उत्तराखंड के पौड़ी शहर के मुख्यालय से दो तीन किमी दूर घने जंगल की बीच एक छोटा सा पर सुंदर मंदिर है - क्यूंकालेश्वर मंदिर. मंदिर भगवान् शिव को समर्पित है. इस स्थान की उंचाई लगभग 7000 फुट है. सरकारी वेबसाइट euttaranchal.com में इसे आठवीं शताब्दी का मंदिर बताया गया है जिसे आदि शंकराचार्य ने बनवाया था. हालांकि वहां जाकर इस बात की पुष्टी नहीं हो पाई. मंदिर पुरातन है और बनावट में केदारनाथ मंदिर से मिलता जुलता है.
ऋषिकेश से मंदिर की दूरी लगभग 115 किमी है. मंदिर गर्मियों में 5.30 बजे खुलता है और सर्दी में 6 बजे और शाम 6 बजे तक खुला रहता है. पार्किंग है. खाने पीने का इन्तेजाम कर के चलें.
मंदिर में लगे एक बोर्ड के अनुसार इसका निर्माण और शिव स्थापना गंगा दशहरे के दिन जून 1833 में श्री मुनि मित्र शर्मा द्वारा हुई. बोर्ड के लेख के अनुसार मंदिर 'इन्द्रकील पर्वत के दक्षिण में और बहिनकील पर्वत के पश्चिम में' है. पौड़ी बस अड्डे से अगर मंदिर की ओर जाएं तो पहले कंडोलिया देवता मंदिर है, उससे और ऊपर एक किमी चलें तो आप क्यूंकालेश्वर मंदिर पहुँच सकते हैं. रास्ता घने और सुंदर जंगल में से है पर सड़क अच्छी है इसलिए हमने तो अपनी गाड़ी दौड़ा दी.
प्रस्तुत हैं कुछ फोटो :
ऋषिकेश से मंदिर की दूरी लगभग 115 किमी है. मंदिर गर्मियों में 5.30 बजे खुलता है और सर्दी में 6 बजे और शाम 6 बजे तक खुला रहता है. पार्किंग है. खाने पीने का इन्तेजाम कर के चलें.
मंदिर में लगे एक बोर्ड के अनुसार इसका निर्माण और शिव स्थापना गंगा दशहरे के दिन जून 1833 में श्री मुनि मित्र शर्मा द्वारा हुई. बोर्ड के लेख के अनुसार मंदिर 'इन्द्रकील पर्वत के दक्षिण में और बहिनकील पर्वत के पश्चिम में' है. पौड़ी बस अड्डे से अगर मंदिर की ओर जाएं तो पहले कंडोलिया देवता मंदिर है, उससे और ऊपर एक किमी चलें तो आप क्यूंकालेश्वर मंदिर पहुँच सकते हैं. रास्ता घने और सुंदर जंगल में से है पर सड़क अच्छी है इसलिए हमने तो अपनी गाड़ी दौड़ा दी.
प्रस्तुत हैं कुछ फोटो :
घने जंगल के बीच क्यूंकालेश्वर मंदिर. ये फोटो पहले Instagram में भी डाली थी |
मंदिर का एक और दृश्य |
मंदिर में शिव- पार्वती, गणेश और राम-सीता की भी मूर्तियाँ हैं |
पूजा स्थल |
कुंड |
घने जंगल से गुज़रती सड़क |
मंदिर की ओर जाती सीढ़ियों पर श्रीमति स्नेहा बगवाड़ी भट्ट - हमारी Friend, Philospher and Guide |
आशीर्वाद के साथ स्वागतम |
मुख्य द्वार के पास दीवार पर बना सुंदर चित्र |
मुख्य द्वार |
मुख्य द्वार के दोनों स्तंभों पर चार चार मूर्तियों की नक्काशी की हुई है पर सभी आठों मूर्तियों के सर पर अंग्रेजी स्टाइल के मुकुट हैं |
शांत और हरे भरे जंगल में मन रमता है. पर अफ़सोस गाड़ी दिल्ली के शोर शराबे और ट्रैफिक में वापिस ले जाएगी |
यज्ञ शाला |
महंत जी का निवास |
1 comment:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/07/blog-post_27.html
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