ग्वालियर के मोरार कैंट में एक सुंदर सूर्य मंदिर है जिसे विवस्वान मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर के चारों ओर सुंदर पेड़ पौधों से सजा काफी बड़ा बाग़ है जिससे मंदिर की सुन्दरता और भी बढ़ जाती है. मंदिर निर्माण से पहले यह तपोवन गार्डन कहलाता था फिर सूर्या गार्डन और अब सूर्य मंदिर कहलाता है.
मंदिर का निर्माण बिड़ला घराने ने 19 जनवरी 1984 में शुरू कराया था और प्राण प्रतिष्ठा 23 जनवरी 1988 को की गई. 20500 वर्ग फीट में फैले मंदिर की उंचाई 76 फीट एक इंच है. मंदिर का निर्माण लाल बलुए पत्थर से किया गया है और वास्तु या डिज़ाइन ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर पर आधारित है. रथ-नुमा मंदिर को सात घोड़े ( सप्ताह के सात दिन के प्रतीक ) खींच रहे हैं. मंदिर के दोनों तरफ की दीवारों पर 12-12 पहिये ( 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात या दूसरे शब्दों में वर्ष के 24 पखवाड़े ) बने हैं. हर पहिये में आठ मोटी और आठ पतली ( 8+8 कुल 16 पहर या यम ) तीलियाँ बनी हुई हैं. कुल मिला कर मंदिर में 373 मूर्तियाँ हैं जिसमें से 365 मूर्तियाँ साल के दिनों को दर्शाती हैं. चबूतरे पर बने छोटे तीन मंदिरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियाँ हैं. दो बड़े आलों में बिड़ला परिवार जनों की आदम कद मूर्तियाँ भी हैं.
ग्वालियर से मंदिर आने जाने के लिए ऑटो वगैरह मिल जाते हैं. प्रवेश के लिए टिकट है. परन्तु मंदिर के आस पास कोई रेस्तरां नहीं है इसलिए खाने पीने का इन्तेजाम करके चलना ठीक रहेगा. छुट्टी वाले दिन भीड़ रहती है.
प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:
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सूर्य मन्दिर का प्रवेश |
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सूर्य रथ |
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दीवारों पर सुंदर पहिये |
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चबूतरे पर छोटे मंदिरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान हैं |
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बाग़ बगीचे से नज़र आता मंदिर का पिछला भाग |
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प्रवेश द्वार |
सूर्य मंदिर पर वीडियो देखें इस लिंक पर
https://youtu.be/CUCnv6909P4
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https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/12/blog-post_9.html
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