शादी का कार्ड आया है तो तैयारी तो करनी ही पड़ेगी. वैसे भी हमारे गोयल साब को दो साल हो गए बैंक से रिटायर हुए मगर दावत खाने का मौका ही नहीं मिल रहा था. यार दोस्त सब भूल भाल गए कमबख्त बुलाते ही नहीं. और फिर कोरोना ने भी घरबंदी कर रखी थी. ना कहीं आना ना जाना महफ़िलें बंद हो गईं थीं. पर अब जरा माहौल बदला है तो शादी का मज़ा लिया जा सकता है.
सूट निकाला, लाल टाई निकाली और प्रेस के लिए दे दी. बड़ी मेहनत से दाढ़ी बनाई, टकले सिर पर चार छे बाल खड़े रहते थे या उन के नीचे जो बालों की एक अर्धचंद्राकार झालर बची हुई थी, उस को सलून में जा कर रंगवाया तब बनी बात. अब रह गई परफ्यूम वो भी खरीद ली. बस हो गई तैयारी ? अरे नहीं जूते भी तो पोलिश कराने थे ? चलो खुद ही पोलिश कर लूंगा यार. सात साल पहले लिए थे पेटेंट लेदर के. अब भी चमचम कर रहे हैं वो बात और है की दो साल से बन्द पड़े हैं पहनने का मौका ही नहीं मिला. तैयारी से संतुष्ट हो कर श्रीमति जी से बोले,
- भई मेरी तैयारी तो हो गई है आई एम रेडी !
- पता है पता है. वहां जाकर प्याऊ में घुस जाओगे. पर हिसाब से ही पीना. वापसी में गाड़ी भी चलानी है. हाँ ?
- पता है पता है आई नो.
दोनों गाड़ी में बैठे और चल दिए. गाड़ी पार्किंग में लगा कर, गीली घास का लॉन पार किया और पंडाल में पहुँच कर श्रीमति को धीरे से बोले,
- यार ये तो गजब हो गया, एक बूट की एड़ी ही निकल गई !
- ओहो तुम भी ना पुराने जूते पहन आए. कोरोना खा गया होगा हील को. अब इस वक़्त कुछ भी नहीं हो सकता इस जूते का. अब चला लो जैसे चलता है.
- अरे यार मेरी तो चाल ही बदल गई दूसरी एड़ी भी निकाल दूँ क्या ?
- ओहो छोड़ो भी अब. जैसा है वैसा रहने दो.
सबको नमस्ते दुआ सलाम हो गई पर ध्यान दाहिने जूते की एड़ी में ही रहा. होस्ट से मिल-मिला कर दाएं बाएं नज़र डाली किधर है प्याऊ? हूँ वो रहा कोने में. इतने ही में श्रीमति की सहेली आ गई. आते ही - कैसे हो? ऐसे हो ? वैसे हो? शुरू हो गई. इस बीच मौका पाते ही गोयल साब धीरे से खिसक लिए प्याऊ की तरफ. बढ़िया इंतज़ाम है गुरु ! फिश भी है और चिकन टिक्का भी. पहला पेग लिया, फिश फ्राई का मज़ा लिया और उसके बाद दोस्त यारों से मिले. अब गोयल साब का ध्यान जूते की एड़ी से हट चुका था. दूसरा पेग ले कर दारु पर चर्चा शुरू हो गई. डी जे की ऊँची आवाज़ के बावजूद चुटकुले, मौसम, राजनीती, चुनाव वगैरह सब कुछ डिसकस हो गए. दो मिनट का ब्रेक ले कर श्रीमति को हेलो करने चले गए ताकि शांति बनी रहे. करना पड़ता है जी. श्रीमति की सहेली का भी हालचाल पूछ लिया. लिफाफा भी थमा दिया. धीरे से फिर खिसक लिए बार की तरफ. सिंह साब ने आवाज़ लगाईं,
- अरे कहाँ गायब हो गए थे गोयल ? कमाल है !
- यार एक तो वो लिफाफा देना था और दूसरे श्रीमति की सहेली भी आई हुई है ना उसे भी तो हेलो करनी थी !
- हो हो हो सुधर जा गोयल !
इस हो हो हा हा के बीच दो पेग और मार लिए. यार इतने दिनों बाद दावत में आए हैं तो चलता है ना. कोई दिक्कत नहीं गोयल सा मजे ले लो ! इस बीच ध्यान आया कि श्रीमति इंतज़ार में होगी तो अब चला जाए खाने की तरफ. श्रीमति के साथ लाइन में लग गए और उनकी सेवा भी करते रहे. खुद तो चिकन टिक्का और फिश फ्राई का तबियत से भोग लगा चुके थे इसलिए बस दो चम्मच चावल और दाल ले कर किनारे हो गए. अगर इतना भी नहीं लिया तो डांट पड़नी थी. खाना खा कर और कॉफी पी कर सबसे बाय बाय कर दी. तब तक थोड़ा थोड़ा सुरूर आने लग गया था. पार्किंग की तरफ बढ़े तो गोयल सा जोर से हंसने लगे,
- यार मेरी चाल नहीं नोट की तुमने ? हाहाहा एक जूते की एड़ी गायब है हाहाहा !
- पता है पता है ! चलो अब.
गुनगुनाते हुए और मस्ती में गोयल सा ने गाड़ी स्टार्ट की और फटाक से रिवर्स गियर लगाया. तेजी से स्टीयरिंग घुमाते हुए कार बैक की. पीछे से धम्म की आवाज़ आई. श्रीमती चौंकी - संभाल के ! क्या कर रहे हो ? उतर कर पीछे देखो.
गोयल साब ने उतर कर देख दो गमले ढेर हो गए हैं. आकर बैठ गए और बोले - अरे यार गमले गिर गए कोई ऐसी बात नहीं. फ़िकरनॉट होता रहता है ये तो, और तेज़ी से गाड़ी गेट की तरफ भगा दी.
कार के पीछे पीछे गार्ड दौड़ता आ रहा था - हेलो रोको रोको ! पर गोयल सा को आगे देखना जरूरी था या पीछे ?
शादी में |
20 comments:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2021/12/blog-post_29.html
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 30 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
शानदार
सादर..
वाह!बहुत खूब!
सुंदर।
बहुत खूब...
वाह!सराहनीय।
यार ये तो गजब हो गया, एक बूट की एड़ी ही निकल गई...अक्सर ऐसा होता ही है।
सादर
धन्यवाद अनीता सैनी.
कोई उपाय नहीं मिला इस समस्या का !
धन्यवाद Sudha Devrani
धन्यवाद Jyoti Dehliwal
धन्यवाद शुभा.
धन्यवाद Digvijay Agrawal
धन्यवाद Ravindra Singh Yadav. 'हलचल' पर भी विजिट होगी।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
Bahut bariya prabhuji. Jab bhi aapka article read Karte hain to Bank ki bahut yaad aa jati hai aur aapke sath bitaya hua samay.
Sir very nice.
धन्यवाद Bharti Das.
धन्यवाद गाँधी जी.
धन्यवाद राजिंदर सिंह.
😀😀😀👌👌👌 मैं भी सोच रही थी, सात साल पुराने जूतों ने अभी तक दम क्यों नहीं तोड़ा? अगर ये अपना असली रूप समय पर दिखा देते तो हमारे गोयल साहब के आनंद में खलल तो न पड़ता!!😀😀 बढ़िया लिखा हर्ष जी। आभार और अभिनंदन आपका 😀🙏🙏
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