हमारे रीजनल मैनेजर गोयल साब आज झुमरी तलैय्या ब्रांच के दौरे पर हैं. झुमरी ब्रांच को आप छोटा ना समझें सर. है तो गाँव में पर साठ करोड़ का लोन तो अकेले चीनी मिल का है और किसानों के लोन और जमा खाते अलग. ये जरूर है की चीनी मिल छे महीनें बंद रहती है तो काम हल्का हो जाता है. वर्ना तो ब्रांच में चहल पहल रहती है. ब्रांच मैनेजर नरूला जी दो साल पहले दिल्ली से आए थे इस गन्ना प्रदेश में और अब वापस जाने के इंतज़ार में दिन काट रहे थे. उन्हें लगा की ये मौका अच्छा है अपनी दिक्कतें गोयल सा को बयान करने का,
- सर आस पास कुछ भी मिलता नहीं है ना ही कोई रेस्टोरेंट वगैरा है. ये रोस्टेड काजू बदाम भी सर शहर से मंगवाए हैं( खाले टकले खाले!).
- हूँ!
- और सर लंच शुगर मिल के डायरेक्टर के घर फिक्स कर दिया है. मिल की इंस्पेक्शन भी हो जाएगी और सर उनका 15 करोड़ का नया लोन भी डिस्कस हो जाएगा( वहां बियर भी होगी बॉस!).
- हूँ.
- लीजिये सर बदाम तो लीजिये. सर दो साल पूरे हो गए यहाँ (अब तो दिल्ली वापिस भेज दे टकले !).
- हूँ. दिल्ली से जो आता है ना उसकी नाक दिल्ली की तरफ ही रहती है. हरे भरे खेतों के बीच बैठे हो दिल्ली जाकर क्या करना है? बिज़नस बढ़ाओ बिज़नस. बीमा है, किसान कार्ड है, डिपाजिट है सब कुछ बढ़ना चाहिए.
- सर फॅमिली तो दिल्ली में ही है.
- हूँ.
ब्रांच में नज़र मारने के बाद गोयल सा वाश रूम गए. पिछली जेब से कंघी निकाल कर टकले सिर पर घुमाई. दो चार बाल जो खड़े थे लेट गए और फिर खड़े हो गए. मोटे पेट के कारण गोयल सा की पैन्ट नीचे खिसकती रहती है उसको दुबारा सेट किया और नरूला को लेकर शुगर मिल की ओर प्रस्थान किया. मिल के अधिकारियों से हेलो हेलो हुई और फिर मिल का एक चक्कर लगा कर डायरेक्टर के घर पहुंचे. खाना तैयार था पर उस से पहले अगर ठंडी बियर का ग्लास हो तो क्या बात है क्यूँ सर? बियर के साथ बातों का सिलसिला आसान हो जाता है. पहले लोन की बात हुई, फिर गन्ने की, फिर मौसम की और फिर घरबार की. गोयल सा ने कहा दो बेटियाँ हैं डायरेक्टर साब ने बताया कि दो बेटे हैं और दोनों मोटे पैकेज ले रहे हैं वगैरा वगैरा. फिर विदाई समारोह हुआ. एक बड़ा गिफ्ट गोयल साब को और एक छोटा गिफ्ट नरूला साब को भेंट दिया गया. और बड़े साब की गाड़ी में एक बोरी चीनी की भी रखवा दी गई. शाम को घर पहुंचे तो मिसेज़ गोयल ने पूछा:
- बड़ी देर कर दी आज ?
- बताता हूँ. फ्रिज से बियर निकाली और गिलास किचन से और तब बैठ कर इत्मीनान से और धीरे धीरे मिल की इंस्पेक्शन रिपोर्ट दी जैसे कि बड़े साब को दी जाती है. मिसेज़ को अच्छा नहीं लगा और वो तुनक गईं,
- तुम्हें घर परिवार का ध्यान तो रहता नहीं. अपनी बियर और बैंक में ही मगन रहते हो.
-हुंह?
- घर में दो दो शादी वाली लड़कियां हैं उधर दो लड़के हैं लेकिन तुम्हें समझ में क्यूँ आएगा ?
- हूँ!
- कल मैं मिल के डायरेक्टर से बात करके आती हूँ.
- अरररे! आराम से आराम से! मैं बात करता हूँ ना !
अगले दिन डायरेक्टर से बात हुई. फिर ब्रांच मैनेजर नरूला को फोन लगाया गया,
- अरे भई नरूला बच्चे कह रहे हैं हमने मिल देखनी है. सन्डे को आएँगे हम. दिल्ली मत भाग जाना.
बातें मुलाकातें होती रहीं और सुना है की बड़ी लड़की की जन्मपत्री भी मिल गई. ये अंदाजा यूँ लगाया क्यूंकि नरूला जी को गोयल सा का फोन आया था की दिल्ली तभी जाने दूंगा जब बिटिया की शादी संपन्न हो जाएगी! नरूला जी ठंडी साँस भर कर बोले,
- बेटा नरूला दिल्ली अभी दूर है!
गन्ना |
13 comments:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2022/02/blog-post.html
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 24 फ़रवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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😀😃 जी हर्ष जी, नरूला साहब को समधी बनाए बिना कैसे दिल्ली पास आएगी। दिल्ली तो दूर ही रहेगी न?😃 हल्की फुल्की सी रचना पढ़कर अच्छा लगा। हार्दिक आभार और शुभकामनाएं आपको 🙏🙏
Very nice, Sir.
बैंक को चूना यों लगता है
चीनी,लोन और नोन
व्वाहहहहहह..
सादर..
धन्यवाद Ravindra Singh Yadav. 'हलचल' पर भी विजिट होगी.
धन्यवाद रेणु. नरूला साब को 'out of syllabus' सवाल भी हल करने होते हैं!
धन्यवाद Rajinder Singh.
धन्यवाद विभा रानी श्रीवास्तव. बैंक हो या कोई और ऑफिस यूँ ही किस्से देखने सुनने में आते हैं. आपका दिन शुभ हो.
धन्यवाद yashoda Agrawal.
Nice presentation in a jolly and natural way.Great Sir.
धन्यवाद गुलशन हेमनानी जी.
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