दरबार लगाने से पहले हर रोज़ तीन ब्राह्मण नर्मदा के बालू से एक हजार शिव लिंग बनाते और फिर नर्मदा में बहा देते. इस कार्य का भी सकारत्मक प्रभाव पड़ा. 

स्वयं अहिल्याबाई बड़ी सादगी से रहती और उनके रहने का महल या राजवाड़ा भी बहुत तड़क भड़क वाला नहीं था. अहिल्याबाई दान पुण्य के काम बहुत करती थी. केदार नाथ से रामेश्वरम तक 29 शहरों में मंदिर, धर्मशाला बनवाईं, कुँए और बावड़ियां खुदवाईं और गरीबों के खाने की व्यवस्था के लिए 'अन्न क्षेत्र' बनाए. 1795 में अहिल्याबाई का स्वर्गवास हो गया.

अहिल्याबाई का नाम तो सुना था पर उनके द्वारा किये गए सामाजिक बदलाव के बारे में इतनी जानकारी नहीं थी जितनी महेश्वर किले में जा कर और गाइड से बात करके प्राप्त हुई. आजकल देवी अहिल्याबाई के नाम पर बहुत सी संस्थाएं स्कूल, कॉलेज और विश्विद्यालय चलाए जा रहे हैं. 

महेश्वर में निमाड़ी भाषा बोली जाती है. यह मराठी, गुजराती और हिंदी का मिश्रण है. निमाड़ी कहावतें देखिये - 
- खाया बिना रयि जाणू पण कया बिना नी रयणु अर्थात खाए बिना तो रहा जा सकता है पर कहे बिना नहीं !
- लाव लुटी जाव खुटी अर्थात लूट की कमाई वैसे ही जाएगी  

किले और राजवाड़े की कुछ फोटो प्रस्तुत हैं.

3. अहिल्या बाई का राजनिवास 

4. साधारण और सादगी वाला निवास 

5. राजवाड़े का आँगन 

6. राजवाड़ा 

7. राजवाड़े  की कुछ मुर्तिया 


8. 18 वीं शताब्दी की बंदूकें 

9. हाथी की सवारी के लिए महारानी का हौदा 

10. महारानी की पालकी 

11. ढाल, तलवारें और छोटी तोपों के गोले 

12. अहिल्या वाड़ा अब एक हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है 

13. उस समय की एक तोप 

14. राजवाड़े का एक दृश्य 

15. किला काफी बड़ा है और घूम लेने के बाद यहाँ बिराजें और जलपान करें !

16. चाय नाश्ता और खाना किले की सेटिंग में 

17. नर्मदा नदी का घाट और नदी में मंदिर 

18. किले में देवी अहिल्या मंदिर 

19. किले का एक भाग 

20. किले का एक भाग और नर्मदा 

21. किले का एक भाग 

22. किले में सैलानी 

23. किले में मंदिर 

24. नर्मदा की ओर किले की दीवार 

25. ख़ास तरह की वास्तु शैली में बना मंदिर 

26. देवी अहिल्या बाई की प्रतिमा और सैलानी