रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में है और भारत के बड़े उद्यानों में से एक है. यह 1334 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इस उद्यान के एक ओर उत्तर में बनास नदी है और दूसरी ओर दक्षिण में चम्बल नदी है. दोनों नदियों के बीच रणथम्भोर का किला भी है जिसके कारण इस राष्ट्रीय उद्यान को रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान कहा जाता है. जयपुर से इस उद्यान की दूरी 150 किमी है और दिल्ली से 463 किमी. सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन 11 किमी दूर है.
इस पार्क में घने जंगल, ऊँची घास के मैदान, झीलें, पहाड़ियां और तरह-तरह के पेड़ पौधे हैं. इसी तरह यहाँ बाघ के अलावा बीसियों तरह के जानवर और और सैकड़ों तरह के पक्षी देखने को मिल जाते हैं. बहुत तारीफ़ सुनी थी की यहाँ अब सौ से ज्यादा टाइगर हो गए हैं और अब तो आसपास के गांव में भी घूमते नज़र आते हैं तो सोचा हम भी चलते हैं बाघ से मुलाकात करते हैं.
उद्यान के आसपास रहने के लिए हर बजट के होटल मिल जाते हैं. जंगल सफारी के लिए भी सुविधाएं हैं. राजस्थान सरकार और राजस्थानी लोग भी टूरिस्ट से अच्छी तरह पेश आते हैं और स्वागत करते हैं. उनका तो नारा ही है 'पधारो म्हारे देस"! प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:
पशु पक्षी मेला
इस जंगल में पशु पक्षियों का मेला लगा रहता है. भांत भांत की चिड़िया मिलेंगी पर छोटे जानवर जैसे की लोमड़ी, सियार कम दिखाई पड़ते हैं. हमारा हीरो टाइगर देखें मिलता है या नहीं. इस से पहले गुजरात के गिर जंगल में सुबह सुबह की सफारी में गए थे पर शेर निकल कर ही नहीं आया. पता नहीं छुट्टी पर चला गया था शायद। इसके बाद राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड गए तो वहां भी ऐसा ही हुआ. भई दोबारा तो अब नहीं जाएंगे। देखते हैं रणथम्भोर में क्या होता है?
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1. ये चिड़िया यहाँ काफी पाई जाती है. चिड़िया का नाम है कोटरी, हांडी चांचा या टका चोर. इसे Rufous treepai या फिर Dendrocitta Vagabunda भी कहते हैं. कई तरह की आवाज़ें निकालती है और काफी हद तक निडर है. |
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2. जंगल में सांभर और हिरन बहुत नज़र आते हैं. बाघ को इनका शिकार बहुत पसंद हैं. बाघ ने अगर एक सांभर मार लिया तो दो तीन दिन के खाने का इंतज़ाम हो गया. साथ ही लोमड़ी, गीदड़ और लक्कड़बग्घे जैसे मुफ्तखोरों की भी दावत हो जाती है |
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3. छोरा जवान हो गया है! सींग निकलने लगे हैं |
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4. इन राजा साहब की दो रानियां हैं ! |
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5. चीतल |
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6. नौजवान नर चीतल |
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7. बहुत पुराना और बहुत बड़ा बरगद का पेड़ है, ये भारत का दूसरा बड़ा बरगद है |
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8. इन हिरणों को झुण्ड में रहना पसंद है और लंगूर के पास बैठने से कोई एतराज नहीं है |
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9. अक्सर सांभर और बारासिंघा अपने सींगों को पेड़ की छाल से रगड़ते रहते हैं |
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10. पशु पक्षी मेला |
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11. एक दूजे के लिए ! लंगूर का फेंके हुए दाने या अधखाए खाद्य पदार्थ जंगली सूवर के काम आ जाते हैं |
ख़ूबसूरत जंगल रणथम्भोर का जंगल अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है. ख़ास तौर से सुबह का उगता सूरज और शाम का डूबता सूरज जंगल में अद्भुत रंग बिखेर देता है. सुबह शाम के प्रकृति के रंग अलग छटा ले कर आते हैं. नदी, तालाब, पहाड़ियां और धूप छाया सभी कुछ तो है यहाँ फोटोग्राफर के लिए. इसीलिए यहाँ फोटोग्राफर बहुत नज़र आते हैं. महंगे बड़े कैमरे ले कर बाघ का इंतज़ार करते हुए देखे जा सकते हैं. पर अपन का आई फ़ोन भी कम नहीं है. नीचे वाली सभी फोटो इसी फ़ोन से ली गई हैं. कहीं कहीं तो चलती गाड़ी में भी खींची हैं. ठीक ठाक आ जाती हैं. रंग बहुत ही सॉफ्ट हैं पर हैं बहुत सुन्दर!
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12. ढलती सुहानी शाम |
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13. सुंदर झील |
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14. ये कौन चित्रकार है … |
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15. ख़ूबसूरत शाम. ऐसा लगता है की वक़्त थम गया हो |
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16. सारस का जोड़ा डिनर की तलाश में |
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17. बाघ को ऊँची और हरी पीली घास बहुत पसंद है. इस घास में छुपना और शिकार करना आसान हो जाता है |
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18. एक छोटा पक्षी मछली की तलाश में |
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19. मनमोहक! |
जंगल सफारी
जंगल सफारी यहाँ या तो खुली जिप्सी में या फिर कैंटर खुली बस में कराई जाती है. जिप्सी के पैसे ज्यादा लगते हैं पर आराम है और हिचकोले कम लगते हैं. कैंटर में 20-25 सवारियां होती हैं इंजन का शोर ज्यादा होता है और खूब झटके लगते हैं. सफारी आप ऑनलाइन बुक कर सकते हैं कहीं से भी और कभी भी. पर ये काम भी आसान नहीं लगा. पर सुना है की कुछ लोग हैकिंग वैकिंग करते हैं. खैर दूसरा रास्ता है की जैसे ही होटल में चेक इन करें तो होटल वाले से बुक करवा लें. गाड़ी वहीँ से आपको ले लेगी।
सफारी दिन में दो बार है सुबह और दोपहर लंच के बाद. होटल वाले ने बार बार बोला आप 1.30 बजे तैयार रहें। हो गए. कैंटर 2.30 बजे आई. दस मिनट गेट पर लगे जहाँ टिकट चेक हुए और फिर अंदर जंगल की ओर चल पड़े. हर कैंटर को एक ख़ास रुट पर जाना होता है और सड़कें कच्ची हैं. गाड़ियों के चलने के कारण जो सड़क बन गई है बस वही है. जबरदस्त हिचकोले और धूल उड़ाती चलती है गाड़ी. कैमरा और मोबाइल सावधानी से इस्तेमाल करें। गाइड बीच बीच में गाड़ी रोक कर पेड़ पौधों की और जानवरों की आदतें और विशेषताएं बताता रहता है.
पर सभी टाइगर की इंतज़ार में रहते हैं अब दिखा की तब दिखा! पर सफारी का समय समाप्त हो गया और बघेरा नहीं दिखा। यहां भी छुट्टी पे था.
Economic Valuation of Ranthambhore Tiger Reserve Economic Valuation of Tiger Reserves in India was conducted by Indian Institute of Forest Management, Bhopal and Centre for Ecological Services Management. It was estimated that important benefits of Ranthambhore Tiger Reserve in Rupee terms are 8.3 billion.
Video of Jungle Safari ride on Canter open truck. It was a jumpy ride indeed!
Video taken during break in Safari ride. Some relief for old bones!
2 comments:
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Marvelous trip. Maza aa gaya natural scene dekh ke.Party to banti hai.
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