हमारे गोयल साब बार बार अपने दाहिने पैर पर लगे प्लास्टर को देख रहे थे और सोच रहे थे कि कब ये कमबखत उतरेगा? ना गाड़ी चला पा रहा हूँ, ना ढंग से नहा पा रहा हूँ और ना ढंग से सो पा रहा हूँ. करवट बदलते ही महसूस होता है की कुछ गड़बड़ है. फिर याद आता है की ओह मोटर साइकिल ! फिर याद आता है वो काला कुत्ता जिसकी वजह से ये सब कुछ हुआ. खरोंचें आईं, खून निकला, प्लास्टर लगा, इंजेक्शन लगा और अब चलना फिरना बंद हो गया.
लोगों को बताते हुए भी शर्म आती है की काला कुत्ता स्कूटर के सामने अचानक आ गया. काला कुत्ता और वो भी मरियल सा ! कोई ऊंट या हाथी होता होता तो बात समझ आती की टकराने से गिरे और हड्डी तुड़वा बैठे. या डायनासौर ही होता तो कम से कम बताने में तो अच्छा लगता. आजकल तो डायनासौर टी शर्ट में छपने लग गया है. बच्चों के खिलौनों तक में छाया हुआ है और तो और पिक्चरों में आने लग गया है. फिर तो दोस्त यार रिश्तेदार हाल पूछने आते तो बताने में भी मज़ा आता कि देखो डायनासौर से भिड़ंत हो गई और वो भाग गया. सुन कर लोग भी अचंभित हो जाते और कहते 'कमाल है गोयल साब कमाल है ! हमारे जैसों की तो एक भी हड्डी नहीं बचती !'.
वैसे काफी लोग हाल चाल पूछने आ चुके थे, और आ भी रहे हैं और भी आते रहेंगे. आखिर पैंतालीस दिन का पलस्तर चढ़ा है तो फिर लोगों ने आना ही है. ये भी तो देखिये ना कि गोयल सर बड़े बैंक के बड़े चीफ़ रिटायर हुए हैं बहुत लोग उन्हें जानते हैं, जिन्हें लोन दिया वो भी याद करते हैं और जिन्हें नहीं दिया वो भी याद करते हैं अलबत्ता दूसरे ढंग से.
उसके अलावा मोहल्ले वाले हैं और रिश्तेदार वगैरा हैं तो सबने मिलने आना ही है. खुद भी तो गोयल साब लोगों का हाल पूछने दूर दूर तक जाते हैं. चाहे अस्पताल या घर दूर भी हो तो कोई बात नहीं. वैसे तो फोन पर हालचाल पता कर ही लेते हैं पर मिलने भी जरूर जाते हैं. हाँ घर जाने से पहले फिर फोन जरूर कर लेते हैं क्यूंकि कई बार ऐसा हुआ है कि मरीज चंगा होने के बाद शॉपिंग करने निकल चुका था और हमारे साब बाद में पहुंचे थे.
दरअसल जब साब पलस्तर लगवा के आए थे तो उसी वक़्त मिलने वालों का इंतज़ाम कर लिया था. संध्या को कह दिया था कि दिन में मैं कहाँ बैठूंगा या लेटूँगा और रात में किस बैडरूम में सोऊंगा. भई हाल पूछने तो लोग आएँगे ही इसलिए उनके लिए बिस्किट, नमकीन मंगवा ली. कुछ खास लोगों के लिए बियर और आइसक्रीम फ्रीज़र में रखवा दी थी. इस तरह के इंतज़ाम करने में हमारे साब माहिर थे. बैंक में भी लोन मेला, बीमा मेला लगाते रहते थे, और ऑफिस में ऑफिस आर्डर, ट्रांसफर आर्डर बहुत निकाला करते थे.
मीडिया में पोस्ट करने के लिए घायल पैर की कई फोटू खिंचवाईं और उनमें से एक सेलेक्ट कर के पोस्ट कर दी. व्हाट्सप्प पर तीन बड़े बैंकर ग्रुप थे, एक फॅमिली का ग्रुप, एक रिश्तेदारों का ग्रुप, एक मोहल्लेदारों का ग्रुप था और कुछ फुटकर कस्टमर भी थे मसलन डॉक्टर, केमिस्ट, कार सर्विस सेंटर, केबल वाला, किरयाने वाला, धोबी, नाई और माली. सब में फोटो पोस्ट कर दी गई थी. और अब धड़ाधड़ मैसेज आ रहे थे. उधर फेसबुक और ट्विटर में फोटो पोस्ट कर दी गई थी और वहां से भी धुँआधार मैसेज आ रहे थे. ---साब को जवाब देने की फुर्सत ही नहीं मिल रही थी.
जितने भी मैसेज आ रहे थे खुद तो पढ़ ही रहे थे और संध्या को भी पढ़ पढ़ कर सुनाते जाते थे - देखो ये जी एम साब ने क्या लिखा है, और ये वाला मैसेज पढ़ो ये बंदा मेरे साथ आगरा में था, और ये देखो मुज़फ्फर नगर में मेरा सीनियर था और ये तो झुमरी तलैय्या में बॉस था. लोग याद करते हैं ऐसी बात नहीं है क्यों डार्लिंग?
- और ये व्हाट्सप्प में देखो दो सौ से ज्यादा मैसेज एक ही दिन में! लोग प्यार के बदले प्यार देते हैं. है की नहीं? जिनका कोई मैसेज नहीं आएगा सब यहाँ ( सिर की ओर इशारा कर के ) रिकॉर्ड हो जाएगा! हाजरी रजिस्टर है पक्का. जिसका मैसेज नहीं आया उसको मैसेज नहीं जाएगा. जो देखने नहीं आयगा उसे गोयल देखने नहीं जाएगा. बस ख़तम. बात ख़तम !
- ज्यादा शोर नहीं मचाओ. कोई आता है कोई नहीं आ पाता ये समाज तो ऐसे ही चलता है. मेरे परिवार के तो सारे आ गए पर तुम्हारे दोनों भाई अब तक नहीं आए तो बोलो क्या करोगे? मेरा पास भी पक्का गैर-हाजरी रजिस्टर है.
- उंह ?@#!
कितने लोग देखने आए? |
16 comments:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2021/10/blog-post.html
गैर हाज़री दिल को घायल कर गयी !
मजेदार किस्सा 😁💯
खुशियों से अधिक दिल घायल है।
धन्यवाद yashoda Agrawal. पांच लिंक पर पर भी हाजरी लगाएंगे.
धन्यवाद Sabhya Juneja.
धन्यवाद Subhash Mittal जी.
धन्यवाद Gayatri.
बहुत ही मजेदार किस्सा😃😃
धन्यवाद Manisha Goswami.
वाह बहुत बढ़िया ❤️
Thank you Sujata Priye.
बहुत अच्छी व्यंग्य-रचना है यह - समाज की हास्यास्पद सोच का हास्यप्रद चित्रण। पाठक चाहें तो इसके विचारोत्तेजक स्वरूप को भी पहचान लें (अपने ही हित में)।
धन्यवाद जितेन्द्र माथुर. समाज ऐसे ही भ्रम और प्रपंच में चल रहा है
Attendance register to pakka hai.
Thank you Ashok Gandhi.
Post a Comment