कोटे श्री वेंकटरमण स्वामी मंदिर सन 1689 में मैसूर के राजा चिक्कादेवराज वाडियार ने बनवाया था. ये मंदिर द्रविड़ और विजयनगर शैली का मिलाजुला रूप है. कन्नड़ में कोटे का अर्थ किला है और मंदिर किले के अंदर स्थित था इसीलिए मंदिर के नाम के साथ 'कोटे' शब्द भी जुड़ गया. अब किले की जमीन पर सड़कें और कई इमारतें बन चुकी हैं और मंदिर के पास अब कृष्ण राजेंद्र रोड है. टीपू सुल्तान का महल भी इस मंदिर से जुड़ा हुआ है. यह मंदिर कर्णाटक के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है.
मंदिर में शिखर, मंडप ( हॉल या मंतपा ) और गर्भ गृह आपस में जुड़े हुए हैं. खम्बों के सहारे छत टिकी है. खम्बों पर विजयनगर शैली में नक्काशी है और 'यली' नाम का मिथक पशु अंकित है. मंदिर की मुख्य मूर्ति काले सालिग्राम पत्थर की है. मंदिर कर्णाटक के अन्य मंदिरों से मिलता जुलता है. यहाँ वैकुण्ठ एकादशी धूमधाम से मनाई जाती है.
मेट्रो स्टेशन और बस स्टॉप आसपास ही हैं. कुछ फोटो प्रस्तुत हैं:
1. मंदिर का शिखर |
2. मंदिर से जुड़ा हुआ सत्संग हॉल |
3. प्रवेश और दीप स्तम्भ ( गरुड़ गम्बा ) |
4. गर्भ गृह का प्रवेश द्वार |
5. गर्भ गृह की दीवार पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सप्तऋषि, सप्तमातृका, योद्धाओं और अष्ट दिक्पालों की मूर्तियां बनी हुई हैं |
6. नक्काशी वाले 'यली' खम्बे |
7. शिखर का एक दृश्य |
8. गौतम बुद्ध की मूर्ति परन्तु हाथ में गदा है. ऐसी मूर्ति पहली बार देखी ! |
3 comments:
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Yes....first time Buddha with a sword.
लाजवाब जी
बहुत सुन्दर है जी ☝🏻☝🏻☝🏻
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