सावन का महीना आने के साथ ही कांवड़ यात्रा की तैयारी शुरू हो जाती है. लाखों की संख्या में शिव भक्त कांवड़ लेकर हर की पौड़ी की ओर चल पड़ते हैं और वहां से गंगा जल लाकर शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं. ज्यादातर भक्त जल चढ़ाने के लिए पूरा महादेव मंदिर जाते हैं. इसे परशुरामेश्वर मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर की मान्यता है कि परशुराम पहली बार कांवड़ में हर की पौड़ी से जल लाए और शिवलिंग का अभिषेक किया. यह मंदिर बागपत जिले के बालौनी क्षेत्र में है और मेरठ से 20-22 किमी दूर है.
2019 की कांवड़ यात्रा के कुछ दृश्य:
2019 की कांवड़ यात्रा के कुछ दृश्य:
जय भोले नाथ |
मोरों से सजी कांवड़ |
बल्बों से सजी कांवड़ |
एकला चलो रे |
भोले बाबा कंधे पर |
चलता फिरता मंदिर |
गंगा जल की गगरियाँ |
बम बम भोले |
महिलाएं भी शामिल |
पाँव में छाले पड़ गए पर अब मंजिल दूर नहीं |
नन्हें भोले भी कम नहीं हैं |
कांवड़ का एक दूसरा रूप |